
भारत में सोलर बिजनेस एक ऐसा क्षेत्र बन चुका है जो न सिर्फ पर्यावरण को साफ रखने में सहायक है, बल्कि इससे जुड़ने वाले लोगों को करोड़पति भी बना रहा है। जैसे-जैसे रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy की मांग तेजी से बढ़ रही है, वैसे-वैसे सोलर सेक्टर में निवेश और मुनाफे के नए रास्ते खुल रहे हैं। यह कारोबार अब न केवल मेट्रो शहरों तक सीमित है बल्कि छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों तक अपनी जड़ें फैला चुका है।
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मैन्युफैक्चरिंग और प्रोजेक्ट डेवलपमेंट में मुनाफा
सोलर पैनल मैन्युफैक्चरिंग व्यवसाय में आमतौर पर 5% से 10% तक का प्रॉफिट मार्जिन होता है। हालांकि, यह व्यवसाय उच्च निवेश और तकनीकी विशेषज्ञता की मांग करता है। दूसरी ओर, बड़े प्रोजेक्ट्स की बात करें तो वहां 10% से 25% तक का मुनाफा कमाया जा सकता है, खासकर तब जब भूमि अधिग्रहण, परमिटिंग और फाइनेंसिंग सही तरीके से प्रबंधित की गई हो।
मैन्युफैक्चरिंग और प्रोजेक्ट डेवलपमेंट में भी मुनाफा
सोलर पैनल मैन्युफैक्चरिंग व्यवसाय में आमतौर पर 5% से 10% तक का प्रॉफिट मार्जिन होता है। हालांकि, यह व्यवसाय उच्च निवेश और तकनीकी विशेषज्ञता की मांग करता है। दूसरी ओर, बड़े प्रोजेक्ट्स की बात करें तो वहां 10% से 25% तक का मुनाफा कमाया जा सकता है, खासकर तब जब भूमि अधिग्रहण, परमिटिंग और फाइनेंसिंग सही तरीके से प्रबंधित की गई हो।
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निवेश की लागत और रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट (ROI)
सोलर बिजनेस शुरू करने के लिए शुरुआती निवेश ₹10 लाख से ₹15 लाख तक हो सकता है, खासकर जब आप डीलरशिप या इंस्टॉलेशन जैसे मॉडल को अपनाते हैं। अगर कोई उद्यमी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाना चाहता है, तो उसे ₹1 करोड़ से ₹5 करोड़ तक का निवेश करना पड़ सकता है। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई 1 मेगावाट का सोलर प्लांट स्थापित करता है, तो इसकी लागत लगभग ₹4 करोड़ आती है और सालाना कमाई ₹70 लाख तक हो सकती है। इस हिसाब से निवेश की वसूली 6 साल में संभव है।
भारत में सोलर बिजनेस के प्रमुख क्षेत्र
आज के समय में भारत में सोलर बिजनेस सिर्फ बिजली उत्पादन तक सीमित नहीं है। इसमें सोलर प्रोडक्ट्स की बिक्री, सोलर डिजाइन और कंसल्टेंसी, सोलर लीजिंग, फाइनेंसिंग, और एनर्जी मॉनिटरिंग जैसे कई अन्य क्षेत्र शामिल हो चुके हैं। ये सभी क्षेत्र न केवल उद्यमियों के लिए नई संभावनाएं खोलते हैं, बल्कि स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा देते हैं।
सरकारी सब्सिडी और योजनाओं से मिल रहा है बढ़ावा
भारत सरकार की विभिन्न योजनाएं जैसे PM-KUSUM, MNRE सब्सिडी और स्टेट लेवल इंसेंटिव्स इस बिजनेस को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही हैं। इससे छोटे निवेशकों और नए उद्यमियों को भी सोलर सेक्टर में प्रवेश करना आसान हो गया है। सरकारी मदद से लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है, जिससे यह एक आकर्षक व्यवसाय बन जाता है।
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