
सोलर बैटरी (Solar Battery) फटने की घटनाएं आजकल आम होती जा रही हैं, खासकर जब इन्हें सही तरीके से उपयोग नहीं किया जाता। रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) के क्षेत्र में तेजी से बढ़ते उपयोग के साथ, सोलर पैनल और उससे जुड़ी बैटरियों का चलन भी बढ़ा है। लेकिन जिस तरह इनकी लोकप्रियता बढ़ रही है, उसी तेजी से इनके गलत इस्तेमाल से जुड़ी घटनाएं भी सामने आ रही हैं। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि सोलर बैटरी को किस प्रकार सुरक्षित तरीके से प्रयोग में लाया जाए जिससे कोई जान-माल का नुकसान न हो।
सही चार्जर और चार्ज कंट्रोलर का उपयोग क्यों है जरूरी
बैटरी की सुरक्षा में सबसे पहला कदम है उसका चार्जिंग सिस्टम। यदि आप सोलर बैटरी को बिना उपयुक्त चार्ज कंट्रोलर के सीधे सोलर पैनल से जोड़ देते हैं, तो इससे ओवरचार्जिंग हो सकती है। ओवरचार्जिंग के कारण बैटरी जरूरत से ज्यादा गर्म हो जाती है, जिससे “थर्मल रनअवे” की स्थिति बन सकती है। यह स्थिति बैटरी में विस्फोट या आग लगने का कारण बन सकती है। इसलिए हमेशा बैटरी के वोल्टेज और क्षमता के अनुसार प्रमाणित चार्जर और चार्ज कंट्रोलर का ही उपयोग करें।
बैटरी की लोकेशन का भी होता है बड़ा असर
सोलर बैटरी को लगाने का स्थान भी उसकी सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है। बैटरी को हमेशा ठंडी, सूखी और हवादार जगह पर रखा जाना चाहिए। गर्म जगहों या सीधी धूप में रखी गई बैटरी में तापमान तेजी से बढ़ सकता है, जिससे वह फट सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, बैटरी को हमेशा ऐसी जगह रखा जाना चाहिए जहां एयर फ्लो बना रहे और तापमान सामान्य बना रहे।
नियमित जांच से टल सकती है बड़ी दुर्घटना
बैटरी की निगरानी और समय-समय पर उसका निरीक्षण करना एक जरूरी प्रक्रिया है। यदि बैटरी में सूजन, लीकेज या असामान्य गर्मी महसूस होती है तो इसे नजरअंदाज न करें। यह किसी बड़ी समस्या की शुरुआत हो सकती है। ऐसी स्थिति में बैटरी का तुरंत उपयोग बंद कर देना चाहिए और किसी अधिकृत तकनीशियन से संपर्क करना चाहिए। एक छोटी सी सावधानी बड़ी दुर्घटना को रोक सकती है।
बैटरी की स्थापना में बरतें यह सावधानी
सोलर बैटरी को कभी भी सोने के कमरे, सीढ़ियों, किचन या आपातकालीन रास्तों के पास न लगाएं। यदि बैटरी में आग लगती है तो ये स्थान बेहद संवेदनशील बन सकते हैं। बैटरी को आग-प्रतिरोधी दीवारों से दूर और एक अलग वेंटिलेशन वाली जगह पर लगाना चाहिए। यह व्यवस्था सुरक्षा मानकों के अनुरूप होती है और दुर्घटना की स्थिति में राहत पहुंचाना भी आसान बनाता है।
घटिया या पुरानी बैटरियों से बन सकता है खतरा
बहुत से लोग बजट को देखते हुए सस्ती या सेकेंड हैंड बैटरियों का उपयोग कर लेते हैं। लेकिन यह कदम आपकी सुरक्षा के लिए घातक साबित हो सकता है। कम गुणवत्ता वाली बैटरियों में आमतौर पर थर्मल प्रोटेक्शन, बीएमएस (Battery Management System) या ओवरचार्ज प्रोटेक्शन जैसी सुविधाएं नहीं होतीं। यही कारण है कि बैटरी खरीदते समय हमेशा ब्रांडेड और नए उत्पादों का ही चयन करें।
बैटरी को संशोधित करना हो सकता है जानलेवा
कुछ लोग बैटरी या उसके चार्जिंग सिस्टम को अपने हिसाब से मोडिफाई करने की कोशिश करते हैं। यह एक बेहद खतरनाक आदत है। ऐसा करने से बैटरी की मूल सुरक्षा प्रणाली प्रभावित हो सकती है और वह ओवरहीट या शॉर्ट सर्किट के कारण फट सकती है। किसी भी तरह की तकनीकी बदलाव की योजना हो तो पहले प्रमाणित इंजीनियर से सलाह लें।
आग से सुरक्षा के इंतजाम रखें पुख्ता
बैटरी जहां भी लगाई गई हो, वहां धुआं डिटेक्टर और क्लास B फोम टाइप फायर एक्सटिंग्विशर अवश्य रखें। यदि आग लगती है तो सबसे पहले बिजली की आपूर्ति बंद करें और फायर एक्सटिंग्विशर का उपयोग करें। याद रखें, बैटरी पर कभी भी पानी न डालें। इससे आग और फैल सकती है तथा इलेक्ट्रिक शॉक का खतरा भी बढ़ सकता है।
अतिरिक्त सुरक्षा उपाय जो आपकी जान बचा सकते हैं
बैटरी प्रबंधन प्रणाली (BMS) एक ऐसी तकनीक है जो बैटरी की तापमान, वोल्टेज और चार्जिंग स्थिति की निगरानी करती है। BMS का उपयोग करने से बैटरी ओवरचार्जिंग, ओवरहीटिंग और डीप डिस्चार्ज से सुरक्षित रहती है। इसके अलावा बैटरी को चार्ज करते समय उस पर निगरानी बनाए रखना भी जरूरी है। चार्जिंग पूरी होते ही चार्जर को तुरंत हटा लें। इससे बैटरी की उम्र भी बढ़ेगी और खतरा भी कम होगा।
बैटरियों के सही उपयोग से मिलेगा पर्यावरण को भी लाभ
सोलर बैटरी का सही उपयोग न केवल आपकी सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि यह पर्यावरण को भी स्वच्छ रखने में मदद करता है। फटी या खराब बैटरियां वातावरण में जहरीले रसायनों का उत्सर्जन करती हैं, जो मिट्टी और जल स्रोतों को प्रदूषित कर सकते हैं। इसलिए सोलर बैटरी को सुरक्षित और जिम्मेदारी के साथ उपयोग करें।