
आज के समय में Renewable Energy की ओर झुकाव तेजी से बढ़ रहा है और भारत में भी लाखों घरों की छतों पर सौर पैनल (Solar Panel) लग चुके हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि केवल पैनल लगवा लेना ही पर्याप्त नहीं है? सौर पैनल की नियमित सफाई उनकी कार्यक्षमता, दीर्घायु और ऊर्जा उत्पादन को बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है। समय-समय पर सफाई न करने से पैनलों पर जमा धूल, पत्तियाँ और अन्य मलबा सूर्य की किरणों को अवरुद्ध कर देता है, जिससे बिजली उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
साल में कितनी बार होनी चाहिए सौर पैनल की सफाई?
सौर पैनलों की सफाई की आवृत्ति इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस तरह के पर्यावरण में रह रहे हैं। यदि आप सामान्य शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं, जहाँ प्रदूषण और धूल का स्तर औसत है, तो साल में दो से चार बार सौर पैनलों की सफाई करना पर्याप्त हो सकता है।
लेकिन यदि आप राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश या ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहाँ धूलभरी आंधियाँ और प्रदूषण ज्यादा होता है, तो सफाई की दर को तीन से छह महीनों में एक बार कर देना चाहिए। इससे सुनिश्चित होगा कि पैनल की सतह पर जमी गंदगी उनके प्रदर्शन में रुकावट न बन सके।
वर्षा प्रधान क्षेत्रों में भी जरूरी है निरीक्षण
अक्सर लोग सोचते हैं कि जिन क्षेत्रों में वर्षा अधिक होती है, वहाँ पैनलों की सफाई की ज़रूरत नहीं पड़ती क्योंकि बारिश उन्हें धो देती है। यह धारणा आंशिक रूप से सही है, लेकिन बारिश के बावजूद मिट्टी, कीचड़, पक्षियों की बीट और पत्तियाँ पैनलों पर जम सकती हैं। इसलिए वर्षा प्रधान क्षेत्रों में भी साल में कम से कम एक से दो बार पैनलों का निरीक्षण और आवश्यकतानुसार सफाई करनी चाहिए।
सौर पैनल की सफाई करते समय बरतें ये सावधानियाँ
सौर पैनल की सफाई करते समय सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। सबसे पहले सोलर सिस्टम को बंद कर दें ताकि कोई भी इलेक्ट्रिक खतरा न हो। यदि आप छत पर जाकर सफाई कर रहे हैं तो उचित सुरक्षा उपाय जैसे सेफ्टी बेल्ट, नॉन-स्लिप शूज़ आदि का प्रयोग करें।
इसके अलावा, सही उपकरणों का चयन भी अहम है। कभी भी हार्ड ब्रश या रासायनिक क्लीनर का उपयोग न करें क्योंकि ये पैनल की ग्लास सतह को नुकसान पहुँचा सकते हैं। मृदु ब्रश, माइक्रोफ़ाइबर कपड़ा और हल्के साबुन मिले पानी का प्रयोग सबसे उपयुक्त होता है।
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समय का सही चयन: सुबह या ठंडे दिन
सौर पैनल की सफाई का सबसे अच्छा समय सुबह का होता है जब सूरज की रोशनी तीव्र नहीं होती और पैनल गर्म नहीं होते। गर्म सतह पर पानी डालने से ग्लास पर दाग पड़ सकते हैं और सफाई ठीक से नहीं हो पाती। ठंडे दिन या सुबह के समय सफाई करने से पानी जल्दी सूखता नहीं और पैनलों पर निशान भी नहीं बनते।
नियमित निरीक्षण और देखरेख से मिलेगा अधिकतम लाभ
सिर्फ सफाई ही नहीं, नियमित निरीक्षण भी जरूरी है। कई बार पैनलों की वायरिंग ढीली हो जाती है या फिर पक्षी घोंसले बना देते हैं जिससे सिस्टम बाधित हो सकता है। हर तीन से छह महीने में एक बार विशेषज्ञ से निरीक्षण करवाने से आपका सोलर सिस्टम पूरी क्षमता से काम करता रहेगा और लंबी अवधि तक टिकेगा।
सफाई न करने पर क्या हो सकते हैं नुकसान?
यदि सौर पैनलों की नियमित सफाई नहीं की जाती है, तो उनके ऊर्जा उत्पादन में 20 से 30 प्रतिशत तक की गिरावट देखी जा सकती है। धूल और गंदगी सूरज की रोशनी को अवशोषित करने में बाधा उत्पन्न करती हैं, जिससे आपके द्वारा Generate की जा रही बिजली कम हो जाती है। इसका सीधा असर आपके बिजली बिलों और Return on Investment (ROI) पर पड़ता है।
तकनीक का सहारा: ऑटोमैटिक क्लीनिंग सिस्टम
यदि आप बड़ी सौर प्रणाली का संचालन कर रहे हैं तो ऑटोमैटिक क्लीनिंग सिस्टम भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। ये सिस्टम निर्धारित समय पर पैनलों की सफाई करते हैं और मैन्युअल प्रयास को काफी हद तक कम कर देते हैं। हालांकि ये थोड़ा महंगा हो सकता है, लेकिन लंबी अवधि में यह लागत को वसूल कर लेता है।ने हजारों की बिजली बर्बाद कर रहे हैं! अब जानिए कैसे सिर्फ 10 मिनट की सफाई से बढ़ेगा पैनल का पावर आउटपुट और घटेगा आपका बिजली बिल — पढ़ें पूरी गाइड!