
देश में Renewable Energy की मांग तेजी से बढ़ रही है और इसी के साथ सोलर सिस्टम (Solar System) की स्थापना भी अब आम हो गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोलर पैनल लगवाते समय की गई एक छोटी सी गलती न केवल आपकी जेब पर भारी पड़ सकती है बल्कि यह शारीरिक परेशानियों का भी कारण बन सकती है? विशेषज्ञों के अनुसार, सोलर सिस्टम की गलत स्थापना से उत्पादन क्षमता तो घटती ही है, वहीं कुछ मामलों में इसके अप्रत्यक्ष प्रभाव जैसे सिर दर्द (Headache) और तनाव भी देखने को मिल सकते हैं।
गलत ओरिएंटेशन से कम हो सकता है बिजली उत्पादन
सोलर सिस्टम की स्थापना में सबसे पहली और बड़ी गलती होती है — गलत ओरिएंटेशन। पैनल यदि उत्तर दिशा की ओर हैं या उस दिशा में जहां सूर्य की रोशनी कम समय तक पड़ती है, तो इससे पावर जनरेशन पर सीधा असर पड़ता है। सौर ऊर्जा को अधिकतम प्राप्त करने के लिए पैनल का झुकाव और दिशा बेहद महत्वपूर्ण होती है। यदि इन्हें स्थानीय भौगोलिक स्थिति के अनुसार न सेट किया जाए, तो सिस्टम क्षमता से काफी कम उत्पादन करता है, जिससे निवेश पर अपेक्षित रिटर्न नहीं मिल पाता।
आकार में चूक: पैनल, बैटरी और इन्वर्टर की ग़लत कैलकुलेशन
कई उपभोक्ता बिना सही लोड कैलकुलेशन के सिस्टम खरीद लेते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपके घर की दैनिक खपत 10 यूनिट है लेकिन आपने 3 किलोवॉट की प्रणाली ले ली, तो यह या तो आपकी ज़रूरत से कम निकलेगी या ओवरप्रोडक्शन कर उपयोग न होने पर वेस्ट हो जाएगी। इन्वर्टर का सही चयन और बैटरी बैंक की क्षमता भी महत्वपूर्ण है। एक छोटी इन्वर्टर यदि बड़े पैनलों के साथ लगाई जाती है, तो यह ओवरलोड होकर जल्दी खराब हो सकती है।
छायांकन बना सकता है 50% तक नुकसान का कारण
सोलर पैनल को खुली और धूपदार जगह में लगाया जाना चाहिए। लेकिन कई बार पेड़, पास की इमारतें या छत की दूसरी संरचनाएं इनके ऊपर छाया डाल देती हैं। यह छायांकन केवल एक पैनल नहीं बल्कि पूरे सिस्टम के उत्पादन को प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि छाया के कारण उत्पादन में 50% तक की गिरावट देखी गई है, जो बहुत ही चिंता का विषय है। इसीलिए स्थापना से पहले साइट सर्वेक्षण बेहद जरूरी है।
खराब माउंटिंग से होती है सुरक्षा और दीर्घकालिकता पर चोट
सिर्फ पैनल और बैटरी ही नहीं, उन्हें संभालने वाला ढांचा यानी माउंटिंग स्ट्रक्चर भी उतना ही जरूरी है। कई बार लोग सस्ते विकल्प चुन लेते हैं जो थोड़ी बारिश या हवा में हिलने लगते हैं या टूट जाते हैं। खराब इंस्टॉलेशन न केवल बिजली उत्पादन को प्रभावित करता है, बल्कि दुर्घटना का कारण भी बन सकता है। अच्छी क्वालिटी के जंगरोधी और मजबूत स्ट्रक्चर का प्रयोग हमेशा जरूरी होता है।
यह भी पढें-घर की बिजली खपत के हिसाब से कितने kW का सोलर पैनल लगवाना चाहिए? ऐसे करें कैलकुलेशन
सिर दर्द और सौर गतिविधियाँ: क्या है कोई संबंध?
यह जानकर आप हैरान हो सकते हैं कि वैज्ञानिक अध्ययनों में यह देखा गया है कि सूर्य पर होने वाली तीव्र सौर गतिविधियाँ जैसे सोलर स्टॉर्म या भू-चुंबकीय गड़बड़ी (Geomagnetic Disturbance), कुछ लोगों में सिर दर्द या माइग्रेन को ट्रिगर कर सकती हैं। हालांकि, यह संबंध अभी तक पूरी तरह से प्रमाणित नहीं हुआ है, लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार हाई सोलर एक्टिविटी के समय पर कई लोगों ने सिर दर्द, बेचैनी और एकाग्रता में कमी की शिकायत की है। इससे यह स्पष्ट होता है कि हमारे वातावरण की गतिविधियाँ शरीर पर भी असर डाल सकती हैं।
यह भी पढें-Solar और Wind का कॉम्बो सिस्टम = 24×7 Power Without Grid
विशेषज्ञों की सलाह: कैसे बचें इन गलतियों से
यदि आप अपने घर या व्यवसाय के लिए सोलर सिस्टम लगाने की सोच रहे हैं तो सबसे पहला कदम होना चाहिए — प्रोफेशनल सलाह लेना। विशेषज्ञ आपकी ऊर्जा आवश्यकताओं, स्थान की स्थिति और छायांकन के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त प्रणाली का सुझाव दे सकते हैं। साइट सर्वेक्षण कराकर यह देखा जा सकता है कि पैनलों पर पूरे दिन सूर्य की रोशनी मिल रही है या नहीं।
साथ ही, सिस्टम के सभी घटकों — सोलर पैनल, इन्वर्टर और बैटरी — का आकार ऊर्जा खपत के अनुसार तय किया जाना चाहिए। एक बार लग जाने के बाद यह बदलाव मुश्किल और महंगा हो सकता है। वहीं, माउंटिंग स्ट्रक्चर और इंस्टॉलेशन की गुणवत्ता से समझौता न करें क्योंकि यह आपकी सुरक्षा और निवेश दोनों के लिए जरूरी है।
सरकार की योजनाओं का भी लें लाभ
भारत सरकार की ओर से सोलर सिस्टम पर सब्सिडी (Subsidy) और आसान लोन की सुविधा दी जाती है। इसके अलावा, कई राज्य सरकारें भी अपने-अपने स्तर पर Renewable Energy को बढ़ावा देने के लिए योजनाएँ चला रही हैं। इसलिए स्थापना से पहले संबंधित विभाग या पोर्टल से जानकारी जरूर लें।