
देशभर में Renewable Energy के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ ही बड़ी संख्या में उपभोक्ता अपने घरों और व्यवसायों पर सोलर पैनल (Solar Panel) लगवा रहे हैं। खासकर उत्तराखंड जैसे राज्यों में जहाँ बिजली की लागत ऊँची है और धूप की उपलब्धता अच्छी है, वहाँ सोलर ऊर्जा एक आकर्षक विकल्प बनकर उभरी है। लेकिन कई उपभोक्ताओं के सामने यह सवाल खड़ा हो गया है कि सोलर पैनल लगाने के बावजूद बिजली का बिल क्यों आ रहा है? क्या इसमें कोई तकनीकी खामी है या प्लानिंग में कोई चूक रह गई है?
सोलर सिस्टम की क्षमता आपकी खपत से कम हो सकती है
यह सबसे आम वजहों में से एक है। जब सोलर सिस्टम आपके घर या व्यवसाय की कुल बिजली खपत को पूरा नहीं कर पाता, तो बाकी की जरूरत के लिए आपको ग्रिड (Grid) से बिजली लेनी पड़ती है। यही वजह है कि बिजली का बिल आता रहता है। यह स्थिति तब पैदा होती है जब सिस्टम का डिज़ाइन आपके रियल टाइम बिजली उपयोग को ध्यान में रखे बिना किया गया हो। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि Solar Panel लगवाते समय केवल मौजूदा खपत ही नहीं, बल्कि भविष्य की ज़रूरतों—जैसे इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग (EV Charging), अतिरिक्त एसी, हीटर आदि को भी ध्यान में रखा जाए।
रात के समय की खपत और बैटरी स्टोरेज की कमी
सोलर पैनल केवल दिन के समय सूरज की रोशनी में ही बिजली पैदा करते हैं। लेकिन अधिकतर घरों में बिजली की खपत का एक बड़ा हिस्सा रात में होता है, जब पैनल काम नहीं करते। ऐसे में यदि आपने Battery Storage सिस्टम नहीं लगाया है, तो रात की बिजली की आवश्यकता ग्रिड से ही पूरी करनी पड़ेगी। परिणामस्वरूप बिजली का बिल आना लाजमी हो जाता है। कुछ आधुनिक सोलर सिस्टम अब Smart Inverter के साथ आते हैं जो दिन में बनी अतिरिक्त बिजली को स्टोर कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए बैटरी इंस्टालेशन जरूरी है।
पैनलों की सफाई और छाया की समस्या उत्पादन को प्रभावित कर सकती है
एक और बड़ा कारण पैनलों की सफाई में लापरवाही या उनके ऊपर छाया (Shadow) पड़ना हो सकता है। यदि आपके सोलर पैनल पर धूल, पत्तियाँ या अन्य कोई रुकावट जमा हो जाती है, तो उनकी बिजली उत्पन्न करने की क्षमता घट जाती है। इसे तकनीकी भाषा में “Christmas Light Effect” कहा जाता है, जहाँ एक पैनल पर छाया पड़ने से पूरे सोलर स्ट्रिंग की उत्पादन क्षमता गिर जाती है। सोलर सिस्टम का अधिकतम लाभ उठाने के लिए नियमित सफाई और उचित इंस्टॉलेशन एंगल बनाए रखना अनिवार्य है।
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इन्वर्टर या नेट मीटरिंग की तकनीकी खामी
कई बार समस्या सोलर पैनल में नहीं, बल्कि उससे जुड़े इन्वर्टर या नेट मीटरिंग सिस्टम में होती है। यदि इन्वर्टर की सेटिंग्स सही नहीं हैं, जैसे कि वह “Self-Consumption” मोड में नहीं है, तो अतिरिक्त बिजली ग्रिड में नहीं जा पाएगी और आपको उसका कोई क्रेडिट नहीं मिलेगा। इससे भी बिल में कमी नहीं आ पाती। इसके अलावा यदि नेट मीटर ठीक से काम नहीं कर रहा या दो-तरफा बिलिंग (Bi-Directional Metering) को सही तरीके से लागू नहीं किया गया है, तो भी यह समस्या आ सकती है।
बिजली खपत में अचानक हुई वृद्धि
यदि आपने हाल ही में कोई नया उपकरण जैसे एसी, वाटर हीटर, इंडक्शन या इलेक्ट्रिक गीजर आदि जोड़ा है, तो बिजली की खपत में इजाफा होना स्वाभाविक है। इसके अलावा यदि परिवार में सदस्य बढ़े हैं या ऑफिस जैसे उपयोगों में बदलाव आया है, तो भी खपत बढ़ सकती है। यदि यह वृद्धि आपके सोलर सिस्टम की उत्पादन क्षमता से ज्यादा है, तो स्वाभाविक है कि ग्रिड से बिजली ली जाएगी और बिल आएगा।
समाधान: कैसे करें सोलर सिस्टम का अधिकतम उपयोग
यदि आप भी ऐसी ही किसी समस्या से जूझ रहे हैं, तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। इसका समाधान कुछ व्यावहारिक उपायों में है। सबसे पहले आपको एक Energy Audit कराना चाहिए जिसमें पिछले 12 महीनों की बिजली खपत और मौजूदा सोलर सिस्टम की उत्पादन क्षमता का तुलनात्मक विश्लेषण किया जाए। इससे यह स्पष्ट होगा कि आपके सिस्टम में कहाँ और कितनी कमी है।
इसके बाद इन्वर्टर की ऐप या ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम से अपने सोलर उत्पादन और खपत की नियमित निगरानी करें। यदि रात की खपत बहुत अधिक है, तो बैटरी स्टोरेज लगाने पर विचार करें। इसके अलावा छाया, सफाई और इंस्टॉलेशन एंगल की नियमित जांच करते रहें।
अंततः, यदि आप स्वयं समस्या का कारण नहीं समझ पा रहे हैं, तो किसी प्रमाणित Solar Technician से संपर्क करें और सिस्टम का प्रोफेशनल निरीक्षण कराएं। यह सुनिश्चित करेगा कि तकनीकी रूप से सब कुछ दुरुस्त है और आप सोलर पैनल का पूरा लाभ उठा रहे हैं।