
भारत में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy को लेकर तेजी से जागरूकता बढ़ रही है। खासकर सोलर एनर्जी-Solar Energy का उपयोग अब सिर्फ किसानों या ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब शहरी परिवार भी अपनी बढ़ती बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए इसे अपनाने लगे हैं। गर्मियों में सबसे बड़ी बिजली खपत एयर कंडीशनर-AC के कारण होती है, और ऐसे में सवाल उठता है कि क्या दो 1.5 टन के AC को पूरी तरह सोलर सिस्टम से चलाया जा सकता है? इसका जवाब है – हां, लेकिन इसके लिए आपको एक अच्छे प्लानिंग और पर्याप्त सोलर सिस्टम की आवश्यकता होगी।
कितनी बिजली की जरूरत होती है दो 1.5 टन के AC के लिए?
एक सामान्य 1.5 टन का AC लगभग 1800 से 2000 वाट तक की बिजली की खपत करता है। इस लिहाज से यदि आप दो AC एक साथ चलाते हैं, तो आपको कम से कम 3600 से 4000 वाट यानी 3.6kW से 4kW तक की आवश्यकता होगी। यह खपत तब और बढ़ सकती है जब घर में अन्य उपकरण जैसे फैन, लाइट, रेफ्रिजरेटर और चार्जिंग पॉइंट्स भी चल रहे हों। औसतन एक सामान्य घर की कुल बिजली जरूरत को ध्यान में रखते हुए कम से कम 5kW से 6kW के सोलर पावर सिस्टम की आवश्यकता होगी।
क्या सिर्फ दिन में AC चलाना है या रात में भी?
यदि आप केवल दिन में AC चलाने की योजना बना रहे हैं, तो 5kW का ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम पर्याप्त होगा। यह सिस्टम सीधे ग्रिड से जुड़ा होता है और सूर्य की रोशनी में ही बिजली उत्पन्न करता है। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि रात में भी AC चले, तो इसके लिए आपको एक बड़ा ऑफ-ग्रिड सिस्टम चाहिए जिसमें बैटरी बैकअप हो। ऐसे में 7.5kW से 10kW का ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम उपयुक्त रहेगा, जो दिन में बिजली बनाकर उसे बैटरियों में संग्रहित करेगा और रात में उपयोग के लिए उपलब्ध कराएगा।
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कितना खर्च आएगा सोलर सिस्टम पर?
अगर आप 5kW का ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम लगवाते हैं, तो इसकी लागत ₹2,75,000 से ₹3,00,000 के बीच होगी। इसमें सोलर पैनल, इन्वर्टर, इंस्टॉलेशन और जरूरी वायरींग शामिल होती है। वहीं, यदि आप 7.5kW से लेकर 10kW का ऑफ-ग्रिड सिस्टम लगवाते हैं, तो इसकी लागत ₹5,25,000 से ₹9,50,000 तक हो सकती है। इस प्रकार की लागत में बैटरी की संख्या, गुणवत्ता और इन्वर्टर की क्षमता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लिथियम-आयन बैटरियां अपेक्षाकृत महंगी होती हैं लेकिन इनकी क्षमता और आयु अधिक होती है, जिससे लंबी अवधि में इन्वेस्टमेंट फायदेमंद साबित हो सकता है।
मिलेगा सरकार से सब्सिडी का फायदा
भारत सरकार की PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana के अंतर्गत MNRE अप्रूव्ड सोलर सिस्टम इंस्टॉल कराने पर ₹78,000 तक की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। यह सब्सिडी सीधे उपभोक्ता के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है, बशर्ते सिस्टम DISCOM के साथ रजिस्टर्ड हो। इससे आपके कुल खर्च में बड़ी राहत मिल सकती है। सब्सिडी के लिए जरूरी है कि आप किसी अधिकृत विक्रेता या कंपनी के माध्यम से इंस्टॉलेशन कराएं।
क्या-क्या उपकरण चाहिए सोलर सिस्टम के लिए?
सही सोलर सिस्टम का चुनाव तभी सफल होगा जब आप आवश्यक उपकरणों की गुणवत्ता पर ध्यान देंगे। आजकल Loom Solar जैसे ब्रांड के बाइफेशियल पैनल्स जैसे Shark 550W और Shark 590W TOPCon मॉडल बाजार में लोकप्रिय हैं। ये पैनल उच्च दक्षता से बिजली उत्पन्न करते हैं और सीमित जगह में अधिक उत्पादन कर सकते हैं।
इसके अलावा आपको एक हाई कैपेसिटी इन्वर्टर की आवश्यकता होगी जो कम से कम 7kVA रेटिंग का हो। यदि आप ऑफ-ग्रिड सिस्टम चाहते हैं, तो आपको 48V की 5kWh या उससे अधिक की लिथियम बैटरियों की आवश्यकता होगी। ये बैटरियां दिन में उत्पन्न बिजली को संग्रहित कर रात के समय बिजली सप्लाई सुनिश्चित करती हैं।
क्या आपके घर की छत इसके लिए पर्याप्त है?
एक 5kW सोलर सिस्टम को इंस्टॉल करने के लिए आपको लगभग 400 वर्ग फुट की छत की जरूरत होगी, वहीं 10kW सिस्टम के लिए 700 से 800 वर्ग फुट की खुली और छाया रहित जगह चाहिए। आगरा जैसे शहरों में जहां औसतन 5-6 घंटे सीधी धूप मिलती है, वहां यह सिस्टम अत्यंत प्रभावी तरीके से काम कर सकता है। सोलर पैनल्स को उत्तर दिशा की ओर झुकाव देने से ऊर्जा उत्पादन में और सुधार किया जा सकता है।
ऑन-ग्रिड या ऑफ-ग्रिड: कौन सा सिस्टम चुनें?
यह चुनाव पूरी तरह आपकी जरूरतों पर आधारित है। यदि आपके क्षेत्र में बिजली कटौती कम होती है और आप केवल दिन में AC चलाना चाहते हैं, तो ऑन-ग्रिड सिस्टम आपके लिए किफायती रहेगा। इसके अलावा यह सिस्टम आपको अतिरिक्त बिजली ग्रिड में बेचने का अवसर भी देता है। लेकिन यदि आप बिजली कटौती से परेशान हैं या पूरी तरह से एनर्जी इंडिपेंडेंस चाहते हैं, तो ऑफ-ग्रिड सिस्टम आपके लिए बेहतर रहेगा। हालांकि इसकी शुरुआती लागत अधिक होती है, लेकिन आपको बिजली बिल से पूरी तरह मुक्ति मिल जाती है।