
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश जैसे इलाकों में सोलर पैनल की झुकाव (Tilt) और दिशा (Orientation) का सही निर्धारण सोलर सिस्टम की दक्षता और बिजली उत्पादन को अधिकतम करने के लिए बेहद अहम हो गया है। रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy की बढ़ती मांग और ग्रीन एनर्जी के प्रति सरकार की नीतियों के चलते अब आम लोग भी अपने घरों और व्यावसायिक भवनों में सोलर सिस्टम लगा रहे हैं। ऐसे में पैनलों की सही दिशा और झुकाव से ही यह तय होता है कि आपको पूरे वर्ष भर में कितनी अधिक सौर ऊर्जा (Solar Power) प्राप्त होगी।
क्यों जरूरी है सोलर पैनलों की दिशा और झुकाव की सटीक सेटिंग?
भारत उत्तरी गोलार्ध में स्थित है, इसलिए सूर्य की किरणें दक्षिण दिशा से सीधी पड़ती हैं। ऐसे में अगर सोलर पैनलों को दक्षिण की ओर सेट किया जाए, तो वे दिन भर सूर्यप्रकाश को अधिकतम मात्रा में अवशोषित कर सकते हैं। इससे न केवल बिजली उत्पादन बढ़ता है, बल्कि सिस्टम की समग्र दक्षता (Efficiency) में भी काफी इजाफा होता है।
दूसरी ओर, झुकाव या Tilt Angle यह सुनिश्चित करता है कि सूर्य की किरणें पैनल की सतह पर किस कोण से पड़ेंगी। यदि यह झुकाव बहुत अधिक या बहुत कम है, तो किरणें सीधी न पड़ पाने के कारण बिजली उत्पादन में 10% से लेकर 30% तक की गिरावट आ सकती है। इसलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि स्थान के भौगोलिक अक्षांश (Latitude) के अनुसार सही झुकाव तय किया जाए।
गाजियाबाद के लिए क्या है आदर्श झुकाव और दिशा?
गाजियाबाद का अक्षांश लगभग 28.6 डिग्री है, जो इसे भारत के उत्तरी मैदानी भागों में एक प्रमुख शहर बनाता है। यहां सोलर पैनलों के लिए निम्नलिखित दिशा और झुकाव सबसे अधिक उपयुक्त माने जाते हैं।
दिशा की बात करें तो हमेशा पैनलों को दक्षिण की ओर स्थापित करना चाहिए। इससे पूरे दिन भर की रोशनी और ऊर्जा का अधिकतम उपयोग संभव हो पाता है।
जहां तक झुकाव की बात है, दो विकल्प मौजूद हैं – स्थायी झुकाव और मौसमी समायोजन।
स्थायी झुकाव (Fixed Tilt) की स्थिति में आदर्श कोण
यदि आप पैनलों को एक ही झुकाव पर स्थायी रूप से सेट करना चाहते हैं, तो 24.9 डिग्री का कोण गाजियाबाद के लिए आदर्श है। यह कोण सूर्य के वर्ष भर के औसत पथ को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है और इससे पूरे वर्ष लगभग संतुलित बिजली उत्पादन संभव होता है।
मौसमी समायोजन (Seasonal Adjustment) से बढ़ेगा उत्पादन
अगर आपके पास पैनलों को वर्ष में दो बार समायोजित करने की सुविधा है, तो उत्पादन को और भी अधिक बढ़ाया जा सकता है। इस दृष्टि से गाजियाबाद के लिए निम्नलिखित मौसमी झुकाव उपयुक्त होंगे:
गर्मी के मौसम में (मार्च से अगस्त): पैनलों को लगभग 5 डिग्री के झुकाव पर रखना चाहिए, ताकि ऊँचे कोण पर चढ़ते सूर्य की किरणें सीधी पैनल पर पड़ें।
सर्दी के मौसम में (नवंबर से फरवरी): सूर्य की स्थिति नीचे होती है, इसलिए झुकाव बढ़ाकर 44 डिग्री तक किया जाना चाहिए।
वसंत और शरद ऋतु (मार्च-अप्रैल और सितंबर-अक्टूबर): इन महीनों में सूर्य का पथ मध्यम होता है, अतः 25 डिग्री का झुकाव उपयुक्त रहेगा।
इन मौसमी झुकावों को अपनाने से बिजली उत्पादन में औसतन 15% से 25% तक की वृद्धि देखी जा सकती है, विशेषकर उन दिनों में जब धूप की तीव्रता अधिक होती है।
गलत झुकाव से क्या हो सकते हैं नुकसान?
यदि सोलर पैनलों को गलत झुकाव या गलत दिशा में लगाया जाए, तो इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। सूर्य की किरणें अगर सीधी नहीं पड़तीं, तो पैनलों की दक्षता घट जाती है, जिससे बिजली उत्पादन में 10% से 30% तक की गिरावट देखी जा सकती है। उदाहरण के तौर पर, यदि झुकाव 45 डिग्री से अधिक या 10 डिग्री से कम है, तो सूर्य की किरणें पैनलों पर तिरछे पड़ती हैं, जिससे पावर आउटपुट प्रभावित होता है।
क्या है विशेषज्ञों की राय और तकनीकी सुझाव?
ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत जैसे सौर संपन्न देश में पैनलों की दिशा और झुकाव का सही चयन हर सोलर इंस्टॉलेशन की बुनियाद होनी चाहिए। तकनीकी तौर पर, अधिकतम सौर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए स्थानीय अक्षांश को ध्यान में रखते हुए पैनलों का कोण तय करना चाहिए।
यदि आपके पास सोलर ट्रैकिंग सिस्टम लगाने का बजट नहीं है, जो सूर्य के साथ झुकाव स्वतः बदलता है, तो मौसमी समायोजन वाला सिस्टम एक अच्छा विकल्प हो सकता है। वहीं स्थायी झुकाव की व्यवस्था साधारण घरों और छोटे व्यवसायों के लिए अधिक व्यावहारिक और किफायती रहती है।
गाजियाबाद में सोलर सिस्टम लगाने वालों के लिए सुझाव
यदि आप गाजियाबाद में सोलर सिस्टम लगाने की योजना बना रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपका इंस्टॉलर पैनलों की दिशा दक्षिण और झुकाव 24.9 डिग्री पर सेट करे। यदि मौसम के अनुसार समायोजन संभव है, तो उपरोक्त बताये गए झुकाव का पालन जरूर करें। इससे आप अपने सोलर सिस्टम की दक्षता को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं।
इसके अलावा, सरकार की ओर से चल रही सब्सिडी योजनाओं और नेट मीटरिंग विकल्पों की जानकारी लेकर अपने सिस्टम की लागत और लाभ दोनों को बेहतर बनाया जा सकता है।