
रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy के प्रति लोगों का झुकाव तेजी से बढ़ रहा है, खासकर जब बात सोलर एनर्जी और सरकारी सब्सिडी की होती है। केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही PM Kusum Yojana और अन्य सोलर सब्सिडी योजनाएं किसानों और आम नागरिकों को सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। लेकिन जहां एक ओर सरकार हर संभव प्रयास कर रही है कि अधिक से अधिक लोग इन योजनाओं का लाभ उठा सकें, वहीं दूसरी ओर कुछ धोखेबाज इस पहल का फायदा उठाकर भोले-भाले नागरिकों को चूना लगाने में लगे हैं।
बढ़ती ठगी की घटनाएं और फर्जी वेबसाइट्स का जाल
देशभर में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां सोलर इंस्टॉलेशन और सब्सिडी के नाम पर लोगों से पैसे ठगे गए हैं। खासतौर पर PM Kusum Yojana के तहत सब्सिडी दिलाने का झांसा देकर ठगी की जा रही है। जालसाज फर्जी वेबसाइट्स बना लेते हैं, जो देखने में पूरी तरह सरकारी पोर्टल जैसी लगती हैं। इन पर आवेदन शुल्क, प्रोसेसिंग फीस या एडवांस पेमेंट के नाम पर लोगों से ऑनलाइन पैसे लिए जाते हैं।
इन वेबसाइट्स का सरकार से कोई वास्ता नहीं होता, लेकिन आम लोगों को यह फर्क समझ नहीं आता और वे अपनी मेहनत की कमाई गंवा बैठते हैं। कुछ मामलों में ठग खुद को सरकारी अधिकारी बताकर कॉल करते हैं और सोलर पंप या सोलर पैनल की सब्सिडी दिलाने का वादा करते हैं। इसके लिए वे लोगों से बैंक डिटेल्स, ओटीपी या आधार नंबर जैसी संवेदनशील जानकारी मांगते हैं, जिसे बाद में गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाता है।
सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स से भी फैल रहा फर्जीवाड़ा
आजकल सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स पर “फ्री सोलर पैनल” या “100% सब्सिडी स्कीम” जैसे विज्ञापन खूब चल रहे हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि सरकार की ओर से इस तरह की कोई योजना नहीं चलाई जा रही है। असल में यह सब ठगी का एक और तरीका है, जहां लोगों को लालच देकर फंसाया जाता है।
इसके अलावा, कुछ निजी कंपनियां भी बिना सरकारी अनुमति के सोलर प्रोडक्ट्स बेच रही हैं। वे उपभोक्ताओं को यह भरोसा दिलाती हैं कि इंस्टॉलेशन के बाद उन्हें सब्सिडी मिलेगी। जब उपभोक्ता सब्सिडी के लिए अप्लाई करते हैं तो उन्हें पता चलता है कि कंपनी या विक्रेता MNRE या स्थानीय DISCOM से मान्यता प्राप्त नहीं है, और उनका आवेदन रद्द कर दिया जाता है।
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ठगी से बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय
सबसे पहले यह जरूरी है कि आप किसी भी प्रकार की सरकारी योजना के लिए केवल आधिकारिक वेबसाइट पर ही जाएं। MNRE (Ministry of New and Renewable Energy) की वेबसाइट www.mnre.gov.in और राष्ट्रीय सोलर पोर्टल solarrooftop.gov.in पर ही सभी प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध होती है।
अगर कोई व्यक्ति या संस्था कॉल, ईमेल या मैसेज के जरिए ओटीपी, बैंक खाता संख्या या अन्य व्यक्तिगत जानकारी मांगे, तो उसे किसी भी हाल में साझा न करें। कोई भी सरकारी एजेंसी इस तरह की जानकारी फोन पर नहीं मांगती।
साथ ही, किसी भी सोलर इंस्टॉलेशन से पहले यह सुनिश्चित करें कि विक्रेता MNRE या राज्य के DISCOM से मान्यता प्राप्त हो। मान्यता प्राप्त विक्रेताओं की सूची संबंधित राज्य की DISCOM की वेबसाइट पर उपलब्ध होती है।
इसके अलावा, इंस्टॉलेशन से पहले सभी कागजात और समझौते ध्यानपूर्वक पढ़ें। कोई भी भुगतान करने से पहले स्पष्ट रूप से शर्तों और प्रक्रियाओं को समझ लें। अत्यधिक सब्सिडी वाले या ‘फ्री ऑफर’ वाले विज्ञापनों से सतर्क रहें क्योंकि सरकार कभी भी 100% फ्री सोलर पैनल नहीं देती।
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कहां करें शिकायत और कहां से लें सहायता
अगर आप किसी सोलर फ्रॉड का शिकार हुए हैं या किसी संदिग्ध वेबसाइट या कॉल की जानकारी देना चाहते हैं, तो निम्नलिखित प्लेटफॉर्म आपकी मदद कर सकते हैं:
MNRE हेल्पलाइन: 1800-180-3333
PM Kusum Yojana की जानकारी: www.mnre.gov.in
साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल: cybercrime.gov.in
इन माध्यमों के जरिए आप अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं और जरूरी कानूनी कार्रवाई के लिए सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
क्यों जरूरी हैं सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विक्रेता
सिर्फ मान्यता प्राप्त विक्रेताओं से ही सोलर पैनल इंस्टॉलेशन करवाना सुरक्षित और व्यावहारिक होता है। ये विक्रेता सरकारी मानकों के अनुरूप काम करते हैं और यदि किसी प्रकार की गड़बड़ी होती है तो उपभोक्ता उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है।
मान्यता प्राप्त विक्रेता ही यह सुनिश्चित करते हैं कि इंस्टॉलेशन के बाद सब्सिडी की प्रक्रिया सरल और पारदर्शी हो। अगर आप उत्तराखंड, देहरादून या किसी अन्य राज्य में सोलर इंस्टॉलेशन करवाना चाहते हैं, तो संबंधित DISCOM वेबसाइट या MNRE पोर्टल पर जाकर जानकारी हासिल कर सकते हैं।
वीडियो और डिजिटल अभियान से बढ़ रही जागरूकता
सरकार और विभिन्न एजेंसियां समय-समय पर जागरूकता वीडियो भी जारी करती हैं, जिनमें सोलर फ्रॉड के तरीकों को दिखाया जाता है। ऐसे वीडियो देखकर आम लोग यह समझ सकते हैं कि असली और नकली योजना में क्या फर्क होता है और कैसे वे खुद को इन जालसाजों से बचा सकते हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर यह सामग्री आजकल आसानी से उपलब्ध है और इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को देखना चाहिए।