
भारत में खेती के लिए ऊर्जा की आवश्यकता दिन-ब-दिन बढ़ रही है, और इसी के साथ रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy स्रोतों की ओर रुझान भी तेजी से बढ़ा है। 2HP सोलर पैनल से चलने वाला वाटर पंप इस दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है, जो किसानों को न केवल डीजल की बढ़ती लागत से राहत देता है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है। इस लेख में हम 2HP सहित विभिन्न क्षमता के सोलर पंपों के लिए जरूरी सोलर पैनलों की संख्या, उनके संचालन की शर्तें, सब्सिडी और अन्य तकनीकी पहलुओं की गहन जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं।
सोलर वॉटर पंप के लिए कितने सोलर पैनल की आवश्यकता होती है?
सोलर वॉटर पंप को चलाने के लिए आवश्यक सोलर पैनलों की संख्या मुख्यतः पंप की क्षमता (Horsepower-HP), उसके प्रकार (AC या DC), आपके क्षेत्र में धूप की उपलब्धता और पंप कितने समय तक चलाना है, इन सब कारकों पर निर्भर करती है। उदाहरण के तौर पर, 2HP के पंप को चलाने के लिए लगभग 2400 वॉट की सोलर क्षमता की आवश्यकता होती है, जिसे आप 300W के 8 सोलर पैनल लगाकर पूरा कर सकते हैं।
इसी प्रकार 1HP के लिए 1200 वॉट और लगभग 4 पैनल, 5HP के लिए 4800 वॉट और करीब 16 पैनल, जबकि 10HP के लिए 9600 वॉट क्षमता और 32 पैनल की आवश्यकता पड़ती है। ये सभी आंकड़े अनुमानित हैं और स्थानीय जलवायु, पंप की दक्षता, वोल्टेज की जरूरतों तथा इंस्टॉलेशन के एंगल पर भी निर्भर करते हैं।
धूप की उपलब्धता और उसका प्रभाव
भारत के उत्तरी भागों में जैसे कि आगरा, उत्तर प्रदेश में औसतन 5 से 6 घंटे प्रतिदिन अच्छी धूप मिलती है। यह अवधि सोलर पंपिंग के लिए पर्याप्त मानी जाती है। हालांकि, मानसून या बादल वाले मौसम में सोलर पैनल की बिजली उत्पादन क्षमता घट जाती है, जिससे पंप की कार्यक्षमता भी प्रभावित हो सकती है। ऐसे समय में बैकअप की आवश्यकता महसूस होती है, जो सोलर सिस्टम को और अधिक खर्चीला बना देता है।
बैटरी की भूमिका और लागत
यदि आप चाहते हैं कि सोलर पंप रात के समय या कम धूप वाले दिनों में भी कार्य करे, तो बैटरी स्टोरेज सिस्टम का उपयोग करना अनिवार्य हो जाता है। हालांकि, यह सिस्टम महंगा होता है और इसके मेंटेनेंस की आवश्यकता भी अधिक होती है। आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में बैटरी का उपयोग तभी किया जाता है जब सोलर सिस्टम पूरी तरह से ऑफ-ग्रिड (बिजली लाइन से कटा हुआ) हो। इसलिए जब तक निरंतर पानी की आवश्यकता न हो, बैटरी को वैकल्पिक ही माना जाता है।
PM-कुसुम योजना: किसानों के लिए सुनहरा अवसर
भारत सरकार की PM-कुसुम योजना किसानों के लिए सोलर पंप इंस्टॉल करने का एक शानदार अवसर प्रदान करती है। इस योजना के तहत किसानों को कुल लागत का केवल 10% वहन करना होता है। 60% राशि सब्सिडी के रूप में दी जाती है जबकि बाकी 30% राशि बैंक ऋण के रूप में मिलती है। यह योजना किसानों की डीजल पर निर्भरता कम करती है और उनकी आय में वृद्धि का माध्यम बनती है। इससे ग्रामीण भारत में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy को बढ़ावा भी मिल रहा है।
किस पंप का चयन करें – AC या DC?
सोलर पंप मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं – AC पंप और DC पंप। DC पंप सीधे सोलर पैनलों से जुड़ सकते हैं और इनका ऊर्जा रूपांतरण नुकसान न्यूनतम होता है, जिससे यह अधिक एफिशिएंट होते हैं। वहीं, AC पंप में इन्वर्टर की आवश्यकता होती है, जिससे लागत थोड़ी बढ़ जाती है। लेकिन AC पंप उच्च क्षमता वाले होते हैं और बड़े सिंचाई कार्यों के लिए उपयुक्त माने जाते हैं।
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सोलर पंप इंस्टॉलेशन से पहले किन बातों पर करें विचार
सोलर पंप लगाने से पहले यह समझना जरूरी है कि आपको कितनी पानी की आवश्यकता है और आप किस तरह के कार्य के लिए इसका उपयोग करेंगे – जैसे कि खेत की सिंचाई, डेयरी फॉर्म, बागवानी, या घरेलू जल आपूर्ति। इसके अलावा, यह भी ध्यान में रखें कि सोलर पैनलों की छांव रहित इंस्टॉलेशन की आवश्यकता होती है और पैनलों की दिशा एवं झुकाव आपके क्षेत्र की अक्षांश-रेखांश स्थिति के अनुसार होना चाहिए।