भारत के पवन ऊर्जा क्षेत्र में सुजलॉन और इनॉक्स विंड दोनों कंपनियां अपनी उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पहचानी जाती हैं। इन दोनों कंपनियों ने अपनी Q2 रिपोर्ट में शानदार परिणाम प्रस्तुत किए हैं, जिससे निवेशकों को बेहतरीन लाभ हुआ है। इनॉक्स विंड ने अपनी शुद्ध बिक्री में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी, जबकि सुजलॉन एनर्जी ने भी अपने शुद्ध लाभ में बड़ी छलांग लगाई। इस लेख में हम इन कंपनियों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और जानेंगे कि किस कंपनी के शेयर से निवेशकों को बेहतर रिटर्न मिल सकता है।
अगर आप सुजलॉन और इनॉक्स विंड में निवेश करने का विचार कर रहे हैं, तो दोनों ही कंपनियों में निवेश के फायदे हैं। जहां एक ओर इनॉक्स विंड का परिचालन लाभ मार्जिन बेहतर है और उसका शेयर पी/ई अनुपात उच्च है, वहीं सुजलॉन एनर्जी का शेयर सस्ता है और उसके पास उच्चतम ऑर्डर बुक और मजबूत विनिर्माण क्षमता है।
आपके निवेश का निर्णय इस पर निर्भर करेगा कि आप अधिक जोखिम लेने के लिए तैयार हैं या फिर आप एक सुरक्षित विकल्प की तलाश में हैं। दोनों कंपनियां पवन ऊर्जा क्षेत्र में एक मजबूत भविष्य की ओर अग्रसर हैं, और समय के साथ इन दोनों कंपनियों से अच्छे रिटर्न मिलने की संभावना है।
इनॉक्स विंड की शुद्ध बिक्री में रिकॉर्ड वृद्धि
इनॉक्स विंड ने वित्तीय वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में अपनी शुद्ध बिक्री में शानदार 97.56% की वृद्धि दर्ज की है। कंपनी की शुद्ध बिक्री ₹732.24 करोड़ तक पहुँच गई, जो पिछले साल की तुलना में दोगुनी है। इस वृद्धि का मुख्य कारण कंपनी की मजबूत प्रदर्शन और बढ़ती मांग है। इसके साथ ही, इनॉक्स विंड ने अपने पिछले घाटे को ₹90 करोड़ के शुद्ध लाभ में बदल लिया है, जो एक सकारात्मक संकेत है।
इनॉक्स विंड की परिचालन लाभ मार्जिन 18.60% रही, जो सुजलॉन एनर्जी के मुकाबले अधिक है। हालांकि, इनॉक्स विंड का शेयर पिछले कुछ समय में 3% गिरकर ₹208 पर कारोबार कर रहा है, लेकिन कंपनी के पास अभी भी बहुत बड़ी ऑर्डर बुक और भविष्य में बढ़ने की क्षमता है।
सुजलॉन एनर्जी का शुद्ध लाभ और राजस्व में वृद्धि
सुजलॉन एनर्जी ने भी Q2 में बेहतरीन परिणाम प्रस्तुत किए हैं। कंपनी का शुद्ध लाभ ₹201 करोड़ तक पहुँच गया, जो पिछले साल की तुलना में दोगुना है। इसके अलावा, सुजलॉन का राजस्व 48% बढ़कर ₹2,093 करोड़ हो गया है, जो दर्शाता है कि कंपनी पवन ऊर्जा क्षेत्र में मजबूत स्थिति बना रही है।
सुजलॉन एनर्जी की ऑर्डर बुक 5.1 गीगावाट तक पहुँच गई है, जो इसकी सर्वकालिक उच्चतम है। इस बड़ी ऑर्डर बुक के साथ कंपनी ने पवन ऊर्जा क्षेत्र में अपनी पकड़ और भी मजबूत की है। इसके अलावा, सुजलॉन भारत की सबसे बड़ी घरेलू पवन ऊर्जा निर्माता कंपनी है और इसकी विनिर्माण क्षमता 3,600 मेगावाट है।
हालांकि, सुजलॉन का परिचालन लाभ मार्जिन 16.40% है, जो इनॉक्स विंड से थोड़ा कम है। इसके बावजूद, कंपनी की रणनीतिक भागीदारी और बढ़ती वैश्विक मांग इसे भविष्य में और अधिक लाभ दिला सकती है।
सुजलॉन और इनॉक्स विंड कंपनियों की विनिर्माण क्षमता और ऑर्डर बुक
इनॉक्स विंड और सुजलॉन एनर्जी दोनों के पास मजबूत ऑर्डर बुक हैं, जो उनके भविष्य के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद करेंगी। इनॉक्स विंड ने 1.2 गीगावाट के ऑर्डर प्राप्त किए हैं, जिससे उसके पास 3.3 गीगावाट का बैकलॉग है। वहीं, सुजलॉन के पास 5.1 गीगावाट का सर्वकालिक उच्चतम बैकलॉग है, जो कंपनी को अपने उत्पादों और सेवाओं की उच्च मांग का संकेत देता है।
विनिर्माण क्षमता की बात करें तो सुजलॉन की विनिर्माण क्षमता 3,600 मेगावाट है, जबकि इनॉक्स विंड की क्षमता 800 मेगावाट है। हालांकि, इनॉक्स विंड अगले कुछ वर्षों में अपनी विनिर्माण क्षमता को 1,600 मेगावाट तक बढ़ाने की योजना बना रही है।
वित्तीय प्रदर्शन और शेयर की स्थिति
इन दोनों कंपनियों के वित्तीय परिणाम अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र में मजबूत स्थिति बनाए हुए हैं। इनॉक्स विंड का शेयर वर्तमान में ₹208 पर कारोबार कर रहा है, जो हाल ही में 3% गिरावट के बावजूद मजबूत बना हुआ है। वहीं, सुजलॉन एनर्जी का शेयर ₹67 पर कारोबार कर रहा है, जो पिछले कुछ समय में 5% गिरा है।
इनॉक्स विंड का पी/ई अनुपात 381.99 है, जबकि सुजलॉन का पी/ई अनुपात 106.18 है, जो इनॉक्स विंड से काफी कम है। यह दर्शाता है कि सुजलॉन का शेयर थोड़ा सस्ता हो सकता है और निवेशकों के लिए बेहतर अवसर प्रदान कर सकता है।
भविष्य की संभावनाएं
भविष्य की दृष्टि से, इनॉक्स विंड का लक्ष्य वित्तीय वर्ष 2025 तक अपनी सर्वश्रेष्ठ लाभप्रदता हासिल करना है। वहीं, सुजलॉन एनर्जी ने भी नए अवसरों की खोज के लिए एक अग्रणी वैश्विक परामर्श फर्म के साथ भागीदारी की है, जिससे यह कंपनी भी आने वाले वर्षों में अच्छा प्रदर्शन कर सकती है।
इन दोनों कंपनियों की रणनीतिक पहलें और पवन ऊर्जा क्षेत्र में बढ़ती मांग उन्हें भारत के अक्षय ऊर्जा बाजार में बेहतर स्थिति में ला सकती हैं। दोनों कंपनियां बढ़ती पवन ऊर्जा क्षमता का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं।