
बैटरियों की दुनिया में NiMH (निकेल-मेटल हाइड्राइड), NiCd (निकेल-कैडमियम) और Li-ion (लिथियम-आयन) बैटरियाँ सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली टेक्नोलॉजी हैं। इनका उपयोग मोबाइल फोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहन, पावर टूल्स और मेडिकल उपकरणों से लेकर घरेलू उपकरणों तक में किया जाता है। हालांकि इन तीनों बैटरियों की कार्यप्रणाली, क्षमता, लागत और पर्यावरणीय प्रभाव अलग-अलग होते हैं। ऐसे में यह समझना जरूरी हो जाता है कि किस जरूरत के लिए कौन सी बैटरी सबसे उपयुक्त रहेगी।
NiCd बैटरियाँ: दमदार प्रदर्शन लेकिन पर्यावरण पर असर
निकेल-कैडमियम (NiCd) बैटरियाँ कई वर्षों से उद्योगों और घरेलू उत्पादों में उपयोग की जाती रही हैं। इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये बेहद कठिन परिस्थितियों में भी अच्छा प्रदर्शन देती हैं। पावर टूल्स, चिकित्सा उपकरणों और सैन्य अनुप्रयोगों में इनका खूब इस्तेमाल होता है। इनका चार्ज/डिस्चार्ज चक्र भी अन्य बैटरियों की तुलना में लंबा होता है, जिससे इनकी उम्र अधिक होती है।
NiCd बैटरियाँ उच्च डिस्चार्ज दर को आसानी से संभाल सकती हैं, जिससे इनका उपयोग उच्च शक्ति की मांग वाले कार्यों में किया जाता है। हालांकि, इनकी सबसे बड़ी समस्या ‘मेमोरी इफेक्ट’ है। बार-बार आंशिक चार्जिंग करने से इनकी क्षमता घट सकती है। इसके अलावा, कैडमियम एक विषैला धातु है, जो पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरा पैदा कर सकता है। इसलिए इन बैटरियों के निपटान में विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है।
NiMH बैटरियाँ: अधिक क्षमता और पर्यावरण के प्रति जागरूक विकल्प
निकेल-मेटल हाइड्राइड (NiMH) बैटरियाँ उन उपभोक्ताओं के लिए उपयुक्त हैं जो डिजिटल कैमरा, पोर्टेबल ऑडियो प्लेयर और अन्य उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स का इस्तेमाल करते हैं। इन बैटरियों की ऊर्जा संग्रहण क्षमता समान आकार की NiCd बैटरियों की तुलना में कहीं अधिक होती है। यही कारण है कि उपभोक्ता उपकरणों में NiMH बैटरियों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है।
NiMH बैटरियों का एक बड़ा फायदा यह है कि इनमें कैडमियम नहीं होता, जिससे ये पर्यावरण के लिए कम हानिकारक मानी जाती हैं। हालांकि, इनकी एक कमजोरी यह है कि ये उपयोग में न होने पर भी धीरे-धीरे चार्ज खो देती हैं, जिसे ‘स्व-निर्वहन दर’ कहा जाता है। हालांकि, आधुनिक तकनीकों ने इस समस्या को काफी हद तक कम कर दिया है। मेमोरी इफेक्ट की समस्या भी इसमें मौजूद हो सकती है, लेकिन NiCd की तुलना में काफी कम।
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Li-ion बैटरियाँ: स्मार्ट डिवाइस और Electric Vehicles की जान
लिथियम-आयन (Li-ion) बैटरियाँ आज की डिजिटल और स्मार्ट दुनिया का आधार बन चुकी हैं। मोबाइल फोन, लैपटॉप, स्मार्टवॉच, ड्रोन और इलेक्ट्रिक वाहनों में इनका व्यापक रूप से उपयोग होता है। इन बैटरियों की सबसे बड़ी खासियत उनका उच्च ऊर्जा घनत्व है – यानी ये हल्की होने के बावजूद अधिक ऊर्जा संग्रहित कर सकती हैं।
Li-ion बैटरियों में मेमोरी इफेक्ट नहीं होता, जिससे इन्हें कभी भी चार्ज किया जा सकता है बिना उनकी क्षमता के नुकसान की चिंता के। इसके अलावा, इनकी स्व-निर्वहन दर भी बेहद कम होती है, यानी लंबे समय तक बिना उपयोग किए भी ये बैटरियाँ चार्ज बनाए रखती हैं।
हालांकि, इन बैटरियों की लागत अन्य बैटरियों की तुलना में अधिक होती है। इसके साथ ही, यदि इनका उपयोग गलत तरीके से किया जाए या यदि ये क्षतिग्रस्त हो जाएँ, तो इनमें थर्मल रनअवे जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे आग लगने का खतरा भी हो सकता है। इन बैटरियों को चार्ज करने के लिए विशेष प्रकार के चार्जर की आवश्यकता होती है, जिससे उनकी देखभाल थोड़ी जटिल हो जाती है।
किसे चुनें: आपकी जरूरत और बजट बताएंगे सही विकल्प
यदि आपको ऐसे उपकरणों के लिए बैटरी चाहिए जो कठोर परिस्थितियों में भी टिकाऊ और शक्तिशाली प्रदर्शन दें, जैसे कि पावर टूल्स या चिकित्सा उपकरण, तो NiCd बैटरियाँ आपके लिए सही रहेंगी। यदि आप पर्यावरण के प्रति जागरूक हैं और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे डिजिटल कैमरा या ऑडियो प्लेयर के लिए बैटरी ढूंढ रहे हैं, तो NiMH बैटरियाँ बेहतर विकल्प साबित हो सकती हैं।
वहीं अगर आप स्मार्टफोन, लैपटॉप या इलेक्ट्रिक व्हीकल जैसे हल्के और उच्च प्रदर्शन वाले उपकरणों के लिए बैटरी चाहते हैं, तो Li-ion बैटरियाँ आपके लिए सबसे उपयुक्त रहेंगी। हालांकि, इनकी कीमत अधिक है, लेकिन ये दीर्घकालिक उपयोग और दक्षता के मामले में इसे पूरी तरह से उचित ठहराती हैं।
इसलिए, बैटरी का चयन करते समय आपको केवल इसकी लागत नहीं बल्कि आपकी जरूरत, प्रदर्शन की अपेक्षा और पर्यावरणीय प्रभावों को भी ध्यान में रखना चाहिए।