
भारत में Renewable Energy की ओर तेजी से झुकाव देखा जा रहा है, और खासतौर पर सोलर और विंड का संयोजन यानी सोलर-विंड हाइब्रिड सिस्टम इस क्षेत्र में एक नई क्रांति का संकेत दे रहा है। इन Hybrid Renewable Energy Systems की सबसे बड़ी खासियत है कि यह दिन-रात बिजली सप्लाई कर सकते हैं, खासकर उन इलाकों में जहां ग्रिड कनेक्शन या तो उपलब्ध नहीं है या फिर अत्यधिक अस्थिर है।
इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए 24×7 बिजली आपूर्ति संभव हो पा रही है, जिससे ग्रामीण, पहाड़ी और दूरदराज के क्षेत्रों में भी उजाला बना रह सकता है। सोलर और विंड एनर्जी, दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं, और इनकी संयुक्त शक्ति से पूरे साल और पूरे दिन बिजली उत्पादन सुनिश्चित किया जा सकता है।
सोलर और विंड एनर्जी कैसे मिलकर करते हैं 24×7 बिजली सप्लाई
सौर ऊर्जा मुख्यतः दिन के समय और गर्मियों में अधिक उत्पादक होती है, जब धूप तेज होती है। वहीं दूसरी ओर, पवन ऊर्जा रात के समय और सर्दियों के मौसम में अधिक सक्रिय होती है, जब हवा की गति तेज होती है। यही कारण है कि जब दोनों संसाधनों को एक सिस्टम में जोड़ा जाता है, तो यह एक-दूसरे की सीमाओं की पूर्ति करते हैं।
इस संयोग से बिजली उत्पादन में निरंतरता आती है, जिससे बैकअप की आवश्यकता भी कम हो जाती है और ग्रिड पर निर्भरता भी घटती है। खासकर भारत जैसे देश में, जहां मौसम विविध होता है और बिजली की उपलब्धता असमान है, वहां यह तकनीक बेहद कारगर साबित हो रही है।
सोलर-विंड हाइब्रिड सिस्टम के मुख्य घटक
एक पूर्ण हाइब्रिड Renewable Energy सिस्टम में कई महत्वपूर्ण उपकरण शामिल होते हैं। इनमें सोलर पैनल, विंड टर्बाइन, हाइब्रिड चार्ज कंट्रोलर, बैटरी बैंक और इन्वर्टर जैसे घटक शामिल हैं।
सोलर पैनल सूर्य की रोशनी को डायरेक्ट करंट (DC) बिजली में बदलते हैं। विंड टर्बाइन हवा की गति से घूमकर विद्युत उत्पन्न करते हैं। हाइब्रिड चार्ज कंट्रोलर दोनों स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा को नियंत्रित करता है ताकि ओवरचार्जिंग या डिसचार्जिंग से बचा जा सके।
बैटरी बैंक अतिरिक्त ऊर्जा को स्टोर करता है, जिसे बाद में आवश्यकता पड़ने पर उपयोग में लाया जा सकता है। अंत में, इन्वर्टर DC बिजली को घरेलू उपयोग के लिए आवश्यक AC बिजली में परिवर्तित करता है।
यह भी पढें-India का पहला गांव जो पूरी तरह सोलर से चलता है – आप भी बना सकते हैं!
भारत में हाइब्रिड Renewable Energy सिस्टम की उपलब्धता
भारत में इस टेक्नोलॉजी की मांग तेजी से बढ़ रही है और कई स्थानीय कंपनियां इसे ऑफर भी कर रही हैं।
Iysert Energy (जयपुर) जैसे निर्माता 500W से लेकर 20kW तक के ऑफ-ग्रिड सोलर-विंड हाइब्रिड सिस्टम की पेशकश कर रहे हैं। ये सिस्टम विशेष रूप से उन स्थानों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं जहां ग्रिड सपोर्ट नहीं है।
Vinayaka Energy Tec 10kW क्षमता तक के सिस्टम उपलब्ध कराता है, जो विभिन्न मौसमीय परिस्थितियों में भी स्थिर आउटपुट प्रदान करता है।
CleanMax जैसी कंपनियां कॉर्पोरेट और औद्योगिक उपयोग के लिए बड़े पैमाने पर सोलर-विंड हाइब्रिड समाधान मुहैया कराती हैं, जिससे उनके कार्बन फुटप्रिंट में उल्लेखनीय कमी आती है।
लागत और सब्सिडी की स्थिति
सिस्टम की लागत उसकी क्षमता, ब्रांड और उपयोग किए गए तकनीकी घटकों पर निर्भर करती है।
एक बेसिक 1kW हाइब्रिड सिस्टम की कीमत करीब ₹1.5 लाख से शुरू होती है। वहीं एक 10kW सिस्टम के लिए यह लागत ₹10 लाख या उससे अधिक हो सकती है।
हालांकि, भारत सरकार के Ministry of New and Renewable Energy (MNRE) के तहत कुछ हाइब्रिड सिस्टम्स पर सब्सिडी भी उपलब्ध कराई जाती है, जिससे कुल लागत में उल्लेखनीय राहत मिल सकती है। यह सब्सिडी राज्य और केंद्र सरकार की नीति पर निर्भर करती है और इसके लिए निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करना जरूरी होता है।
सोलर-विंड हाइब्रिड सिस्टम के प्रमुख लाभ
इन हाइब्रिड Renewable Energy Systems के कई लाभ हैं, जो इन्हें भविष्य की ऊर्जा आवश्यकता के लिए एक आदर्श समाधान बनाते हैं।
सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह सिस्टम पूरी तरह से ग्रिड से स्वतंत्र होते हैं, जिससे बिजली कटौती की समस्या समाप्त हो जाती है। इसके अलावा, यह पर्यावरण के भी अनुकूल हैं क्योंकि ये किसी प्रकार का कार्बन उत्सर्जन नहीं करते।
लंबे समय में इनसे बिजली बिल में भारी कमी आती है, जिससे यह निवेश लागत को आसानी से रिकवर कर सकता है। ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में जहां ग्रिड का विस्तार महंगा या व्यावहारिक नहीं होता, वहां यह प्रणाली बेहद उपयोगी साबित होती है।
यह भी देखें-जिनके घर में 2KW Load है, उनके लिए बेस्ट सोलर सेटअप क्या होगा?
भारत के भविष्य में Renewable Energy का रोल
सरकार की नीति, निजी क्षेत्र की भागीदारी और तकनीकी विकास के चलते आने वाले वर्षों में सोलर-विंड हाइब्रिड सिस्टम्स का चलन और भी बढ़ेगा। खासकर स्मार्ट सिटीज, ग्रीन बिल्डिंग्स, फार्मिंग, और मोबाइल टावर्स जैसे सेक्टर्स में यह तकनीक बिजली की लागत को घटाकर अधिक आत्मनिर्भर बना सकती है।
इसी दिशा में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में Renewable Energy को अपनाने की पहल बढ़ी है और स्थानीय लोग भी जागरूक हो रहे हैं।