
2025 मे सोलर कंपनियों में निवेश करना सबसे ज्यादामंद साबित हो सकता है। क्योंकि भारत जैसे देश मे Renewable Energy सेक्टर मे आ रहे बदलाव क्रांतिकारी और सरकार की अनेक योजनाए और टेक्नोलॉजी की तेज गति ने इस क्षेत्र को निवेश के हिसाब मे ओर अधिक आकर्षक बना लिया है। अक्सर घरेलू और औद्योगिक दोनों स्तरों पर सोलर ऊर्जा की मांग में तेजी देखी जा रही है। ऐसे में यह सही वक्त है जब निवेशक इस बढ़ते हुए सेक्टर का हिस्सा बनकर जबरदस्त रिटर्न कमा सकते हैं।
गोरमेंट्स की जबरदस्त स्कीम
देश मे सरकार की तरफ से सोलर सेक्टर को लेकर कई तरह की योजनाए बनाई जा रही है, जिससे सोलर कंपनियों की नीव और भी मजबूत बन जाती है। इसके अलावा प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना (PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana) के माध्यम से भी करीबन 1 करोड़ घरों मे सोलर पैनल लगाने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही इस योजना के तहत उपभोक्ताओं को प्रति माह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली और ₹78,000 तक की सब्सिडी दी जा रही है, जिससे सोलर उत्पाद निर्माताओं और EPC कंपनियों के कारोबार को जबरदस्त बढ़ावा मिला है।
साथ ही PM KUSUM YOJANA पीएम-कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को सोलर पंप और ग्रिड से जुड़े सोलर प्लांट्स लगाने पर 60% तक की सब्सिडी दी जा रही है। इस स्कीम ने न केवल कृषि क्षेत्र में लागत को घटाया है, बल्कि सोलर सेक्टर को एक नया और विशाल ग्राहक वर्ग भी उपलब्ध कराया है।
शेयर बाजार मे चमक रहे Renewable Energy स्टॉक
2025 की शुरुआत से ही सोलर और Renewable Energy आधारित कंपनियों के शेयरों में बेजोड़ उछाल देखा गया है। प्रमुख कंपनियाँ जैसे Suzlon Energy और JSW Energy, निवेशकों की पहली पसंद बनकर उभरी हैं।
Suzlon Energy को वित्त वर्ष 2026 (FY26) के लिए ₹83 का टारगेट प्राइस मिला है, जो इसकी सुदृढ़ ऑर्डर बुक और Renewable Energy सेक्टर में मजबूत पकड़ को दर्शाता है। वहीं JSW Energy को ₹592 का टारगेट दिया गया है, जो इसके स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में विस्तार की पुष्टि करता है। इन कंपनियों के प्रदर्शन ने यह साफ कर दिया है कि सोलर सेक्टर में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए यह समय सबसे अधिक लाभदायक है।
कोयले से सौर ऊर्जा की और लगाव
वर्तमान समय मे देखा जाए तो भारत देश मे कोयले का उत्पादन लगातार घट रहा है और Renewable Energy की मांग तेजी से बढ़ रही है। इसके अलावा 2025 में कोयले से बिजली उत्पादन में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई, जबकि सोलर और अन्य नवीकरणीय स्रोतों से उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया।
यह ट्रेंड न केवल पर्यावरण के लिहाज़ से अच्छा है, बल्कि निवेशकों को यह भी संकेत देता है कि आने वाले वर्षों में सोलर ऊर्जा की मांग में और तेज़ी आएगी। सरकार और डिस्कॉम कंपनियों का रुझान अब स्पष्ट रूप से सोलर एनर्जी की ओर होता जा रहा है, जिससे इस सेक्टर में निवेश के नए अवसर खुल रहे हैं।
PLI योजना ने सोलर मैन्युफैक्चरिंग को दी रफ्तार
सरकार द्वारा शुरू की गई उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (PLI Scheme) ने भारत में सोलर उपकरणों के स्थानीय निर्माण को नई दिशा दी है। इस योजना के तहत सोलर सेल्स और मॉड्यूल्स का घरेलू स्तर पर निर्माण बढ़ा है, जिससे विदेशी आयात पर निर्भरता घटी है और लागत में भी कटौती हुई है।
यह पहल भारत को आत्मनिर्भर बनाने की ओर एक अहम कदम है, साथ ही यह निवेशकों को विश्वास दिलाता है कि भविष्य में यह सेक्टर निरंतर लाभ कमाने की स्थिति में रहेगा। घरेलू कंपनियाँ अब वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी टिकने की स्थिति में हैं, जो कि निवेशकों के लिए बेहद सकारात्मक संकेत है।
Power Purchase Agreements से मिल रहा स्थिर रिटर्न
सोलर प्रोजेक्ट्स में निवेश करने वाले निवेशकों को Power Purchase Agreements (PPAs) के माध्यम से स्थिर और दीर्घकालिक रिटर्न की संभावना मिलती है। ये एग्रीमेंट्स 10 से 20 वर्षों के लिए तय होते हैं, जिसमें पहले से निर्धारित दरों पर बिजली खरीदी जाती है।
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यह मॉडल उन निवेशकों के लिए आदर्श है जो कम जोखिम में नियमित और सुनिश्चित रिटर्न चाहते हैं। ऐसे लॉन्ग-टर्म अनुबंध न केवल निवेश को सुरक्षित बनाते हैं, बल्कि सोलर सेक्टर में व्यावसायिक स्थिरता भी सुनिश्चित करते हैं।
आम लोग भी कमा सकते हैं मुनाफा
सिर्फ इन्वेस्टर ही नहीं बल्कि आम लोग भी इस सोलर पैनल एनर्जी को अपने घर मे लगाकर अपने बिजली लागत को काम कर सकते हैं। क्योंकि यह सोलर पैनल्स आपके घरेलू बिजली बिलों में 70% तक की बचत करता है। और साथ ही नेट मीटरिंग के जरिए एक्स्ट्रा बिजली को ग्रिड में बेचकर आप अच्छे पैसा कमा सकते हैं।
यह लाभ न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे पर्यावरणीय जागरूकता और स्वच्छ ऊर्जा की ओर नागरिकों की भागीदारी भी बढ़ रही है। भारत में सोलर ऊर्जा अब केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता बनती जा रही है।