मध्य प्रदेश में किसानों के लिए Renewable Energy आधारित सिंचाई को बढ़ावा देने हेतु प्रधानमंत्री कुसुम योजना और मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना के अंतर्गत सोलर पंप सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है। इन योजनाओं का उद्देश्य पारंपरिक बिजली और डीज़ल पंपों पर किसानों की निर्भरता को कम करना है, जिससे कृषि लागत घटे और पर्यावरण भी संरक्षित रहे।

राज्य सरकार और केंद्र सरकार की साझेदारी से चल रही इन योजनाओं में किसानों को सोलर पंप की कुल लागत का 90% तक सब्सिडी दी जा रही है, जिससे अब किसान सस्ते और टिकाऊ सिंचाई विकल्पों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
सब्सिडी और भुगतान संरचना से किसान लाभान्वित
प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM-KUSUM) के तहत किसानों को सोलर पंप की कुल लागत पर 90% तक की सब्सिडी मिलती है। इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार 60% तक की वित्तीय सहायता संयुक्त रूप से देती हैं। शेष 30% हिस्सा किसानों को ऋण के रूप में मिलता है, और उन्हें केवल 10% राशि का भुगतान स्वयं करना होता है।
वहीं मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना (CM Solar Pump Yojana) के अंतर्गत 3 हॉर्सपावर (HP) तक के सोलर पंप के लिए किसानों को केवल ₹50,000 की राशि अदा करनी होती है, जबकि बाकी राशि सरकार द्वारा वहन की जाती है। यह विशेष रूप से उन छोटे किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है, जो सीमित संसाधनों के साथ खेती करते हैं।
ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया से सरल हुआ रजिस्ट्रेशन
मध्य प्रदेश में इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए किसानों को cmsolarpump.mp.gov.in पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। आवेदन प्रक्रिया को डिजिटल बनाने से पारदर्शिता और गति दोनों में सुधार हुआ है।
आवेदन के समय कुछ आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है, जिसमें आधार कार्ड, भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र, बैंक खाता विवरण और पासपोर्ट साइज फोटो शामिल हैं। साथ ही, ₹5,000 का नॉन-रिफंडेबल पंजीकरण शुल्क भी जमा करना होता है।
टॉप सोलर कंपनियाँ दे रही हैं सेवाएं
इन योजनाओं के अंतर्गत मध्य प्रदेश में कई प्रतिष्ठित कंपनियाँ किसानों को सोलर पंप प्रदान कर रही हैं। इनमें टाटा पावर सोलर, शक्ति पंप्स (इंडिया) लिमिटेड, वारेई एनर्जी, विक्रम सोलर और आदित्य ऊर्जा जैसी प्रमुख कंपनियाँ शामिल हैं। ये कंपनियाँ सोलर पंप की इंस्टॉलेशन से लेकर मेंटेनेंस तक की सेवा प्रदान करती हैं।
टाटा पावर सोलर और शक्ति पंप्स जैसी कंपनियाँ कुसुम योजना के तहत बड़े पैमाने पर सोलर समाधान उपलब्ध करवा रही हैं, जबकि वारेई एनर्जी और विक्रम सोलर जैसे ब्रांड उच्च दक्षता वाले सोलर पैनल की आपूर्ति में विशेषज्ञ हैं।
सरकार की भविष्य की रणनीति और पारदर्शिता
राज्य सरकार का लक्ष्य अगले तीन वर्षों में लगभग 30 लाख किसानों को सोलर पंप उपलब्ध कराना है। इससे न केवल खेती में लागत घटेगी बल्कि बिजली संकट और डीज़ल पर निर्भरता भी कम होगी।
भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकार द्वारा सभी सोलर पंपों को जियो-टैग किया जा रहा है, ताकि सब्सिडी के किसी भी दुरुपयोग को रोका जा सके। जियो-टैगिंग के माध्यम से हर पंप की लोकेशन और उपयोग का रिकॉर्ड डिजिटल रूप से दर्ज रहेगा।
सस्ती, स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा का लाभ
Renewable Energy के इस बढ़ते प्रयोग से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी बल्कि ग्रामीण इलाकों में पर्यावरणीय संतुलन भी बनाए रखा जा सकेगा। सोलर पंप बिना बिजली बिल के कार्य करते हैं और लंबे समय तक कम रखरखाव के साथ चलते हैं, जिससे किसानों को दीर्घकालिक लाभ प्राप्त होता है।
संपर्क और तकनीकी सहायता के साधन
किसानों को आवेदन संबंधी किसी भी प्रकार की जानकारी या सहायता के लिए आधिकारिक पोर्टल cmsolarpump.mp.gov.in का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा, राज्य नोडल एजेंसी मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड की वेबसाइट mprenewable.nic.in और राष्ट्रीय स्तर पर pmkusum.mnre.gov.in से भी संपर्क किया जा सकता है।