
Waaree Energies जैसी भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिका में बदलती नीतियां मुश्किलें पैदा कर सकती हैं। अमेरिकी सरकार ने हाल ही में हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में एक नया बिल पास किया है, जिसमें सोलर पैनल्स पर दी जाने वाली टैक्स छूट को जल्द वापस लेने का प्रस्ताव रखा गया है। अगर यह बिल अब सीनेट में भी पास हो जाता है, तो यह अमेरिका को सोलर इक्विपमेंट्स एक्सपोर्ट करने वाली इंडियन कंपनियों की राह में बड़ी रुकावट बन सकता है।
इंडियन एक्सपोर्टर्स की चिंता बढ़ी, Waaree Energies और Premier Energies पर असर
भारत की वारी एनर्जीज (Waaree Energies), प्रीमियर एनर्जीज (Premier Energies) और अन्य कई Renewable Energy कंपनियां अमेरिकी मार्केट में अपने सोलर उत्पादों की सप्लाई करती हैं। इन कंपनियों के लिए अमेरिकी टैक्स छूट एक महत्वपूर्ण सहारा रही है, जिससे अमेरिकी खरीदारों को सोलर इक्विपमेंट्स सस्ते दाम पर उपलब्ध हो जाते थे। यही वजह है कि इंडियन सोलर इक्विपमेंट्स को अमेरिका में प्रतिस्पर्धी कीमतों पर बेचना संभव था। लेकिन अगर टैक्स छूट समाप्त हो जाती है, तो इन उत्पादों की कीमतें बढ़ जाएंगी, जिससे अमेरिकी मार्केट में इंडियन कंपनियों की पकड़ कमजोर हो सकती है।
राजनीतिक कारणों से बदली जा रही नीति?
बाइडेन प्रशासन ने पहले चाइनीज सोलर कंपनियों पर निर्भरता घटाने के उद्देश्य से इंडियन कंपनियों को राहत देने के लिए सोलर पैनल्स पर आयात टैक्स से अस्थायी छूट दी थी। इसका लाभ उठाकर कई भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में अपने कारोबार का विस्तार किया। लेकिन अब रिपब्लिकन पार्टी के नेतृत्व में हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव ने यह तर्क देते हुए बिल पास किया है कि घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना जरूरी है और विदेशी कंपनियों को टैक्स छूट देना अमेरिकी इंडस्ट्री के लिए नुकसानदायक है।
घरेलू निर्माण को प्राथमिकता देने की मुहिम
अमेरिका अब “मेक इन अमेरिका” नीति के तहत Renewable Energy सेक्टर में भी आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहा है। इसी रणनीति के तहत घरेलू सोलर उत्पादकों को प्रोत्साहन देने और विदेशी उत्पादों पर निर्भरता घटाने के लिए इस प्रकार की नीति परिवर्तन की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। इससे अमेरिकी कंपनियों को तो फायदा हो सकता है, लेकिन भारत जैसे देशों की कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है, जो अपने उत्पाद अमेरिका में एक्सपोर्ट करती हैं।
इंडियन सोलर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को लगेगा झटका
भारत में सोलर मैन्युफैक्चरिंग उद्योग पिछले कुछ वर्षों में तेज़ी से बढ़ा है। Waaree Energies जैसी कंपनियों ने IPO की तैयारी और उत्पादन क्षमता बढ़ाने जैसे कई कदम उठाए हैं ताकि वे वैश्विक मांग को पूरा कर सकें। अमेरिका इस सेक्टर के लिए एक बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है। ऐसे में यदि अमेरिका में टैक्स छूट खत्म होती है, तो इंडियन कंपनियों को अपने मुनाफे में गिरावट का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, नए ऑर्डर्स में भी कमी आ सकती है, जिससे उनके उत्पादन और निवेश योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
आने वाले समय में बाजार पर क्या असर पड़ेगा?
इस नीति बदलाव का असर केवल कंपनियों तक सीमित नहीं रहेगा। सोलर इंडस्ट्री से जुड़े हजारों वर्कर्स, सप्लाई चेन और लॉजिस्टिक्स कंपनियां भी प्रभावित होंगी। भारत सरकार ने हाल के वर्षों में Renewable Energy सेक्टर को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन एक्सपोर्ट पर निर्भर कंपनियों के लिए घरेलू बाजार पर्याप्त नहीं है। उन्हें अमेरिकी जैसे विकसित देशों के बाजार की ज़रूरत रहती है ताकि वे अपने उत्पादन का बड़ा हिस्सा निर्यात कर सकें।
इंडियन गवर्नमेंट और इंडस्ट्री क्या कदम उठा सकते हैं?
अब सवाल यह है कि इंडियन गवर्नमेंट और इंडस्ट्री इस संभावित संकट से कैसे निपटेगी। हो सकता है कि भारत सरकार अमेरिका के साथ ट्रेड डायलॉग के जरिए समाधान निकालने की कोशिश करे। वहीं इंडियन कंपनियों को भी वैकल्पिक बाजारों की तलाश करनी पड़ सकती है, जैसे यूरोप, मिडिल ईस्ट या एशिया-पैसिफिक रीजन, जहां सोलर एनर्जी की मांग लगातार बढ़ रही है।
नीतिगत स्पष्टता और स्थिरता की आवश्यकता
Renewable Energy जैसी सेक्टर्स में लंबी अवधि के निवेश और रणनीति की आवश्यकता होती है। ऐसे में यदि प्रमुख बाजारों की नीतियां अस्थिर रहती हैं, तो यह ग्लोबल सोलर इंडस्ट्री की स्थिरता और विकास दोनों के लिए खतरा हो सकता है। इंडियन कंपनियों को अब और अधिक सतर्क होकर वैश्विक नीतियों पर नजर रखनी होगी और अपने व्यापार मॉडल में लचीलापन लाना होगा।