
भारत में Renewable Energy की तेज़ी से बढ़ती हिस्सेदारी अब Grid Stability के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है। देश की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 470 गीगावॉट है, जिसमें से 224 गीगावॉट यानी लगभग 48 प्रतिशत क्षमता Renewable Sources जैसे सोलर, विंड और लघु पनबिजली से आती है। हालांकि यह बदलाव पर्यावरण के लिहाज से स्वागतयोग्य है, लेकिन Grid को स्थिर बनाए रखना अब बेहद जटिल हो गया है।
तेजी से बढ़ रही Renewable Energy ने Grid की पारंपरिक संरचना को किया प्रभावित
पिछले दो दशकों में Renewable Energy क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। सौर और पवन ऊर्जा के उत्पादन में अनियमितता के कारण Grid को असंतुलन का सामना करना पड़ रहा है। कभी उत्पादन अचानक बढ़ जाता है तो कभी एकदम गिर जाता है, जिससे Grid पर अत्यधिक दबाव पड़ता है और देशव्यापी Blackout जैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं।
हाल में स्पेन को एक बड़े Grid असंतुलन के चलते व्यापक Blackout झेलना पड़ा। भारत की स्थिति अभी उस स्तर तक नहीं पहुंची है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि प्रबंधन के उपाय नहीं किए गए तो निकट भविष्य में भारत को भी इस प्रकार की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
Grid इंडिया और CERC कर रहे हैं प्रबंधन के लिए रणनीतियाँ तैयार
Grid के इस बढ़ते असंतुलन को देखते हुए केंद्र सरकार के अधीन आने वाली संस्थाएं जैसे Grid India, Central Electricity Authority (CEA) और Central Electricity Regulatory Commission (CERC) Renewable Energy के शेड्यूलिंग, पूर्वानुमान और आपूर्ति प्रबंधन के लिए नई योजनाओं पर कार्य कर रही हैं। फिलहाल Thermal Energy को बेस लोड के रूप में रखा गया है और इसे Grid को स्थिर बनाए रखने के लिए मुख्य आपूर्ति स्रोत माना जा रहा है।
Grid India के अधिकारियों का कहना है कि वे द्विआयामी दृष्टिकोण अपना रहे हैं। इसमें पहला कदम है कि Thermal Energy की आपूर्ति सुबह और सूर्यास्त के बाद की दो पारियों में सुनिश्चित की जाए। दूसरा यह कि Thermal Plants को 40 से 55 प्रतिशत Heat Rate पर चलाकर Renewable Energy में गिरावट आने पर उनकी आपूर्ति तुरंत बढ़ाई जा सके।
डक कर्व बना सबसे बड़ा खतरा, ऊर्जा भंडारण समाधान बन सकता है
भारत में अब Grid “Duck Curve” समस्या का भी सामना कर रहा है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब दिन में सौर ऊर्जा का उत्पादन उच्च स्तर पर होता है लेकिन मांग कम रहती है, और शाम के समय मांग तेजी से बढ़ जाती है जब Renewable Energy अनुपलब्ध होती है।
Duck Curve का नाम इसकी आकृति के आधार पर रखा गया है, जिसमें सुबह कम मांग होने से ग्राफ नीचे होता है, दोपहर में सौर ऊर्जा अधिक होने से और नीचे चला जाता है, और शाम को अचानक मांग बढ़ने से ग्राफ ऊपर उछलता है — यह आकृति एक बतख के जैसी प्रतीत होती है।
यह असंतुलन Grid के लिए खतरनाक होता जा रहा है, क्योंकि सौर और पवन जैसे अनियमित स्रोतों की हिस्सेदारी निरंतर बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े पैमाने पर Energy Storage इस समस्या का दीर्घकालिक समाधान हो सकता है।
अनियमित शेड्यूल और वोल्टेज फ्लक्चुएशन से Grid पर बढ़ा दबाव
Grid India द्वारा किए गए हालिया अध्ययन में पाया गया कि Renewable Energy समृद्ध क्षेत्रों में 2024 के उच्च मांग वाले महीनों के दौरान सौर ऊर्जा उत्पादन के समय वोल्टेज में अत्यधिक उतार-चढ़ाव हुआ। इसके साथ ही आपूर्ति शेड्यूल में भी भारी विचलन देखा गया।
सरकार अब Renewable Energy के पूर्वानुमान और शेड्यूलिंग के लिए सख्त नियमों को लागू करने पर विचार कर रही है ताकि Grid में स्थिरता बनी रहे।
DSM शुल्कों में भारी वृद्धि, Grid स्थिरता पर पड़ रहा सीधा असर
Reconnect Energy के सह-संस्थापक विशाल पंड्या ने बताया कि वोल्टेज में अस्थिरता और बिजली आपूर्ति की तीव्रता में बदलाव दो प्रमुख चुनौतियाँ हैं जो Grid की स्थिरता को प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इन दोनों क्षेत्रों में सक्रिय रूप से नीतिगत बदलाव कर रही है।
विशाल पंड्या ने यह भी बताया कि शेड्यूल से विचलन के चलते सभी हितधारकों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ रहा है। इसका प्रमाण Deviation Settlement Mechanism (DSM) शुल्कों से मिलता है, जो वित्त वर्ष 2021 से 2024 के बीच 103 प्रतिशत तक बढ़ चुका है। आगे इसमें और वृद्धि की आशंका है।
Grid अधिकारियों का मानना है कि DSM शुल्कों को नियंत्रित करने के लिए सख्त नीतिगत उपायों की आवश्यकता है, जो Grid ऑपरेटरों को बेहतर मांग-आपूर्ति प्रबंधन के ज़रिये स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करेंगे।
सरकार को चाहिए बहुस्तरीय समाधान और तेज़ी से नीति निर्माण
Renewable Energy को समाहित करने के लिए भारत को अब बहुस्तरीय समाधान अपनाने होंगे। इसमें बेहतर पूर्वानुमान प्रणाली, स्मार्ट ग्रिड तकनीक, बड़े पैमाने पर बैटरी स्टोरेज और DSM सुधार जैसे उपाय शामिल होने चाहिए। यदि ये उपाय समय रहते नहीं किए गए तो Grid के असंतुलन से न केवल बिजली गुल हो सकती है, बल्कि आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियां भी प्रभावित हो सकती हैं।