
KUSUM Solar Tariff Update योजना के तहत गुजरात में सोलर प्रोजेक्ट के लिए प्रति यूनिट ₹2.95 का लेवलाइज्ड टैरिफ तय किया गया है। गुजरात विद्युत नियामक आयोग (GERC) द्वारा लिया गया यह निर्णय प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM) के तहत लागू किया जाएगा। यह टैरिफ Component-A के तहत 0.5 से 2 मेगावाट क्षमता वाली विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा परियोजनाओं पर लागू होगा और इसका सीधा लाभ राज्य के किसानों को मिलेगा।
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डिस्कॉम कंपनियों की याचिका और नियामक निर्णय
यह टैरिफ गुजरात की चारों प्रमुख वितरण कंपनियों – पश्चिम, मध्य, उत्तर और दक्षिण गुजरात विज कंपनियों – द्वारा दायर याचिका के बाद निर्धारित किया गया है। इसका उद्देश्य किसानों को रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy के क्षेत्र में भागीदार बनाकर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त करना है। यह परियोजनाएं उन किसानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होंगी जिनके पास अनुपयोगी या बंजर भूमि है। ऐसे किसान अब इन जमीनों पर सौर संयंत्र स्थापित करके बिजली बेच सकते हैं और अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं।
किसानों को सौर संयंत्रों से कैसे मिलेगा लाभ
PM-KUSUM योजना के तहत किसानों को यह अवसर दिया जा रहा है कि वे सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर दिन के समय सिंचाई के लिए स्वच्छ ऊर्जा प्राप्त करें और अतिरिक्त बिजली ग्रिड को बेचें। इससे डीजल पर निर्भरता कम होगी और पर्यावरणीय प्रभाव भी घटेगा। साथ ही, केंद्र और राज्य सरकारें परियोजना लागत का लगभग 60% तक सब्सिडी प्रदान कर रही हैं जिससे किसानों की प्रारंभिक लागत काफी कम हो जाती है।
GERC द्वारा टैरिफ निर्धारण का आधार
GERC ने यह निर्णय हालिया प्रतिस्पर्धी बोलियों को ध्यान में रखते हुए लिया है। ₹2.95/kWh का टैरिफ भले ही कुछ हद तक उच्च हो, लेकिन यह विकेन्द्रीकृत और छोटे स्तर की परियोजनाओं की व्यावसायिक लागतों के अनुकूल है। नियामक आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि यह टैरिफ राज्य की बिजली वितरण कंपनियों की औसत पावर परचेज लागत से कम है, जिससे यह DISCOMs के लिए भी आर्थिक रूप से व्यवहार्य रहेगा।
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गुजरात में KUSUM योजना की वर्तमान स्थिति
गुजरात में PM-KUSUM योजना के अंतर्गत कुल 500 मेगावाट सौर क्षमता को मंजूरी दी गई है, जिसका कार्यान्वयन गुजरात ऊर्जा विकास एजेंसी (GEDA) द्वारा किया जा रहा है। योजना में किसान, सहकारी समितियां, पंचायतें और निजी डेवलपर्स भाग ले सकते हैं और अपनी भूमि या साझा भूमि पर परियोजनाएं स्थापित कर सकते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार भी बढ़ेगा और स्थानीय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
राष्ट्रीय ऊर्जा लक्ष्य के लिए अहम पहल
इसके साथ ही, यह योजना भारत सरकार के ‘2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा’ लक्ष्य को भी साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। KUSUM योजना के माध्यम से किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और साथ ही साथ देश को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में ले जाना, सरकार की दोहरी प्राथमिकताओं को दर्शाता है। इससे न केवल बिजली की उपलब्धता बढ़ेगी, बल्कि ऊर्जा का उत्पादन भी विकेन्द्रीकृत तरीके से होगा जिससे ट्रांसमिशन लागतों में भी कमी आएगी।
किसानों के लिए आय और स्थिरता का नया मॉडल
इस योजना के अंतर्गत किसान प्रतिवर्ष लाखों रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं, जो परंपरागत खेती के मुकाबले अधिक लाभकारी हो सकता है। इसके अलावा, यह परियोजनाएं ग्रामीण इलाकों में स्थायी विकास और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देती हैं, जिससे स्थानीय समुदायों का जीवनस्तर बेहतर होता है।
ऊर्जा उत्पादक के रूप में उभरता कृषि क्षेत्र
PM-KUSUM जैसी योजनाएं कृषि क्षेत्र को ऊर्जा उत्पादक के रूप में स्थापित कर रही हैं। यह बदलाव न केवल किसानों को सशक्त कर रहा है, बल्कि भारत के ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन को भी गति दे रहा है। आने वाले वर्षों में ऐसी योजनाओं के जरिए भारत का ग्रामीण क्षेत्र ऊर्जा में आत्मनिर्भर बन सकता है और किसानों की आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार हो सकता है।
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