
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल हुई है, जो भारत जैसे गर्म जलवायु वाले देशों में स्वच्छ ऊर्जा के भविष्य को बदल सकती है, वैज्ञानिकों ने एक नई आणविक परत (molecular layer) विकसित की है जो अत्याधुनिक पेरोव्स्काइट-सिलिकॉन टैन्डम सोलर सेल की स्थिरता और दक्षता को उच्च तापमान पर भी बनाए रखती है।
क्या है यह नई तकनीक?
पेरोव्स्काइट-सिलिकॉन टैन्डम सोलर सेल वर्तमान में उपलब्ध सबसे कुशल सौर सेल प्रौद्योगिकियों में से हैं, जो रिकॉर्ड-तोड़ बिजली उत्पादन क्षमता प्रदान करते है, हालांकि, इनकी मुख्य कमजोरी यह रही है कि ये गर्मी के प्रति संवेदनशील होते हैं और उच्च परिचालन तापमान पर इनकी दक्षता तेजी से घटती है, जिससे इनका जीवनकाल कम हो जाता है।
इस समस्या को हल करने के लिए, वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने सेल की परतों के बीच एक विशेष, अल्ट्रा-थिन आणविक परत पेश की है, यह परत एक बाधा (barrier) के रुप में कार्य करती है, जो गर्मी के कारण होने वाली रासायनिक अस्थिरता और क्षरण (degradation) को रोकती है।
मुख्य लाभ और प्रभाव
इस नवाचार के कई महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं:
- नई परत पेरोव्स्काइट सामग्री को उच्च तापमान पर स्थिर रखती है, जिससे सेल का जीवनकाल पारंपरिक डिज़ाइनों की तुलना में काफी बढ़ जाता है।
- यह सुनिश्चित करता है कि सेल भीषण गर्मी के दौरान भी अपनी उच्च दक्षता बनाए रखें, जो कि वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों के लिए महत्वपूर्ण है।
- यह सफलता पेरोव्स्काइट-सिलिकॉन सेल को गर्म जलवायु वाले बाजारों के लिए अधिक व्यवहार्य बनाती है, जहाँ सौर विकिरण प्रचुर मात्रा में है लेकिन गर्मी एक चुनौती है।
आगे की राह
यह सफलता सौर ऊर्जा अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह टिकाऊ, उच्च-प्रदर्शन वाले सौर पैनलों के विकास का मार्ग प्रशस्त करती है जो चरम पर्यावरणीय परिस्थितियों का सामना कर सकते है, यह खोज वैश्विक स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा अपनाने की गति को तेज करने में मदद कर सकती है।







