बिजली की जरूरतें आज के समय में तेजी से बढ़ रही हैं, जिस कारण बिजली के बिल में भी बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है। बिजली की जरूरतों को पूरा करने एवं बिजली बिल को कम करने के लिए सौर ऊर्जा का प्रयोग किया जा सकता है। सोलर पैनल का प्रयोग कर के सौर ऊर्जा से बिजली बनाई जा सकती है।

ये उपकरण पर्यावरण को स्वच्छ एवं सुरक्षित रखने में सहायक होते हैं। सोलर पैनल के प्रयोग से पर्यावरण को स्वच्छ एवं सुरक्षित रखा जा सकता है। क्योंकि सोलर पैनल बिना किसी प्रदूषण के बिजली उत्पादन का कार्य करते हैं।
घर में खुद से लगाएं Solar Panel
घर पर सोलर पैनल लगाने से पहले आपको घर में बिजली के लोड की जानकारी होनी चाहिए, जिससे आप सही क्षमता का सोलर सिस्टम घर पर लगा सकते हैं। बिजली के लोड की गणना को बिजली के बिल या ग्रिड मीटर की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है।
सोलर पैनल को ऐसे स्थान पर लगाया जाता हैं जहां सौर ऊर्जा अधिक मात्रा में प्राप्त होती है। सोलर पैनल को सही दिशा एवं सही कोण पर स्थापित करने से उनके द्वारा उचित मात्रा में बिजली का उत्पादन किया जाता है। सोलर पैनल (Solar Panel) के प्रयोग से बिजली से राहत प्राप्त की जा सकती है।

सोलर सिस्टम के प्रकार
सोलर सिस्टम को यूजर द्वारा निम्न तीन प्रकार से स्थापित किया जा सकता है:-
- ऑन ग्रिड सोलर पैनल (On Grid Solar Panel)– इस प्रकार के सोलर सिस्टम में बैटरी नहीं जोड़ी जाती है, पैनल से बनने वाली बिजली को ग्रिड के साथ शेयर किया जाता है, शेयर की जाने वाली बिजली की गणना नेट-मीटर के माध्यम से की जाती है। कम बिजली कटौती वाले स्थानों के लिए ऐसे सोलर सिस्टम को उपयुक्त बताया गया है। इस सिस्टम को लगाने के लिए आप सब्सिडी भी प्राप्त कर सकते हैं।
- ऑफ ग्रिड सोलर पैनल (Off Grid Solar Panel)– पावर बैकअप के लिए इस सोलर सिस्टम में बैटरी को जोड़ा जाता है, सोलर पैनल, इंवर्टर एवं बैटरी इस सिस्टम के मुख्य उपकरण होते हैं, जहां बिजली कटौती अधिक रहती है, ऐसे स्थानों के लिए इन्हें उपयुक्त कहा गया है।
- हाइब्रिड सोलर सिस्टम (Hybrid Solar System)– यह एडवांस सोलर सिस्टम है, इसमें ग्रिड से भी बिजली शेयर करते हैं एवं बैटरी में बिजली स्टोर भी की जा सकती है। इसे लगाने पर अधिक खर्चा होता है।
सोलर सिस्टम में प्रयोग होने वाले उपकरण
- सोलर पैनल (Solar Panel)– सौर ऊर्जा को बिजली में बदलने का कार्य सोल पैनल द्वारा किया जाता है।
- इन्वर्टर (Inverter)– इंवर्टर के द्वारा पैनल से प्राप्त डीसी बिजली को एसी में बदलने का काम किया जाता है।
- बैटरी (Battery): पॉवर बैकअप या बिजली संग्रहीत करने के लिए सोलर बैटरी का प्रयोग किया जाता है।
कितने सोलर पैनल खरीदें?
घर मे बिजली के लोड की जानकारी होने के बाद आप आसानी से सही क्षमता के सोलर पैनल का चयन कर सकते हैं यदि आपके घर में बिजली का लोड 12 यूनिट से 15 यूनिट तक प्रतिदिन रहता है, तो ऐसे में आप 3 किलोवाट के सोलर पैनल को सोलर सिस्टम में स्थापित कर सकते हैं। पैनल से बनने वाली बिजली से सभी बिजली के उपकरण चलाए जा सकते हैं।

ऐसे लगाए सोलर सिस्टम और कनेक्शन करें
सोलर सिस्टम को स्थापित करने के लिए नीचे बताए गए स्टेप्स का पालन करें:-
- सोलर पैनल को फ्रेम में सेट करें: एक मजबूत फ्रेम में सोलर पैनल स्थापित करें, जिससे उन्हें तेज हवा, आंधी-तूफान से सुरक्षित रखा जा सकता है।
- तार की व्यवस्था: सोलर सिस्टम में लगे सोलर पैनल, इंवर्टर वें बैटरी को जोड़ें एके लिए 6 mm या 10 mm का तारों को खरीदें। कनेक्टर की सहायता से तयार को सोलर पैनल से जोड़ें। एवं फिर बैटरी से जोड़े, अब आप इंवर्टर को बैटरी से कनेक्ट करें, और इंवर्टर को घर के इलेक्ट्रिक बोर्ड से कनेक्ट करें।
- तार की सुरक्षा: शॉर्ट सर्किट से सुरक्षा के लिए तारों को इलेक्ट्रिक फिटिंग पाइप के अंदर रखें।
इस प्रकार आप घर में खुद से लगाएं Solar Panel, इसे सावधानी पूर्वक स्थापित करे, आप सोलर एक्सपर्ट की सहायता भी प्राप्त कर सकते हैं। पर्यावरण को स्वच्छ एवं सुरक्षित रखने में सोलर सिस्टम महत्वपूर्ण योगदान देता है।