
भारत में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy की ओर बढ़ते कदम और बढ़ती बिजली दरों के बीच, यदि आपकी मासिक बिजली खपत लगभग 500 यूनिट (kWh) है, तो 5kW सोलर सिस्टम आपके लिए एक किफायती और टिकाऊ विकल्प हो सकता है। हाल ही में देहरादून और अन्य शहरी क्षेत्रों में ऐसे कई उपभोक्ता सामने आए हैं जिन्होंने सरकारी सब्सिडी योजनाओं का लाभ उठाकर ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम को अपनाया और लंबे समय तक फ्री बिजली का आनंद लिया।
क्या है 500 यूनिट खपत पर सोलर सिस्टम की गणना?
यदि आपकी मासिक बिजली खपत 500 यूनिट के करीब है, तो इसका मतलब है कि आप रोजाना लगभग 16.67 यूनिट बिजली का उपयोग कर रहे हैं। भारत जैसे देश में, जहां औसतन हर 1kW का सोलर पैनल रोजाना 4 से 5 यूनिट बिजली पैदा करता है, वहां 16.67 यूनिट की जरूरत को पूरा करने के लिए कम से कम 3.7kW की सोलर क्षमता चाहिए। लेकिन धूल, मौसम और उपकरणों की कार्यक्षमता जैसे कारणों से उत्पादन में कुछ गिरावट हो सकती है, इसलिए विशेषज्ञों का सुझाव है कि 4.5 से 5kW का सोलर सिस्टम लगाना ज्यादा सुरक्षित और लाभकारी रहेगा।
कितनी आती है 5kW सोलर सिस्टम की लागत?
वर्तमान में भारत में ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम की औसत कीमत ₹45,000 से ₹60,000 प्रति kW के बीच है। इस हिसाब से:
4.5kW सिस्टम की कुल लागत ₹2,02,500 से ₹2,70,000 के बीच हो सकती है।
5kW सिस्टम की कुल लागत ₹2,25,000 से ₹3,00,000 तक जा सकती है।
यह लागत पैनलों की गुणवत्ता, इंस्टॉलेशन, इनवर्टर और अन्य उपकरणों पर निर्भर करती है।
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प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत सब्सिडी
भारत सरकार ने Pradhan Mantri Surya Ghar Muft Bijli Yojana के तहत घरेलू उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है। इस योजना के तहत:
3kW तक के सोलर सिस्टम पर ₹78,000 तक की सब्सिडी मिलती है।
3kW से अधिक सिस्टम पर भी अधिकतम सब्सिडी ₹78,000 ही है।
इसके अलावा, इस योजना के अंतर्गत पात्र उपभोक्ताओं को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली भी दी जाती है, जिससे मासिक बिजली बिल लगभग शून्य हो सकता है। यह योजना आम नागरिकों को स्वच्छ ऊर्जा की ओर प्रेरित कर रही है।
ऑन-ग्रिड बनाम ऑफ-ग्रिड: कौन सा सिस्टम बेहतर?
सोलर सिस्टम दो प्रकार के होते हैं: ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड।
ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, विद्युत ग्रिड से जुड़ा होता है। इसमें जब अतिरिक्त बिजली उत्पन्न होती है, तो उसे ग्रिड में फीड किया जा सकता है, और उपयोगकर्ता को नेट मीटरिंग के माध्यम से क्रेडिट मिलता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें बैटरी की आवश्यकता नहीं होती, जिससे इसकी कीमत भी कम होती है।
वहीं, ऑफ-ग्रिड सिस्टम पूरी तरह से बैटरी पर आधारित होता है। यह उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है जहाँ बिजली की आपूर्ति अनियमित है या बिल्कुल नहीं है। हालांकि, इसकी लागत अधिक होती है क्योंकि इसमें बैटरियां और चार्ज कंट्रोलर जैसी अतिरिक्त चीजें शामिल होती हैं।
देहरादून में सोलर सिस्टम के लिए उपयुक्तता
देहरादून जैसे उत्तराखंड के शहरों में, जहां साल भर औसतन 4.5 से 5 घंटे की पीक सनलाइट उपलब्ध रहती है, वहां सोलर पैनल इंस्टॉलेशन बेहद सफल हो सकता है। यहां 5kW का ऑन-ग्रिड सिस्टम प्रतिदिन लगभग 20 से 25 यूनिट बिजली उत्पन्न कर सकता है, जो आपकी मासिक खपत को आसानी से पूरा कर सकता है।
देहरादून में सोलर सिस्टम की कुल लागत, सब्सिडी के बाद ₹1.5 लाख से ₹2.2 लाख के बीच रह सकती है, जो कि एक बार की निवेश में आने वाली रकम है, लेकिन इसका लाभ 25 से 30 साल तक लिया जा सकता है।
इंस्टॉलेशन कंपनियों का चयन कैसे करें?
यदि आप देहरादून या उसके आसपास के क्षेत्रों में रहते हैं और सरकारी सब्सिडी के साथ सोलर पैनल लगवाना चाहते हैं, तो यह जरूरी है कि आप MNRE (Ministry of New and Renewable Energy) से अप्रूव्ड कंपनियों का ही चयन करें। ये कंपनियां न केवल इंस्टॉलेशन बल्कि रजिस्ट्रेशन, सब्सिडी आवेदन और मेंटेनेंस की संपूर्ण सेवा देती हैं।
आप चाहें तो मैं आपको देहरादून में विश्वसनीय और सब्सिडी-मान्य कंपनियों की लिस्ट भी प्रदान कर सकता हूँ।
5kW सोलर सिस्टम एक समझदारी भरा निवेश
अगर आपकी मासिक बिजली खपत 500 यूनिट के आसपास है, तो 4.5 से 5kW का ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम आपके लिए बिल्कुल उपयुक्त है। न केवल इससे आप हर महीने ₹3,000 से ₹4,000 तक की बचत कर सकते हैं, बल्कि सरकारी सब्सिडी के जरिए इंस्टॉलेशन की लागत भी काफी हद तक कम हो जाती है।
रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy के इस युग में यह न सिर्फ एक आर्थिक निर्णय है बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी आपका योगदान है।