माइक्रोटेक भारत में सोलर और इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट बनाने वाली एक प्रसिद्ध कंपनी है। यदि आपका डेली पावर कंसम्पशन 16 यूनिट से 20 यूनिट तक है, तो Microtek 4kW सोलर सिस्टम आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। यह सोलर सिस्टम दिन में 16 यूनिट से लेकर 20 यूनिट तक बिजली उत्पादन कर सकता है।
सोलर सिस्टम की सहायता से पर्यावरण को स्वच्छ एवं सुरक्षित रखा जा सकता है, क्योंकि सोलर सिस्टम में लगे उपकरण पर्यावरण के अनुकूल ही कार्य करते हैं, एवं कार्बन उत्सर्जन नहीं करते हैं। जिस से पर्यावरण को सबसे बड़ा लाभ मिलता है।
Microtek 4kW सोलर सिस्टम
वर्तमान समय में सोलर सिस्टम का प्रयोग अधिकांश नागरिक कर रहे हैं, सरकार द्वारा भी सोलर सिस्टम को स्थापित करने के लिए नागरिकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे वे कम निवेश पर एक अच्छा सोलर सिस्टम लगा सकते हैं। Microtek 4kW सोलर सिस्टम को स्थापित कर आप अपनी बिजली की जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकते हैं।
सोलर सिस्टम को ऑनग्रिड एवं ऑफग्रिड दो प्रकार से स्थापित किया जाता है, ऑफग्रिड सोलर सिस्टम में सोलर पैनल, सोलर इंवर्टर एवं सोलर बैटरी का प्रयोग होता है, जबकि ऑनग्रिड सोलर सिस्टम में बैटरी का प्रयोग नहीं होता है।
Microtek सोलर पैनल की कीमत
Microtek के 4 किलोवाट सोलर पैनल की कीमत पैनल के टाइप के अनुसार अलग-अलग होती है। इनके द्वारा मुख्य रूप से पालीक्रिस्टलाइन एवं मोनोक्रिस्टलाइन PERC प्रकार के सोलर पैनल का निर्माण किया जाता है। माइक्रोटेक के सोलर पैनल की कीमत इस प्रकार रहती है:-
- माइक्रोटेक पॉलीक्रिस्टलाइन पैनल को 4 किलोवाट के सोलर पैनल पर लगाने पर 12 पैनल की जरूरत पड़ती है, जिनकी कीमत लगभग 1,25,000 रुपये होती है।
- माइक्रोटेक मोनोक्रिस्टलाइन PERC पैनल को 4 kW सोलर सिस्टम में लगाने पर 10 पैनल की आवश्यकता पड़ती है, जिनकी कीमत लगभग 1,40,000 रुपये तक होती है।
Microtek सोलर इन्वर्टर की कीमत
Microtek के 4 किलोवाट सोलर सिस्टम के लिए 4kVA का लोड संभालने में सक्षम इन्वर्टर को लगाना चाहिए, सोलर इंवर्टर के द्वारा DC को AC में बदलने का काम किया जाता है। सोलर पैनल द्वारा DC रूप में बिजली का उत्पादन किया जाता है। 4 kW के सोलर सिस्टम में MPPT तकनीक के सोलर इंवर्टर का प्रयोग किया जाता है इस सोलर सिस्टम में प्रयोग होने वाला सोलर इंवर्टर:-
- Microtek Hi-End 5 kVA MPPT PCU की कीमत 60,000 रुपये है। यह 5000 वॉट तक के सोलर पैनल कनेक्ट कर सकता है और इसमें लगे सोलर चार्ज कंट्रोलर की करंट रेटिंग 50A है। इस सोलर इंवर्टर द्वारा प्रदान होने वाला आउटपुट Pure Sine Wave होता है।
Microtek सोलर बैटरी की कीमत
सोलर बैटरी को पावर बैकअप करने के लिए सोलर सिस्टम में स्थापित किया जाता है, उपभोक्ता अपनी जरूरत के अनुसार सोलर बैटरी की क्षमता का चयन कर सकते हैं, माइक्रोटेक द्वारा निम्न बैटरियाँ सोलर सिस्टम के लिए बनाई जाती हैं:-
- माइक्रोटेक 100Ah बैटरी की 1 सोलर बैटरी की कीमत 10,000 रुपये है, इसका प्रयोग कम पावर बैकअप के लिए किया जा सकता है।
- माइक्रोटेक 150Ah बैटरी की कीमत 15,000 रुपये है।
- माइक्रोटेक 200Ah बैटरी की कीमत 18,000 रुपये है, इस बैटरी को अधिक पावर बैकअप के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
सोलर सिस्टम में अतिरिक्त खर्च
सोलर सिस्टम को स्थापित करने में मुख्य उपकरणों के अतिरिक्त पैनल स्टैंड, ACD/DBs और वायर जैसे छोटे उपकरणों का प्रयोग भी किया जाता है, इन उपकरणों के द्वारा सोलर सिस्टम को मजबूत करने साथ ही उसमें कनेक्शन शापित किया जाता है, इनकी कीमत 25,000 रुपये तक हो सकती है।
Microtek 4kW सोलर सिस्टम में कुल खर्चा
Microtek 4kW सोलर सिस्टम में होने वाला कुल खर्चा उसमें लगे सोलर पैनल एवं सिस्टम के प्रकार के अनुसार अलग-अलग हो सकता है, सोलर पैनल के अनुसार:-
- यदि सोलर सिस्टम में पॉलीक्रिस्टलाइन पैनल का प्रयोग हो तो कुल खर्चा- 2,50,000 रुपये हो सकता है।
- यदि सोलर सिस्टम में मोनोक्रिस्टलाइन PERC पैनल को लगाया गया हो तो कुल खर्चा- 2,85,000 रुपये तक हो सकता है।
सोलर सिस्टम के प्रकार के अनुसार कुल खर्चा:-
- 4 किलोवाट ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम को लगाने का कुल खर्चा 2 लाख रुपये से 2.50 लाख रुपये तक हो सकता है। इसमें 78 हजार की सब्सिडी प्राप्त कर आप 1.80 लाख का भुगतान कर सकते हैं।
- 4 किलोवाट ऑफग्रिड सोलर सिस्टम को लगाने का कुल खर्चा 2.75 लाख से 3 लाख रुपये तक हो सकता है।
सरकार द्वारा चलाई जाने वाली पीएम सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना के द्वारा आप Microtek 4kW सोलर सिस्टम को ऑनग्रिड स्थापित करने पर 78,000 रुपये की सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं, जिससे सोलर सिस्टम की कीमत को कम किया जा सकता है। इस सोलर सिस्टम से बिजली बिलों को कम करने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए सहायता प्राप्त होती है। सोलर सिस्टम के प्रयोग से ही पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त किया जा सकता है, एवं जीवाश्म ईंधन की निर्भरता को कम किया जा सकता है।