
भारत में सोलर पैनल की कीमतें (Solar Panel Prices in India 2025) एक बार फिर सुर्खियों में हैं। पिछले कुछ वर्षों में जहां इनकी कीमतों में निरंतर गिरावट देखने को मिली थी, वहीं अब विशेषज्ञों और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स के अनुसार आने वाले महीनों में इन कीमतों में तेज़ वृद्धि हो सकती है। इस संभावित बढ़ोतरी ने आम उपभोक्ताओं से लेकर नीति-निर्माताओं तक को सतर्क कर दिया है।
वर्तमान सोलर पैनल कीमतें: भारत का परिदृश्य
वर्तमान में भारत में सोलर पैनलों की औसत कीमत ₹70 से ₹80 प्रति वॉट है। यह दर पैनल के प्रकार (जैसे Mono, Poly, Bifacial), उसकी क्षमता, ब्रांड और इंस्टॉलेशन सेवाओं पर निर्भर करती है। सस्ती दरों की वजह से बीते वर्षों में घरेलू और वाणिज्यिक दोनों ही उपभोक्ता तेजी से Renewable Energy की ओर अग्रसर हुए हैं।
हालांकि, Freyr Energy की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अब इस स्थिरता पर संकट मंडरा रहा है। 2025 में वैश्विक बाजार के रुझानों के मद्देनज़र, भारत में भी कीमतों में बढ़ोतरी की पूरी संभावना है।
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वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और उत्पादन में बदलाव
इस मूल्य वृद्धि के पीछे मुख्य कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में आया असंतुलन है। चीन, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा सोलर मॉड्यूल उत्पादक है, वहां उत्पादन में कटौती और मैन्युफैक्चरिंग लागत में वृद्धि देखी गई है। इसका सीधा असर वैश्विक कीमतों पर पड़ा है।
pv magazine International की रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक स्तर पर सोलर मॉड्यूल की कीमतें अब फिर से $0.12 से $0.15 प्रति वॉट तक पहुंच सकती हैं। यह बढ़ोत्तरी भारत में आयातित पैनलों की लागत को सीधे प्रभावित करेगी, क्योंकि भारत अब भी अपने अधिकांश सोलर पैनल चीन से आयात करता है।
उच्च तकनीक वाले मॉड्यूल्स की मांग में इज़ाफा
2025 की कीमतों में संभावित वृद्धि का एक अन्य कारण नई तकनीक आधारित मॉड्यूल्स की ओर झुकाव है। बाजार में TOPCon (Tunnel Oxide Passivated Contact) और HJT (Heterojunction Technology) जैसे हाई एफिशिएंसी पैनल्स की मांग तेजी से बढ़ी है। ये पैनल्स पारंपरिक Poly या Mono पैनलों की तुलना में महंगे होते हैं, लेकिन इनकी कार्यक्षमता अधिक होती है।
LinkedIn पर प्रकाशित एक विश्लेषण में बताया गया है कि इन तकनीकों को अपनाने से उत्पादन लागत में इज़ाफा हुआ है, जो उपभोक्ताओं तक ट्रांसफर की जा रही है।
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भारत में आयात निर्भरता की स्थिति
भारत अभी भी लगभग 70–80% सोलर पैनलों के लिए आयात पर निर्भर है। यह निर्भरता न केवल मूल्य को अस्थिर बनाती है, बल्कि बाजार को वैश्विक उतार-चढ़ाव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील भी बनाती है। भारत सरकार घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए “Make in India” और PLI स्कीम जैसी योजनाएं लागू कर चुकी है, लेकिन अभी भी ये पूरी तरह से आयात पर निर्भरता को खत्म नहीं कर पाई हैं।
उपभोक्ताओं के लिए सुझाव: निवेश का सही समय?
इन परिस्थितियों में यदि आप अपने घर या व्यवसाय के लिए सोलर पैनल लगाने की योजना बना रहे हैं, तो यह निर्णय जल्द लेने में ही समझदारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि निकट भविष्य में कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे कुल लागत में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हो सकती है।
भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही “पीएम सूर्य घर योजना” जैसी सब्सिडी योजनाएं उपभोक्ताओं को बड़ी राहत प्रदान कर सकती हैं। इसके अंतर्गत सोलर इंस्टॉलेशन पर सब्सिडी और आसान ऋण की सुविधा मिलती है, जिससे उच्च प्रारंभिक लागत का बोझ कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
घरेलू उत्पादकों को प्राथमिकता देने की अपील
सरकार और विशेषज्ञ यह सलाह दे रहे हैं कि उपभोक्ताओं को अब घरेलू निर्माताओं को प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे न केवल भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी बल्कि स्थानीय बाजार में प्रतिस्पर्धा और कीमतों पर नियंत्रण भी स्थापित हो सकेगा। इसके अलावा, घरेलू ब्रांड्स अब तकनीकी दृष्टि से भी काफी परिपक्व हो चुके हैं और गुणवत्ता के मामले में अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स को टक्कर देने में सक्षम हैं।
भविष्य की संभावनाएं और सरकार की रणनीति
भारत का लक्ष्य 2030 तक 280 GW सोलर क्षमता स्थापित करने का है। इसके लिए हर साल औसतन 30 से 40 GW नई क्षमता जोड़ी जानी होगी। यह लक्ष्य काफी महत्वाकांक्षी है और इसके लिए सरकार को निरंतर नीतिगत समर्थन, सब्सिडी योजनाएं और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना होगा।
InfoLink Consulting की रिपोर्ट बताती है कि भारत सरकार आने वाले वर्षों में कई नई योजनाएं लाने की तैयारी में है, जिनका उद्देश्य लागत को नियंत्रित रखते हुए रिन्यूएबल एनर्जी को सभी के लिए सुलभ बनाना है।