
सौर ऊर्जा को अधिक कुशलता से उपयोग में लाने के लिए वैज्ञानिक दशकों से नई तकनीकों पर काम कर रहे हैं। हालांकि, अब तक पारंपरिक सौर ऊर्जा प्रणाली केवल दिन के समय ही बिजली उत्पन्न कर सकती थी, जिससे इसकी सीमाएं स्पष्ट थीं। लेकिन, ह्यूस्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक नई तकनीक विकसित की है जो सौर ऊर्जा संग्रहण की दक्षता को वर्तमान सभी तकनीकों के रिकॉर्ड से आगे ले जाती है और इसे 24/7 बिजली उत्पादन करने में सक्षम बनाती है।
इस तकनीक को विकसित करने वाले शोधकर्ता प्रोफेसर बो झाओ और उनके छात्र सीना जाफरी घालेकोहने ने इसे “नॉन-रेसिप्रोकल सोलर थर्मोफोटोवोल्टेइक्स (NSTPV)” नाम दिया है। यह तकनीक मौजूदा सोलर थर्मोफोटोवोल्टेइक्स (STPV) सिस्टम की कमियों को दूर करती है, जिससे अधिकतम सौर ऊर्जा को संग्रहित किया जा सकता है।
कैसे काम करती है नई सोलर ऊर्जा प्रणाली?
पारंपरिक STPV सिस्टम में, एक मध्यवर्ती परत सौर प्रकाश को अवशोषित करके ऊष्मा ऊर्जा में परिवर्तित करती है, जिससे बिजली उत्पादन संभव होता है। हालांकि, इसमें एक बड़ी कमी यह थी कि यह परत ऊर्जा के कुछ हिस्से को वापस सूर्य की ओर विकीर्ण कर देती थी, जिससे इसकी दक्षता सीमित हो जाती थी।
NSTPV सिस्टम इस कमी को दूर करने के लिए एक नॉन-रेसिप्रोकल इंटरमीडिएट लेयर का उपयोग करता है, जो सौर ऊर्जा को वापस विकीर्ण करने के बजाय इसे पूरी तरह से सोलर सेल तक पहुंचाता है। इससे ऊर्जा हानि कम होती है और सिस्टम की दक्षता बढ़ जाती है। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह तकनीक सौर ऊर्जा के उपयोग की अधिकतम सैद्धांतिक सीमा (Landsberg Limit) तक पहुंच सकती है, जो अब तक की किसी भी तकनीक से अधिक है।
क्यों है यह तकनीक खास?
यह नई प्रणाली सिर्फ अधिक कुशल नहीं है, बल्कि यह कॉम्पैक्ट और अधिक लचीली भी है, जिससे इसे विभिन्न परिस्थितियों में उपयोग करना आसान हो जाता है। इसे थर्मल एनर्जी स्टोरेज सिस्टम के साथ जोड़कर 24 घंटे बिजली उत्पादन के लिए उपयोग किया जा सकता है।
अमेरिकी ऊर्जा विभाग और राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा प्रयोगशाला (NREL) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, सौर ऊर्जा 2035 तक अमेरिका की 40% बिजली आपूर्ति और 2050 तक 45% बिजली आपूर्ति प्रदान कर सकती है। लेकिन इसके लिए लागत में कटौती, नीति समर्थन और बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिफिकेशन की आवश्यकता होगी। NSTPV जैसी तकनीकें इस लक्ष्य को तेजी से प्राप्त करने में मदद कर सकती हैं।
इस सफलता से यह स्पष्ट होता है कि सौर ऊर्जा का भविष्य और भी उज्ज्वल है। अगर इस तकनीक को बड़े पैमाने पर लागू किया जाता है, तो यह पर्यावरण अनुकूल बिजली उत्पादन का नया युग शुरू कर सकती है, जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी और शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल किया जा सकेगा।