जल्द आएंगे ऐसे सोलर पैनल जो बिजली पैदा करेंगे 70% से अधिक कुशलता के साथ, नई तकनीक के बारे में जानें

"स्पेनिश वैज्ञानिकों ने गैलियम फॉस्फाइड और टाइटेनियम से ऐसा सोलर सेल विकसित किया है, जो 60% तक ऊर्जा रूपांतरण क्षमता रखता है। जानें कैसे यह तकनीक पारंपरिक सोलर सेल की सीमाएं तोड़कर ऊर्जा संकट को हल कर सकती है।"

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जल्द आएंगे ऐसे सोलर पैनल जो बिजली पैदा करेंगे 70% से अधिक कुशलता के साथ, नई तकनीक के बारे में जानें
जल्द आएंगे ऐसे सोलर पैनल जो बिजली पैदा करेंगे 70% से अधिक कुशलता के साथ, नई तकनीक के बारे में जानें

रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति आने वाली है। स्पेन के यूनिवर्सिडैड कॉम्प्लूटेंस डी मैड्रिड के शोधकर्ताओं ने एक नई तकनीक विकसित की है जो सोलर पैनल को 70% से ज्यादा कुशलता के साथ बिजली पैदा करने में सक्षम बनाएगी। यह नया मध्यवर्ती बैंड (Intermediate Band) सोलर सेल, गैलियम फॉस्फाइड (GaP) और टाइटेनियम (Ti) का उपयोग कर बनाया गया है।

यह सोलर सेल 550 nm और उससे ज्यादा तरंग दैर्ध्य पर काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो इसकी दक्षता को बढ़ाने के साथ-साथ सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खोलता है।

नई सोलर सेल तकनीक सौर ऊर्जा उत्पादन में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है। गैलियम फॉस्फाइड और टाइटेनियम पर आधारित यह तकनीक 60% से अधिक दक्षता प्रदान करने की क्षमता रखती है। यह तकनीक न केवल ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद करेगी, बल्कि इसे और अधिक पर्यावरण अनुकूल बनाएगी।

पारंपरिक सिलिकॉन आधारित सोलर सेल की सीमाएं

वर्तमान समय में उपयोग किए जाने वाले सिलिकॉन-आधारित सोलर सेल में ऊर्जा रूपांतरण की सीमाएं होती हैं। यह सोलर सेल केवल 33.7% दक्षता के साथ सूर्य की रोशनी को बिजली में परिवर्तित कर पाते हैं। यह सीमा शॉकली-क्विसर (Shockley-Queisser) सीमा कहलाती है।

सिलिकॉन सोलर सेल में ऊर्जा की बचत सीमित होती है क्योंकि इसकी अधिकांश ऊर्जा गर्मी के रूप में नष्ट हो जाती है। ऐसे में इस सीमा को पार करने और दक्षता बढ़ाने के लिए नई सामग्रियों और तकनीकों की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।

नई सामग्रियों के साथ SQ सीमा को तोड़ने का प्रयास

शोधकर्ताओं का मानना है कि गैलियम फॉस्फाइड (GaP) और टाइटेनियम (Ti) जैसी नई सामग्रियों के उपयोग से शॉकली-क्विसर सीमा को पार किया जा सकता है। GaP का उच्च बैंडगैप (2.26 eV) इसे अधिक कुशल ऊर्जा रूपांतरण के लिए आदर्श बनाता है।

जेवियर ओलिया एरिज़ा के नेतृत्व में एक शोध दल ने पिछले 15 वर्षों में गैलियम फॉस्फाइड और टाइटेनियम पर आधारित सोलर सेल विकसित करने पर काम किया है। इस शोध ने सौर ऊर्जा के उत्पादन में नई तकनीकी संभावनाएं पेश की हैं।

छोटा लेकिन प्रभावशाली प्रोटोटाइप

शोधकर्ताओं ने केवल 1 cm² का एक छोटा सोलर सेल विकसित किया है जिसमें GaP:Ti परत केवल 50 nm मोटी है। इस प्रोटोटाइप में सोने और जर्मेनियम से बने धातु संपर्कों का उपयोग किया गया है।

परीक्षणों में पाया गया कि यह सोलर सेल 550 nm से अधिक की तरंग दैर्ध्य पर प्रकाश को अधिक प्रभावी ढंग से अवशोषित करता है। इस विशेषता ने इसे एक संभावित उच्च दक्षता वाली तकनीक के रूप में स्थापित किया है।

दक्षता 60% तक बढ़ने की संभावना

इस नई तकनीक से सोलर सेल की सैद्धांतिक दक्षता लगभग 60% तक बढ़ सकती है। हालांकि, वर्तमान में प्रोटोटाइप का व्यावसायिक उपयोग के लिए तैयार होना बाकी है। टीम का अगला लक्ष्य इस सोलर सेल की संरचना में सुधार करना और टाइटेनियम के उपयोग को और बेहतर बनाना है।

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शोधकर्ता उम्मीद कर रहे हैं कि यह तकनीक भविष्य में रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन को और कुशल बनाएगी, जिससे न केवल ऊर्जा संकट को हल किया जा सकेगा बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. शॉकली-क्विसर (SQ) सीमा क्या है?
SQ सीमा सोलर सेल की सैद्धांतिक अधिकतम दक्षता को दर्शाती है, जो सामग्री के बैंडगैप और अन्य कारकों पर निर्भर करती है। सिलिकॉन के लिए यह सीमा 33.7% है।

2. गैलियम फॉस्फाइड (GaP) क्यों उपयोगी है?
GaP का उच्च बैंडगैप (2.26 eV) इसे ऊर्जा रूपांतरण के लिए अत्यधिक कुशल बनाता है, जिससे सोलर सेल की दक्षता बढ़ सकती है।

3. टाइटेनियम का क्या योगदान है?
टाइटेनियम का उपयोग सोलर सेल में प्रकाश अवशोषण बढ़ाने और दक्षता सुधारने में मदद करता है।

4. इस सोलर सेल की सैद्धांतिक दक्षता कितनी है?
इस सोलर सेल की सैद्धांतिक दक्षता लगभग 60% है।

5. क्या यह डिवाइस वाणिज्यिक उपयोग के लिए तैयार है?
फिलहाल यह डिवाइस प्रोटोटाइप स्तर पर है और वाणिज्यिक उपयोग के लिए तैयार नहीं है।

6. नई सामग्रियों के उपयोग से क्या लाभ होगा?
नई सामग्रियों का उपयोग दक्षता में सुधार करेगा और सोलर एनर्जी उत्पादन को और अधिक कुशल बनाएगा।

7. इस शोध को कौन नेतृत्व कर रहा है?
इस शोध का नेतृत्व जेवियर ओलिया एरिज़ा कर रहे हैं।

8. भविष्य में इस तकनीक का क्या महत्व है?
यह तकनीक बढ़ती वैश्विक एनर्जी मांग को पूरा करने और रिन्यूएबल एनर्जी स्रोतों की दक्षता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगी।

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