
महाराष्ट्र में बिजली विवादों को सुलझानें वाली अपीलीय अदालत APTEL (Appellate Tribunal for Electricity) ने बिजली बिलिंग को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। साथ ही अदालत ने साफ कहा है कि Open Access Billing में पहले Conventional Power (पारंपरिक बिजली) का हिसाब जोड़ा जाएगा, और उसके बाद Renewable Energy (नवीकरणीय ऊर्जा) का यह फैसला खसतौर पर उन फैक्ट्रियों और उद्योगों के लिए जरूरी है जो अपनी जरूरतें पारंपरिक और Renewable Energy दोनों तरीके से पूरी करते है।
बिजली विवाद का मामला कैसे हुआ शुरू
साल 2016 में MSEDCL (Maharashtra State Electricity Distribution Company Limited) ने अपनी बिलिंग पद्धति बदल दी। इसमें पहले Renewable Energy को गिना जाने लगा और Conventional Captive Power को बाद में इसका सीधा नुकसान Mahindra CIE Automotive को हुआ क्योंकि Conventional Power को बैंक नहीं किया जा सकता और उसका हिस्सा बर्बाद हो गया।
MERC का आदेश और विवाद
2017 में MERC (Maharashtra Electricity Regulatory Commission) ने साफ किया था कि Captive Conventional Power को पहले जोड़ा जाना चाहिए। 2018 में भी MERC ने यही दोहराया और MSEDCL को सुधार करने को कहा। लेकिन 2019 में MERC ने अपना रुख बदलते हुए Captive और Independent Conventional Power के बीच फर्क कर दिया और Mahindra CIE को ब्याज देने से मना कर दिया। इसके बाद Mahindra CIE ने APTEL का रुख किया।
APTEL की टिप्पणियाँ
APTEL ने कहा कि Conventional Power चाहे Captive Plant से आए या किसी और Independent Producer से, दोनों एक जैसी हैं। यह पक्की और शेड्यूल की जा सकने वाली बिजली है जिसे बैंक नहीं किया जा सकता। दूसरी ओर Renewable Energy ऐसी है जो केवल “must-run” आधार पर ही चल सकती है और उसे ही बैंक करने की अनुमति है।
इसी वजह से अदालत ने साफ कर दिया कि पहले Conventional Power का इस्तेमाल होना चाहिए और फिर Renewable Energy का APTEL ने MERC की दलील को “गलत और अधूरी” बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि अगर किसी उपभोक्ता को उसका पैसा रोक दिया जाता है तो उस पर ब्याज देना जरूरी है।
आदेश के अहम बिंदु
- 2017 की बिलिंग पद्धति लागू की जाए,यानी पहले Conventional Power और उसके बाद Renewable Energy।
- Mahindra CIE को अप्रैल 2018 के बाद की अवधि के लिए ज्यादा वसूले गए पैसे एक महीने में लौटाए जाएं और उस पर 9% ब्याज भी दिया जाए।
- मार्च 2018 से पहले की अवधि के लिए मामला दोबारा MERC में सुनवाई के लिए भेजा गया।
उद्योग जगत के लिए सीख
यह फैसला उद्योगों को एक बड़ा संदेश देता है कि Open Access Billing में सबसे पहले Conventional Power का उपयोग होगा। यह भी साफ हो गया है कि एक बार नियामक संस्था (Regulator) का फैसला तय हो जाने के बाद उसे दोबारा बदलना संभव नहीं है।
असर और आगे का रास्ता
यह आदेश न केवल Mahindra CIE के लिए राहत है, बल्कि महाराष्ट्र के सभी औद्योगिक उपभोक्ताओं को भी अब बिलिंग को लेकर साफ दिशा-निर्देश मिल गए हैं। माना जा रहा है कि यह फैसला आने वाले समय में दूसरे राज्यों के लिए भी एक मिसाल बनेगा जहां Captive और Renewable Energy का एक साथ इस्तेमाल हो रहा है।