ब्लूपाइन एनर्जी और डालमिया सीमेंट्स लिमिटेड (इंडिया) ने एक पावर परचेज एग्रीमेंट (PPA) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत कर्नाटक में 46.8 MWp का सोलर प्रोजेक्ट लगाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से हर साल लगभग 93 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होगा। यह बिजली उत्पादन पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे हर साल लगभग 85,000 टन CO2 एमिशन कम होगा।
यह साझेदारी भारत के Renewable Energy सेक्टर में बड़ा कदम मानी जा रही है। यह प्रोजेक्ट डालमिया सीमेंट को सस्ती और सस्टेनेबल बिजली की आपूर्ति करेगा और ब्लूपाइन एनर्जी के नेट-जीरो और कार्बन न्यूट्रल लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण माइलस्टोन साबित होगा।
कैप्टिव ओपन-एक्सेस मॉडल की भूमिका
इस परियोजना के तहत कैप्टिव ओपन-एक्सेस मॉडल अपनाया जाएगा। इस मॉडल में डालमिया सीमेंट्स लिमिटेड ब्लूपाइन एनर्जी के स्पेशल पर्पस व्हीकल (SPV) में 26% हिस्सेदारी रखेगा। यह रणनीति दोनों कंपनियों के बीच विश्वास को मजबूत करती है और कमर्शियल और इंडस्ट्रियल (C&I) उपभोक्ताओं को भरोसेमंद और सस्टेनेबल सोल्यूशंस प्रदान करेगी।
ब्लूपाइन एनर्जी के C&I हेड राहुल मिश्रा ने इस साझेदारी को “ब्लूपाइन एनर्जी की कमिटमेंट” बताया, जो पूरे देश में C&I ओपन-एक्सेस प्रोजेक्ट्स के लिए एक सक्षम माहौल बनाएगी। उन्होंने कहा कि ब्लूपाइन एनर्जी स्टेकहोल्डर्स के साथ मिलकर रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत है।
2.4 गीगावाट क्षमता का लक्ष्य
ब्लूपाइन एनर्जी का यह समझौता उसकी 2.4 गीगावाट की टारगेट कैपेसिटी को मजबूत करेगा। वर्तमान में कंपनी के पास कर्नाटक, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में लगभग 400 मेगावाट के C&I प्रोजेक्ट्स का पोर्टफोलियो मौजूद है।
यह समझौता देश के Renewable Energy उत्पादन में ब्लूपाइन एनर्जी के विस्तार को दर्शाता है। डालमिया सीमेंट्स लिमिटेड की साझेदारी से यह परियोजना सस्टेनेबल एनर्जी पोर्टफोलियो के विस्तार में मील का पत्थर साबित होगी।
CO2 एमिशन में कमी और पर्यावरण को फायदा
यह सोलर प्रोजेक्ट केवल आर्थिक लाभ नहीं बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। सालाना 93 मिलियन यूनिट बिजली के उत्पादन से CO2 एमिशन में हर साल 85,000 टन से अधिक की कमी आएगी। इससे क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियों से लड़ने में सहायता मिलेगी।
Renewable Energy के इस कदम से कमर्शियल कंस्यूमर्स को भी फायदा होगा क्योंकि यह बिजली सस्ती और स्थायी होगी। यह उन उद्योगों के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प साबित होगा, जो ऊर्जा की लागत कम करना और पर्यावरणीय जिम्मेदारी को निभाना चाहते हैं।
ब्लूपाइन एनर्जी की प्रतिबद्धता
ब्लूपाइन एनर्जी भारत में सस्टेनेबल एनर्जी के बढ़ते बाजार में अपनी उपस्थिति को लगातार मजबूत कर रही है। कंपनी का लक्ष्य है कि वह नेट-जीरो और कार्बन न्यूट्रल गोल्स को समयबद्ध तरीके से पूरा करे। इसके लिए कंपनी देशभर में बड़े पैमाने पर Renewable Energy प्रोजेक्ट्स पर कार्य कर रही है।
भविष्य की संभावनाएं
ब्लूपाइन एनर्जी और डालमिया सीमेंट्स के इस करार से भविष्य में और अधिक बड़े प्रोजेक्ट्स की संभावनाएं खुल गई हैं। यह साझेदारी उन इंडस्ट्रियल और कमर्शियल कंस्यूमर्स के लिए एक आदर्श उदाहरण बनेगी, जो सस्ती और सस्टेनेबल एनर्जी सोल्यूशंस की तलाश में हैं।
FAQs
1. ब्लूपाइन एनर्जी और डालमिया सीमेंट्स के बीच यह साझेदारी क्यों की गई है?
यह साझेदारी 46.8 MWp सोलर प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए की गई है, जो Renewable Energy उत्पादन को बढ़ावा देगी और CO2 एमिशन में कमी लाएगी।
2. कैप्टिव ओपन-एक्सेस मॉडल क्या है?
यह एक मॉडल है जिसके तहत कंस्यूमर्स (जैसे डालमिया सीमेंट्स) सोलर प्रोजेक्ट के SPV में निवेश करके सस्ती बिजली प्राप्त करते हैं।
3. इस प्रोजेक्ट से कितनी बिजली का उत्पादन होगा?
यह प्रोजेक्ट हर साल लगभग 93 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन करेगा।
4. इस सोलर प्रोजेक्ट का पर्यावरण पर क्या प्रभाव होगा?
इस प्रोजेक्ट से हर साल 85,000 टन से अधिक CO2 एमिशन कम होगा, जिससे प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी।
5. इस साझेदारी से डालमिया सीमेंट को क्या फायदा होगा?
डालमिया सीमेंट को सस्ती, सस्टेनेबल और भरोसेमंद बिजली प्राप्त होगी, जिससे उनकी ऊर्जा लागत में कमी आएगी।
6. ब्लूपाइन एनर्जी का टारगेट क्या है?
ब्लूपाइन एनर्जी का लक्ष्य 2.4 गीगावाट की क्षमता हासिल करना है और नेट-जीरो तथा कार्बन न्यूट्रल गोल्स को पूरा करना है।
7. यह प्रोजेक्ट किन राज्यों में लागू किया जा रहा है?
यह प्रोजेक्ट मुख्य रूप से कर्नाटक में स्थापित होगा, लेकिन कंपनी के अन्य प्रोजेक्ट्स महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में भी हैं।
8. C&I कंस्यूमर्स को इस प्रोजेक्ट से क्या लाभ मिलेगा?
C&I कंस्यूमर्स को सस्ती और स्थायी बिजली मिलेगी, जिससे उनकी ऊर्जा लागत में कमी आएगी और पर्यावरणीय जिम्मेदारी पूरी होगी।