सुजलॉन या इनॉक्स विंड: कौन सा पवन ऊर्जा शेयर है 2024 में सबसे बेहतर निवेश विकल्प?

"ग्रीन टैरिफ की चुनौती के बावजूद, इन दोनों कंपनियों का भविष्य उज्जवल दिखता है। जानिए कौन सी कंपनी आपको दे सकती है सबसे ज्यादा मुनाफा, और कैसे यह दोनों पवन ऊर्जा दिग्गज इस संकट से निपटने की तैयारी कर रहे हैं। क्या आप सही निवेश निर्णय ले रहे हैं?"

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सुजलॉन या इनॉक्स विंड: कौन सा पवन ऊर्जा शेयर है 2024 में सबसे बेहतर निवेश विकल्प?
सुजलॉन या इनॉक्स विंड

भारत की अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की दो प्रमुख कंपनियां, सुजलॉन एनर्जी (Suzlon Energy) और आईनॉक्स विंड (Inox Wind), इस समय कई चुनौतियों का सामना कर रही हैं। इनमें सबसे बड़ी चिंता अमेरिका द्वारा प्रस्तावित ग्रीन टैरिफ (Green Tariff) है, जो भारतीय पवन ऊर्जा उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बन सकता है। सुजलॉन या इनॉक्स विंड में से किस में निवेश करें यह सवाल बना रहता है।

इस टैरिफ के लागू होने पर, भारत के पवन ऊर्जा घटकों की निर्यात मांग में कमी और घरेलू विनिर्माण पर असर पड़ सकता है। ऐसे में निवेशकों को यह सवाल हो सकता है कि इन दोनों कंपनियों में से किसे चुना जाए? आइए जानते हैं दोनों कंपनियों के वर्तमान हालात, उनके वित्तीय प्रदर्शन और आगामी संभावनाओं के बारे में।

सुजलॉन या इनॉक्स विंड कौन है बेस्ट?

ग्रीन टैरिफ जैसी चुनौतियों के बावजूद, इनॉक्स विंड और सुजलॉन एनर्जी दोनों कंपनियां स्थानीय विनिर्माण और परिचालन दक्षता में निवेश कर रही हैं, जिससे वे इस संकट को पार कर सकती हैं। दोनों कंपनियों का वित्तीय प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि वे निवेशकों के लिए अच्छा लाभ दे सकती हैं।

इनॉक्स विंड का ऑर्डर बुक मजबूत है और कंपनी ने अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार किया है, जबकि सुजलॉन एनर्जी ने पुनर्गठन की दिशा में अच्छे कदम उठाए हैं और इसका लाभ वित्तीय परिणामों में दिख रहा है। अगर आप एक लंबी अवधि के निवेशक हैं, तो दोनों कंपनियां आपके निवेश पोर्टफोलियो का हिस्सा हो सकती हैं। हालांकि, निवेश करते वक्त आपको ग्रीन टैरिफ के संभावित प्रभाव को ध्यान में रखते हुए जोखिम की स्थिति का मूल्यांकन करना चाहिए।

इनॉक्स विंड का वर्तमान प्रदर्शन

इनॉक्स विंड पवन टरबाइन विनिर्माण में एक प्रमुख नाम बन चुकी है। कंपनी के पास लगभग 1,200 मेगावाट का ऑर्डर बुक (order book) है, जो इसे भारतीय पवन ऊर्जा बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है। इसके अलावा, यह कंपनी स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (IPP) और वैश्विक प्रौद्योगिकी भागीदारों के साथ भी सहयोग कर रही है, जिससे इसकी बाजार में स्थिति मजबूत बनी हुई है।

हालांकि, कंपनी को भी ग्रीन टैरिफ के असर से बचने के लिए अमेरिका-आधारित ऑपरेशंस में $50 मिलियन या उससे अधिक का निवेश करने की आवश्यकता होगी। इसके बावजूद, कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन लगातार बेहतर हो रहा है। Q2 FY25 में कंपनी का राजस्व ₹732 करोड़ तक पहुंच चुका है, जो पिछले तिमाही (Q1 FY25) में ₹371 करोड़ से लगभग दोगुना है। इसके साथ ही कंपनी का शुद्ध लाभ ₹90 करोड़ तक बढ़ गया है, जो Q1 FY25 में ₹27 करोड़ के नुकसान से काफी सुधार है। यह कंपनी की वित्तीय स्थिति को मजबूत बनाता है और भविष्य में अच्छा मुनाफा कमाने की उम्मीद जगाता है।

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सुजलॉन एनर्जी का वित्तीय प्रदर्शन और रणनीतियाँ

सुजलॉन एनर्जी भी भारत की सबसे बड़ी अक्षय ऊर्जा कंपनियों में से एक है और इसकी पवन ऊर्जा क्षमता में लगातार वृद्धि हो रही है। हालांकि, कंपनी अपनी वित्तीय बाधाओं और परियोजना निष्पादन में देरी का सामना कर रही है। फिर भी, कंपनी ने अपने परिचालन को सुधारने और पुनर्गठन के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे इसकी प्रतिस्पर्धी स्थिति में सुधार हो रहा है।

कंपनी के ताजे वित्तीय परिणामों पर नजर डालें तो Q2 FY25 में इसका राजस्व ₹2,103 करोड़ तक पहुंच गया है, जो पिछले तिमाही (Q1 FY25) में ₹1,421 करोड़ से 48% अधिक है। इसके अलावा, कंपनी का शुद्ध लाभ ₹201 करोड़ तक पहुंच गया है, जो Q1 FY25 में ₹102 करोड़ से 97% की वृद्धि को दर्शाता है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि सुजलॉन एनर्जी ने अपनी रणनीतियों को प्रभावी ढंग से लागू किया है और इसका लाभ कंपनी को हो रहा है।

ग्रीन टैरिफ का प्रभाव और कंपनियों की प्रतिक्रिया

ग्रीन टैरिफ का प्रस्तावित प्रभाव भारतीय पवन ऊर्जा कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। इस टैरिफ के लागू होने से, पवन ऊर्जा घटकों पर आयात शुल्क 10-20% तक बढ़ सकता है, जिससे लागत में वृद्धि हो सकती है और लाभ मार्जिन (profit margin) में कमी आ सकती है। इसके अलावा, यह भारतीय पवन ऊर्जा घटकों की निर्यात मांग में 30% तक की गिरावट का कारण बन सकता है, जो इन कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा।

इसके बावजूद, इन दोनों कंपनियों ने इस संकट से निपटने के लिए रणनीतियाँ बनाई हैं। दोनों कंपनियां अमेरिका में उत्पादन बढ़ाने के लिए अपने निवेश को बढ़ाने और आपूर्ति श्रृंखला (supply chain) की दक्षता को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।

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