
भारत में बढ़ती बिजली दरों और रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) के प्रति जागरूकता के बीच अब आम उपभोक्ता भी अपने घरों को सोलर ऊर्जा से लैस करने की ओर बढ़ रहे हैं। यदि आपके घर में हर महीने लगभग 500 यूनिट (kWh) बिजली की खपत होती है, तो आपके लिए 5 kW क्षमता वाला ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम सबसे उपयुक्त और किफायती विकल्प बन सकता है।
1 किलोवाट सोलर सिस्टम कितनी बिजली बनाता है?
आमतौर पर, भारत में धूप की उपलब्धता को देखते हुए 1 किलोवाट (kW) क्षमता वाला सोलर सिस्टम प्रतिदिन औसतन 3 से 4 यूनिट बिजली का उत्पादन करता है। इस औसत उत्पादन के आधार पर, 5 किलोवाट का सोलर सिस्टम प्रतिदिन 20 यूनिट और प्रतिमाह लगभग 500 से 600 यूनिट तक बिजली बना सकता है। यह मात्रा किसी औसत भारतीय घर की मासिक खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। यह आंकड़ा Loom Solar और अन्य विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है।
5 किलोवाट ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम में क्या-क्या आता है?
5 किलोवाट ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम में प्रमुख तीन तकनीकी घटक होते हैं – सोलर पैनल, इन्वर्टर और वायरिंग। उच्च दक्षता वाले मोनोक्रिस्टलाइन (Monocrystalline) पैनल, जैसे कि 440W क्षमता वाले सोलर पैनल का उपयोग इस प्रणाली में किया जाता है। इसके साथ 5 kW का ऑन-ग्रिड इन्वर्टर होता है, जो सौर ऊर्जा को घर में उपयोग के लिए AC में रूपांतरित करता है। इसके अतिरिक्त DC और AC वायर, MC4 कनेक्टर्स जैसी गुणवत्ता वाली वायरिंग प्रणाली भी इसमें शामिल होती है। यह पूरी प्रणाली एक बार लग जाने के बाद 25 साल तक बिजली उत्पादन करती रहती है।
लागत कितनी आएगी और क्या मिलती है सब्सिडी?
भारत में 5 किलोवाट ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम की औसत लागत ₹4,22,000 के आसपास आती है। इसमें सोलर पैनल, इन्वर्टर, डिलीवरी, इंस्टॉलेशन और अन्य सामग्रियां शामिल होती हैं। हालांकि, सरकार की ओर से चलाई जा रही प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना (Pradhan Mantri Surya Ghar Muft Bijli Yojana) के अंतर्गत 3 kW से अधिक क्षमता वाले सिस्टम पर ₹78,000 तक की सब्सिडी दी जाती है। इसके अलावा पात्र परिवारों को बैंक ऋण पर रियायती ब्याज दरों का लाभ भी मिलता है। योजना का उद्देश्य है कि अधिक से अधिक लोग रिन्यूएबल एनर्जी की ओर बढ़ें और बिजली के खर्च में बचत करें। योजना की विस्तृत जानकारी Wikipedia पर उपलब्ध है।
छत की जगह और स्थान का ध्यान रखें
5 किलोवाट क्षमता के सोलर सिस्टम को स्थापित करने के लिए करीब 350 से 400 वर्ग फुट की छत की आवश्यकता होती है। यह जरूरी है कि छत पर कोई स्थायी छाया न हो और वह दक्षिण दिशा की ओर झुकी हो ताकि दिनभर अधिकतम सूर्य प्रकाश उपलब्ध हो सके। यदि छत इस मानक पर खरा उतरती है, तो बिजली उत्पादन में कोई बाधा नहीं आती।
नेट मीटरिंग का भी मिलेगा लाभ
उत्तर प्रदेश सहित देश के अधिकांश राज्यों में नेट मीटरिंग (Net Metering) की सुविधा उपलब्ध है। इसके तहत यदि आपके सोलर सिस्टम द्वारा उत्पन्न बिजली आपकी खपत से अधिक हो जाती है, तो अतिरिक्त बिजली ग्रिड को भेजी जा सकती है और इसके बदले में बिजली विभाग द्वारा क्रेडिट दिया जाता है। इस तरह उपभोक्ता को न केवल बिजली का बिल कम आता है, बल्कि कभी-कभी शून्य बिल या क्रेडिट भी प्राप्त होता है। यह व्यवस्था पर्यावरण के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी फायदेमंद साबित होती है।
सोलर सिस्टम से जुड़ी अन्य सेवाएं और इंस्टॉलेशन कंपनियां
यदि आप उत्तर प्रदेश में रहते हैं और सोलर सिस्टम लगवाने में रुचि रखते हैं, तो कई विश्वसनीय कंपनियां उपलब्ध हैं जो इंस्टॉलेशन से लेकर सब्सिडी क्लेम करने तक पूरी प्रक्रिया में सहायता करती हैं। इनमें कुछ कंपनियां सरकारी मान्यता प्राप्त भी हैं, जो ग्राहकों को गुणवत्ता सेवा और दीर्घकालिक वारंटी देती हैं। आप चाहें तो मैं आपको ऐसी कंपनियों की सूची और उनके संपर्क विवरण भी उपलब्ध करा सकता हूँ।
अब बिजली के बिल से मिलेगी राहत
यदि आप अपने घर की 500 यूनिट मासिक बिजली की खपत को पूरी तरह सौर ऊर्जा से पूरा करना चाहते हैं, तो 5 किलोवाट ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम आपके लिए बिल्कुल उपयुक्त है। सरकारी सब्सिडी, नेट मीटरिंग और बढ़ती बिजली दरों को देखते हुए यह निवेश न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि आपकी जेब के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है। एक बार सोलर सिस्टम लगवाने के बाद आप आने वाले 20–25 वर्षों तक मुफ्त या बेहद कम लागत में बिजली का उपयोग कर सकते हैं।