
भारत में रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) के प्रति बढ़ते रुझान के बीच घरेलू उपयोग के लिए सोलर सिस्टम (Solar System) एक व्यवहारिक और आर्थिक विकल्प बनता जा रहा है। खासकर सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी और बिजली बिलों में भारी कटौती की संभावना ने इसे आम परिवारों के लिए भी सुलभ बना दिया है। लेकिन सही सोलर सिस्टम का चयन करना आवश्यक है, क्योंकि यह आपकी मासिक बिजली खपत, घर में उपयोग होने वाले उपकरणों और छत की उपलब्धता पर निर्भर करता है।
मासिक बिजली खपत के अनुसार सही सोलर सिस्टम
यदि आपकी मासिक बिजली खपत 100 से 150 यूनिट के बीच है, तो 1 से 2 किलोवॉट (kW) का सोलर सिस्टम पर्याप्त हो सकता है, जो प्रतिदिन 4 से 8 यूनिट बिजली उत्पन्न करने में सक्षम होता है। यह छोटे घरों के लिए आदर्श होता है, जहां लाइट्स, पंखे और एक टीवी का ही उपयोग होता है।
वहीं यदि आप 150 से 300 यूनिट मासिक बिजली उपयोग करते हैं, तो 2 से 3 kW का सिस्टम बेहतर रहेगा, जो रोजाना 8 से 12 यूनिट बिजली दे सकता है। यह मध्यम आकार के घरों के लिए उपयुक्त है जहां फ्रिज, वॉशिंग मशीन और अन्य सामान्य उपकरण चलते हैं।
बड़े परिवार, जिनके पास 1 एयर कंडीशनर (AC), गीजर और पानी की मोटर जैसे उपकरण हैं, उनके लिए 4 से 5 kW का सिस्टम ज़रूरी हो जाता है। यह हर दिन 16 से 20 यूनिट बिजली उत्पादन करने की क्षमता रखता है।
अगर आपके घर में 2 से अधिक AC, माइक्रोवेव, हीटर जैसे हाई पावर डिवाइसेज़ चलती हैं, तो 6 से 8 kW का सिस्टम ही उपयुक्त रहेगा, जो प्रतिदिन 24 से 32 यूनिट या इससे अधिक बिजली बना सकता है।
उपकरणों के आधार पर सिस्टम का चयन जरूरी
केवल बिजली खपत नहीं, बल्कि घर में मौजूद उपकरणों की संख्या और प्रकार भी सोलर सिस्टम के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि आपके घर में 3-4 पंखे, 8-10 एलईडी लाइट्स, एक टीवी और फ्रिज है, तो 1 से 2 kW का सिस्टम पर्याप्त हो सकता है।
इसके अलावा यदि घर में मिक्सर, वॉशिंग मशीन और कूलर जैसे उपकरण भी हैं, तो 2 से 3 kW का सोलर सिस्टम ज़रूरी हो जाता है।
वहीं, यदि आप अपने घर में 1.5 टन का इन्वर्टर AC 24 घंटे चलाना चाहते हैं, तो लगभग 8 kW का सिस्टम लगेगा जो हर दिन लगभग 36 से 40 यूनिट बिजली उत्पन्न कर सकता है। यह हाई पावर डिवाइसेज़ को लंबे समय तक चलाने की आवश्यकता वाले परिवारों के लिए अनिवार्य है।
लागत और सब्सिडी से घटेगी जेब पर मार
सोलर सिस्टम की कीमत भी उसके प्रकार पर निर्भर करती है। ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम की कीमत ₹50,000 से ₹60,000 प्रति kW के बीच होती है, जबकि ऑफ-ग्रिड सिस्टम, जिसमें बैटरी बैकअप शामिल होता है, ₹1,00,000 प्रति kW तक पहुंच सकता है।
हालांकि सरकार की ओर से दी जा रही PM सूर्य घर योजना के अंतर्गत 1 से 3 kW के सिस्टम पर ₹30,000 से ₹78,000 तक की सब्सिडी मिल सकती है। इससे उपभोक्ताओं को आर्थिक राहत मिलती है।
उदाहरण के लिए, यदि आप 3 kW का ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम लगवाते हैं, जिसकी अनुमानित लागत ₹1.5 से ₹1.8 लाख तक हो सकती है, तो सब्सिडी के बाद इसकी वास्तविक लागत कहीं अधिक सस्ती हो जाएगी, जिससे यह निवेश जल्दी रिकवर भी हो सकता है।
छत की उपलब्धता का भी रखें ध्यान
कई बार लोग सही क्षमता वाला सोलर सिस्टम चुनते हैं लेकिन उनकी छत पर पर्याप्त छाया रहित स्थान नहीं होता, जिससे सिस्टम की क्षमता घट सकती है।
सामान्यतः 1 kW के सोलर सिस्टम के लिए लगभग 60 से 70 वर्गफुट छत की आवश्यकता होती है। यदि आप 5 kW का सिस्टम लगवाना चाहते हैं, तो आपको लगभग 280 से 300 वर्गफुट की छत चाहिए होगी।
इसलिए सोलर इंस्टॉलेशन से पहले यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि आपकी छत पर्याप्त बड़ी हो और उस पर धूप आने में कोई बाधा न हो।
सोलर सिस्टम के प्रकार और उनकी उपयुक्तता
भारत में आम तौर पर तीन प्रकार के सोलर सिस्टम उपलब्ध हैं। पहला है ऑन-ग्रिड सिस्टम, जो बिजली ग्रिड से जुड़ा होता है। इसमें अतिरिक्त उत्पन्न बिजली को ग्रिड में भेजा जा सकता है और आवश्यकता पर वापस लिया जा सकता है।
दूसरा है ऑफ-ग्रिड सिस्टम, जो बैटरी के माध्यम से काम करता है। यह सिस्टम उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है जहां बिजली कटौती सामान्य बात है।
तीसरा और सबसे लचीला विकल्प है हाइब्रिड सिस्टम, जिसमें ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड दोनों की सुविधाएं होती हैं। इसमें बैटरी बैकअप के साथ-साथ ग्रिड कनेक्शन भी होता है, जिससे उपयोगकर्ता को अधिक सुविधा मिलती है।
आपके घर के लिए सबसे बेहतर क्या है?
यदि आपकी मासिक बिजली खपत 300 यूनिट तक है और आप सामान्य घरेलू उपकरणों का उपयोग करते हैं, तो 3 kW का ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम आपके लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगा। यह सिस्टम आपकी अधिकांश बिजली आवश्यकताओं को पूरा करेगा और सरकारी सब्सिडी के बाद इसकी लागत भी काफी हद तक किफायती हो जाएगी।
सही योजना, उपकरणों का आकलन, और छत की उपलब्धता का ध्यान रखते हुए आप अपने घर को सोलर एनर्जी से सशक्त बना सकते हैं। इससे न केवल बिजली बिल में कमी आएगी बल्कि आप पर्यावरण के संरक्षण में भी योगदान देंगे।