बिजली की जरूरत एक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गई है, ग्रिड बिजली पर अधिक लोड पड़ने से पावर कट की समस्याएं बढ़ती है, ऐसे में आप अपने घरों में सोलर पैनल स्थापित कर के बिजली की सभी जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकते हैं। सोलर पैनल के द्वारा सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने का कार्य किया जाता है, सोलर सिस्टम के प्रयोग से बिजली के बिल से राहत प्राप्त की जा सकती है, साथ ही एसी, फ्रिज जैसे अधिक लोड वाले विद्युत उपकरणों को भी चलाया जा सकता है।
बिजली बिल की टेंशन खत्म
सोलर पैनल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनके प्रयोग से सौर ऊर्जा से बिजली बनाई जाती है, सोलर पैनल से बनने वाली बिजली के प्रयोग से ग्रिड बिजली की निर्भरता को कम किया जा सकता है, ऐसे में सोलर सिस्टम के यूजर को बिजली बिल की चिंता नहीं सताती है। सोलर पैनल को ऑनग्रिड स्थापित कर के बिजली को डिस्कॉम को बेच भी सकते हैं, जिससे आर्थिक लाभ भी प्राप्त किया जा सकता है।
बिजली की जरूरतों को करें पूरा सोलर सिस्टम
घर पर सोलर सिस्टम लगाने से पहले आपको अपने घर में बिजली के लोड की पूरी जानकारी होनी चाहिए, जिससे आप सही क्षमता के सोलर सिस्टम को स्थापित कर सकते हैं, घर में प्रयोग हो वाले उपकरणों की बिजली खपत इस प्रकार रहती है:-
- एयर कंडीशनर (AC)
- विंडो एसी– यह एक नॉन-इंवर्टर टेक्नोलॉजी का एसी है, 10 घंटे में इस एसी के द्वारा 12 यूनिट से 18 यूनिट बिजली का खपत करता है। इस एसी को चलाने के लिए 5 किलोवाट क्षमता का सोलर पैनल, 5 kva सोलर इंवर्टर एवं 48 वोल्ट की 4 बैटरियों से सोलर सिस्टम स्थापित किया जाता है।
- इंवर्टर एसी– इस एसी को 10 घंटे चलाने में यह 8 यूनिट से 12 यूनिट तक बिजली खपत करता है। इस एसी को चलाने के लिए 4 किलोवाट सोलर पैनल, इंवर्टर एवं 48 वोल्ट की 4 बैटरियाँ रहती है।
- सोलर एसी– यह आधुनिक तकनीक का एसी होता है, जिसे यदि आप 10 घंटे प्रयोग करते हैं तो यह 4 यूनिट से 8 यूनिट तक बिजली की खपत करता है। 3 किलोवाट क्षमता के सोलर सिस्टम के द्वारा इस एसी को आसानी से लंबे समय तक चलाया जा सकता है।
- रेफ्रिजरेटर
- आमतौर पर एक नॉर्मल फ्रिज का प्रयोग 24 घंटे करने पर उसके द्वारा लगभग 200 वाट प्रति घंटे बिजली का प्रयोग किया जाता है, इसे चलाने में प्रतिदिन 4.8 यूनिट बिजली का प्रयोग किया जाता है। इसे चलाने के लिए 1.5 किलोवाट क्षमता का सोलर सिस्टम स्थापित किया जा सकता है।
- फैन
सोलर सिस्टम में बैटरी का चयन
सोलर पैनल द्वारा दिन के समय में बिजली का उत्पादन किया जाता है, जिसे बैटरी में स्टोर कर के विद्युत उपकरणों को रात के समय में चला सकते हैं:-
- लेड एसिड बैटरी– इस प्रकार की बैटरी का प्रयोग आप सोलर सिस्टम में कर सकते हैं, इस बैटरी की लाइफ कम होती है, इसे अधिक रखरखाव की आवश्यकता होती है, इसकी कीमत कम होने के कारण इनका प्रयोग अधिक किया जाता है।
- लिथियम आयरन फॉस्फेट बैटरी– यह आधुनिक बैटरी होती है, इसका लाभ लंबे समय तक प्राप्त किया जा सकता है, इस बैटरी को कम रखरखाव की जरूरत होती है, इस बैटरी के द्वारा एसी, फ्रिज और फैन को आसानी से चलाया जा सकता है, इस बैटरी की कीमत अधीत रहती है।
सोलर सिस्टम का इंस्टॉलेशन एवं रखरखाव
- एक्सपर्ट इंस्टॉलेशन– सोलर सिस्टम को किसी एक्सपर्ट तकनीशियन की सहायता से स्थापित करना चाहिए, ऐसे में वे असवहीक उपकरणों का प्रयोग कर के सही दिशा एवं कोण पर पैनल को स्थापित कर सकते हैं।
- सुरक्षा उपकरण– सोलर सिस्टम की सुरक्षा के लिए सिस्टम में ACDB/DCDB बॉक्स, लाइटिंग एरेस्टर जैसे उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।
- वारंटी एवं रखरखाव– सोलर सिस्टम में प्रयोग होने वाले उपकरणों पर निर्माता ब्रांड द्वारा वारंटी प्रदान की जाती है, सोलर उपकरणों का सही से रखरखाव करने के बाद आने वाले 20 से 25 साल से अधिक समय तक आप उनका लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
सोलर उपकरणों के प्रयोग से बिजली बिल की चिंता खत्म की जा सकती है। सोलर पैनल के प्रयोग से पर्यावरण को भी लाभ होता है, क्योंकि सोलर सिस्टम के प्रयोग से कार्बन फुटप्रिन्ट को कम किया जा सकता है, ऐसे में हरित भविष्य की कल्पना को सच किया जा सकता है। सरकार द्वारा भी सोलर उपकरणों को स्थापित करने के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है।