आज के समय में भारत सरकार ने सोलर ऊर्जा क्षेत्र को तेजी से बढ़ावा देने के लिए PLI (Production Linked Incentive) योजना के तहत सोलर कंपनियों को दो साल की अतिरिक्त छूट दी है। इस कदम का उद्देश्य सोलर ऊर्जा उद्योग को मजबूती प्रदान करना और उत्पादन लक्ष्यों को सहजता से पूरा करवाना है। आइए जानते हैं इस फैसले के पीछे के तीन बड़े कारण।

उत्पादन इकाइयों की धीमी प्रगति
शुरुआत में सरकार ने भारत में सोलर पीवी मॉड्यूल विनिर्माण इकाइयों को अप्रैल 2026 तक पूरी तरह सक्रिय करने का लक्ष्य रखा था। लेकिन कंपनियों को तकनीकी समस्याओं और परिचालन बाधाओं का सामना करना पड़ा, जिससे उत्पादन की गति अपेक्षित स्तर से कम रह गई। इस वजह से कंपनियों को तय समय सीमा में पूरा करना संभव नहीं था। छूट मिलने से वे अपनी व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर सकेंगी और गुणवत्ता के साथ उत्पादन बढ़ा सकेंगी।
रोजगार और निवेश में बढ़ोतरी
PLI योजना के तहत अब तक करोड़ों रुपए का निवेश हुआ है और हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं। लेकिन उत्पादन बढ़ाने और अधिक रोजगार पैदा करने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता थी। दो साल की छूट के कारण कंपनियां अधिक पूंजी निवेश कर सकेंगी, नई इकाइयां स्थापित कर सकेंगी और रोजगार के नए अवसर पैदा कर सकेंगी। इससे घरेलू उद्योग को मजबूती मिलेगी और देश की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।
ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करना
भारत ने 2030 तक 2,80,000 मेगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। ग्लोबल सप्लाई चेन की चुनौतियां और घरेलू निवेश की रुकावटों के कारण इसे समय पर पूरा करना मुश्किल हो गया था। छूट देकर सरकार ने सौर ऊर्जा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने और स्वच्छ ऊर्जा के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने की राह आसान कर दी है।







