सोलर पैनलों से बढ़ रहा खतरा! संसद में उठी सौर कचरे पर नियम-कानून बनाने की मांग

सोलर पैनल्स से उत्पन्न होने वाले कचरे की समस्या अब गंभीर रूप ले रही है। संसद में इसके निपटारे के लिए नए नियमों की मांग तेज हो गई है। क्या सौर ऊर्जा के बढ़ते इस्तेमाल से यह समस्या और विकट हो जाएगी? जानें इस नई चिंता के बारे में जो भविष्य के पर्यावरण संकट का कारण बन सकती है।

Photo of author

Written by Rohit Kumar

Published on

सोलर पैनलों से बढ़ रहा खतरा! संसद में उठी सौर कचरे पर नियम-कानून बनाने की मांग
सोलर पैनलों से बढ़ रहा खतरा! संसद में उठी सौर कचरे पर नियम-कानून बनाने की मांग

जैसा की हम सभी जानते हैं, कि सौर पैनल (Solar Panels) को आमतौर पर स्वच्छ और हरित ऊर्जा (Renewable Energy) का स्रोत माना जाता है, लेकिन इसके बढ़ते उपयोग से एक नया पर्यावरणीय संकट सामने आ रहा है। सोलर पैनल के इस्तेमाल के बाद उत्पन्न होने वाला कचरा अब एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है। यह कचरा न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि इसके प्रबंधन के लिए एक रणनीति की जरूरत भी महसूस हो रही है। संसद के मानसून वर्ष में इस विषय पर सवाल उठाए गए, जहां केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने खा कि देश में 2030 तक सौर पैनल के कचरे के उत्पादन पर कोई वास्तविक अनुमान उपलब्ध नहीं है।

सौर पैनल कचरा बढ़ता संकट

सौर पैनल के कचरे का संकट बढ़ता जा रहा है, विशेष रूप से इसके जीवनकाल के बाद जब इन्हें निपटाना और पुनर्चक्रण (Recycling) जरूरी हो जाता है। इस कचरे का उचित प्रबंधन न होने की स्थिति में यह पर्यावरण में गंभीर प्रदूषण फैला सकता है। इसके प्रभाव से जल, वायु और मृदा की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, और यह पर्यावरणीय संकट का रूप ले सकता है। वहीं, सौर पैनल के उत्पादन और वितरण के दौरान भी काफी ऊर्जा की खपत होती है, जिससे यह ऊर्जा संसाधन को कुशलतापूर्वक उपयोग करने की चुनौती पैदा करता है।

नए ई-कचरा नियम और समाधान

सरकार ने सौर पैनल कचरे के सुरक्षित प्रबंधन के लिए कुछ कदम उठाए हैं। केंद्रीय मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि सरकार ने 2016 में बनाए गए ई-अपशिष्ट (ई-वेस्ट) प्रबंधन नियमों में बदलाव किया है और नवंबर 2022 में नए ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022 को लागू किया है, जो 1 अप्रैल 2023 से प्रभावी हो गए हैं। इन नए नियमों में सभी इलेक्ट्रॉनिक कचरे, जिसमें सौर पैनल भी शामिल हैं, को सुरक्षित तरीके से पुनर्चक्रित (रीसायकल) करने के लिए एक व्यवस्था बनाई गई है, जिसे “विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व” (Extended Producer Responsibility – EPR) कहा जाता है। इसके तहत, संबंधित निर्माता, उत्पादक और रीसायक्लिंग कंपनियों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के पोर्टल पर पंजीकरण कराना जरूरी होगा।

अनौपचारिक क्षेत्र को औपचारिक बनाना

नए नियमों का उद्देश्य सिर्फ कचरे के सुरक्षित निपटान को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि इस क्षेत्र में काम करने वाले अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को औपचारिक व्यवस्था में शामिल करना भी है। इससे उन्हें व्यवसायिक अवसर प्राप्त होंगे और उनके कार्य की सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। इन नियमों में पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति, सत्यापन और लेखा परीक्षा जैसे प्रावधान भी शामिल किए गए हैं, जिससे व्यवसायों की जिम्मेदारी तय की जा सके और पारदर्शिता बनी रहे।

Also Read1kW सोलर सिस्टम पर कितनी सब्सिडी मिलती है, आपको कितना पैसा देना होगा? जानें

1kW सोलर सिस्टम पर कितनी सब्सिडी मिलती है, आपको कितना पैसा देना होगा? जानें

सौर ऊर्जा की बढ़ती मांग और कचरे की समस्या

भारत में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिससे सौर पैनल के कचरे की समस्या भी बढ़ रही है। राज्यसभा में बिजली मंत्री ने बताया कि 2031-32 तक भारत की अधिकतम विद्युत मांग 388 गीगावाट तक पहुंच सकती है। सौर ऊर्जा जैसे विकल्प इस मांग को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन इसके साथ उत्पन्न होने वाले कचरे के उचित प्रबंधन के लिए अब नीति निर्माण की आवश्यकता है। सरकार ने चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए हैं, ताकि कचरे को संसाधन में बदलने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया जा सके।

सौर पैनल के पुनर्चक्रण की आवश्यकता

सौर पैनल के जीवनकाल के बाद उनका पुनर्निर्माण और पुनर्चक्रण आवश्यक हो जाता है। यदि इनका सही तरीके से निपटान न किया जाए, तो ये पर्यावरण में गंभीर प्रदूषण फैला सकते हैं। इसके लिए वैज्ञानिक तरीके से पुनर्चक्रण की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार की योजना है कि सौर पैनल जैसे उपकरणों का पुनर्चक्रण बेहतर तरीके से किया जाए, ताकि ये पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाएं और हरित ऊर्जा वास्तव में “हरित” बनी रहे।

भविष्य में नीति निर्धारण की आवश्यकता

जैसे-जैसे सौर ऊर्जा का विस्तार बढ़ेगा, सोलर पैनल कचरे की समस्या और भी गंभीर होती जाएगी। अब यह वक्त आ गया है, कि भारत को सौर पैनल कचरे के प्रबंधन के लिए पूर्ण रूप से पारदर्शी और प्रभावी नीति की आवश्यकता है। केवल सौर पैनल का उत्पादन ही नहीं, बल्कि उनके निपटान और दोबारा होने वाली रणनीति भी उतनी ही जरूरी है। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि सौर ऊर्जा का प्रभावी और पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।

Also ReadSuzlon Share Price: विंड टर्बाइन मॉडल्स के लिए नए सरकारी ड्राफ्ट से चमका Suzlon का शेयर, 4% की शानदार तेजी

सिर्फ एक सरकारी ड्राफ्ट और Suzlon के शेयर में जबरदस्त उछाल – 4% तक की बढ़त, अब कहां पहुंचेगा दाम?

Author
Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें