India’s Green Energy Surge: सिर्फ अप्रैल में 21% बढ़ी Renewable Energy – अब तैयार है 304 GW की टेंडरिंग पाइपलाइन!

सिर्फ एक महीने में 21% उछाल, सौर ऊर्जा में बंपर ग्रोथ और 2030 लक्ष्य की ओर तेज़ रफ्तार – जानिए भारत की नई हरित क्रांति की पूरी कहानी, चुनौतियों और रणनीति के साथ!

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Written by Rohit Kumar

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India Green Energy: अप्रैल में 21% उछाल, 304 GW टेंडरिंग पाइपलाइन तैयार!

India’s Green Energy Surge अब एक नए मुकाम पर है, क्योंकि अप्रैल 2025 में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy के उत्पादन में रिकॉर्ड 21% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ऊर्जा मंत्रालय और MNRE द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, देश की कुल बिजली खपत जहां अप्रैल में 148 बिलियन यूनिट रही, वहीं रिन्यूएबल स्रोतों से उत्पादित बिजली का अनुपात तेजी से बढ़ा। यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारत तेजी से अपने हरित लक्ष्यों की ओर अग्रसर है।

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304 GW की टेंडरिंग पाइपलाइन

सरकार ने अब 304 गीगावाट (GW) की टेंडरिंग पाइपलाइन तैयार कर ली है, जो देश के 2030 तक 500 GW नॉन-फॉसिल ईंधन क्षमता के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में बड़ा कदम है। वर्तमान में भारत में 169.40 GW की Renewable Energy परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं और 65.06 GW की परियोजनाएं पहले ही टेंडर की जा चुकी हैं। इन परियोजनाओं में सोलर, विंड, हाइब्रिड, RTC (राउंड द क्लॉक) पावर, पीकिंग पावर और थर्मल+RE बंडलिंग शामिल हैं।

सौर ऊर्जा क्षेत्र में रिकॉर्ड वृद्धि

FY 2024–25 के दौरान भारत ने 23.83 GW नई सोलर क्षमता जोड़ी है, जिससे देश की कुल स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता 105.65 GW तक पहुंच गई है। यह वृद्धि सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और अर्थव्यवस्था में स्थिरता की दिशा में बड़ा योगदान है। Renewable Energy में यह वृद्धि भारत को वैश्विक हरित ऊर्जा मानचित्र पर और अधिक मजबूत बनाती है।

चुनौतियों से भरी राह, लेकिन समाधान संभव

हालांकि Renewable Energy सेक्टर में प्रगति उत्साहजनक है, लेकिन इसकी राह में कई चुनौतियाँ भी हैं। सबसे बड़ी चुनौती PPA यानी Power Purchase Agreements की डील में देरी है। SECI की 12 टेंडरों में से करीब 11.8 GW की परियोजनाएं अभी तक PPA के साइन न होने के कारण अटकी पड़ी हैं। इससे न केवल प्रोजेक्ट टाइमलाइन प्रभावित हो रही है, बल्कि निवेशकों का विश्वास भी कम हो सकता है।

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इसके अलावा, ISTS चार्ज छूट जो कि निवेश को प्रोत्साहित करती है, वह 30 जून 2025 को समाप्त हो रही है। इससे Renewable Energy प्रोजेक्ट्स की लागत में वृद्धि हो सकती है। साथ ही, घरेलू सोलर मॉड्यूल उत्पादन की सीमाएं और ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर की चुनौतियाँ भी इस क्षेत्र को प्रभावित कर रही हैं। टेंडरिंग प्रक्रिया में देरी और ब्यूरोक्रेटिक बाधाएँ भी समय पर परियोजना कार्यान्वयन में बड़ी रुकावट बन सकती हैं।

सरकारी नीतियों की भूमिका

MNRE और संबंधित एजेंसियों ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए कई पॉलिसी प्रस्ताव दिए हैं, जैसे कि घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए PLI स्कीम, ISTS चार्ज छूट को विस्तार देने की सिफारिश, और निजी कंपनियों को RTC मॉडल्स में भागीदारी के लिए आकर्षित करना। यदि ये रणनीतियाँ समय पर लागू होती हैं, तो भारत का Renewable Energy मिशन और अधिक गति पकड़ सकता है।

वित्तीय संस्थानों की भागीदारी और निवेश प्रवाह

भारत की हरित ऊर्जा योजनाओं को साकार करने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान, जैसे कि World Bank, ADB और अन्य ग्रीन बैंकों ने भारत की टेंडरिंग योजनाओं में रुचि दिखाई है। इसके अलावा, निजी क्षेत्र से भी Solar Parks, Floating Solar, और Green Hydrogen परियोजनाओं में निवेश बढ़ा है। इससे न केवल आर्थिक विकास को बल मिलेगा, बल्कि रोज़गार के अवसर भी उत्पन्न होंगे।

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Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

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