
Reliance NU Energies को Renewable Energy क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल हुई है। Reliance Power की इस सब्सिडियरी कंपनी को SJVN (Satluj Jal Vidyut Nigam) से 350 मेगावाट (MW) का सोलर प्रोजेक्ट मिला है, जिसमें 175 MW/700 MWh बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) भी शामिल है। यह प्रोजेक्ट Build-Own-Operate (BOO) मॉडल पर आधारित होगा और 25 वर्षों तक ₹3.33 प्रति यूनिट के स्थिर टैरिफ पर बिजली सप्लाई करेगा।
प्रोजेक्ट का मकसद और टैक्निकल डिटेल्स
यह डील न केवल Reliance Power के Renewable Energy पोर्टफोलियो को मजबूती देती है, बल्कि भारत की बढ़ती ऊर्जा मांगों के लिए स्थायी समाधान का मार्ग भी प्रशस्त करती है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य राज्य वितरण कंपनियों (Discoms) को पीक डिमांड के दौरान भरोसेमंद बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना है, जिसमें न्यूनतम चार घंटे का दैनिक डिस्चार्ज टाइम शामिल होगा। यह पहल सस्ती, स्थायी और स्वदेशी ऊर्जा स्रोतों को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक ठोस कदम है।
टेंडर प्रोसेस में कैसे मिली जीत?
SJVN की ओर से हाल ही में 1200 MW सोलर और 600 MW/2400 MWh बैटरी स्टोरेज की टेंडर प्रक्रिया चलाई गई थी, जिसका हिस्सा यह प्रोजेक्ट भी है। इस टेंडर के लिए कुल 19 कंपनियों ने आवेदन किया था, जिनमें से 18 ने ई-रिवर्स ऑक्शन राउंड तक पहुंच बनाई। यह निविदा चार गुना से अधिक ओवरसब्सक्राइब हुई, जिससे स्पष्ट है कि सोलर + स्टोरेज मॉडल भारत के पावर सेक्टर में कितनी तेज़ी से लोकप्रिय हो रहा है।
कंपनी की कुल क्लीन एनर्जी पाइपलाइन
Reliance NU Energies की इस सफलता के साथ कंपनी की कुल क्लीन एनर्जी पाइपलाइन अब 2.5 गीगावाट पीक (GWp) सोलर कैपेसिटी और 2.5 गीगावाट-घंटा (GWh) बैटरी स्टोरेज तक पहुंच गई है। इसका अर्थ है कि कंपनी अब भारत के Solar + Battery Storage सेगमेंट में अग्रणी स्थान पर काबिज हो चुकी है। इससे भारत के Net-Zero लक्ष्य की दिशा में भी मदद मिलेगी।
SECI के साथ एक और बड़ी डील
Reliance NU Energies की 100% सब्सिडियरी Reliance NU Suntech ने हाल ही में Solar Energy Corporation of India (SECI) के साथ 930 MW सोलर और 465 MW/1860 MWh बैटरी स्टोरेज प्रोजेक्ट के लिए 25 वर्षों के Power Purchase Agreement (PPA) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस प्रोजेक्ट में अनुमानित निवेश ₹10,000 करोड़ से अधिक का है। इस प्रकार, कंपनी का फोकस अब बड़े पैमाने पर बैटरी इंटीग्रेशन के साथ सोलर प्रोजेक्ट्स की दिशा में बढ़ रहा है।
भारत के लिए इसका क्या मतलब है?
भारत की रिन्यूएबल एनर्जी रणनीति में ऐसे प्रोजेक्ट्स महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, क्योंकि बैटरी स्टोरेज की मदद से ग्रिड स्थिरता को बेहतर किया जा सकता है और Inter-State Transmission System (ISTS) के माध्यम से पावर डिलीवरी को भी दक्ष बनाया जा सकता है। SJVN और Reliance NU Energies की यह साझेदारी इस दिशा में एक प्रेरणादायक उदाहरण है।
मार्केट पर क्या असर पड़ा?
कंपनी के इस विस्तार का असर बाजार पर भी देखने को मिला है। Reliance Power के शेयरों में इस खबर के बाद तेज़ी देखी गई, जिससे निवेशकों को उम्मीद की नई किरण मिली है। साफ है कि Reliance Power की रणनीति अब पारंपरिक थर्मल पावर से हटकर सोलर और स्टोरेज जैसी नई तकनीकों की ओर अग्रसर हो चुकी है।
SJVN को इस डील से क्या फायदा होगा?
SJVN को इस डील से कई महत्वपूर्ण फायदे होंगे, जो न केवल कंपनी की वित्तीय स्थिति को मजबूत करेंगे बल्कि उसे भारत की रिन्यूएबल एनर्जी ट्रांजिशन में एक अग्रणी खिलाड़ी भी बनाएंगे। आइए विस्तार से समझते हैं SJVN को इस 350 MW सोलर + 175 MW बैटरी स्टोरेज डील से क्या-क्या लाभ होंगे:
1. Renewable Portfolio का विस्तार
SJVN की यह डील उसके Renewable Energy पोर्टफोलियो को और अधिक विविध बनाएगी। कंपनी पहले से ही हाइड्रोपावर और थर्मल में सक्रिय है, लेकिन अब यह सोलर और बैटरी स्टोरेज जैसी आधुनिक तकनीकों की ओर रुख कर रही है। इससे SJVN भविष्य में Net-Zero और ग्रीन एनर्जी लक्ष्यों की दिशा में बड़ा योगदान दे सकेगी।
2. बिजली वितरण कंपनियों को विश्वसनीय सप्लाई
इस डील के तहत उत्पादित बिजली और बैटरी स्टोरेज की मदद से SJVN राज्य की Discoms (Distribution Companies) को पीक डिमांड के समय बिजली की निर्बाध और स्थिर आपूर्ति कर सकेगा। यह विश्वसनीयता उसे अन्य पब्लिक सेक्टर कंपनियों से अलग खड़ा करती है।
3. राजस्व में स्थिरता
25 वर्षों तक ₹3.33 प्रति यूनिट के स्थिर टैरिफ से SJVN को दीर्घकालिक और पूर्वानुमान योग्य रेवेन्यू स्ट्रीम प्राप्त होगी। यह मॉडल कंपनी को वित्तीय योजना और निवेश के लिए स्थिर आधार प्रदान करेगा।
4. BOO मॉडल का लाभ
Build-Own-Operate (BOO) मॉडल में Reliance NU Energies पूरी परियोजना को विकसित, स्वामित्व और संचालित करेगा। SJVN को इस मॉडल से रिस्क कम होता है, लेकिन उसका टैरिफ और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क मजबूत होता है। यानी SJVN को गारंटीड पावर सप्लाई मिलती है, बिना भारी CapEx (capital expenditure) के।
Renewable Energy सेक्टर को मिलेगी नई गति
Renewable Energy की दुनिया में इस तरह के डील्स न केवल कॉर्पोरेट ग्रोथ के संकेतक हैं, बल्कि ये भारत जैसे उभरते हुए बाजारों के लिए ऊर्जा आत्मनिर्भरता का आधार भी तैयार करते हैं। सरकार की Production Linked Incentive (PLI) योजनाओं और Net Zero Emission लक्ष्यों को देखते हुए, आने वाले वर्षों में ऐसे बड़े प्रोजेक्ट्स की संख्या और भी बढ़ने की संभावना है।
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