
Waaree Energies Ltd और Premier Energies Ltd के शेयरों में लगातार दूसरे और तीसरे दिन गिरावट देखी गई है। इसका मुख्य कारण अमेरिका में एक नए antidumping और countervailing duty (AD/CVD) जांच का खतरा है। यह जांच अमेरिकी संगठन Alliance for American Solar Manufacturing and Trade द्वारा दायर की गई, याचिका के कारण हो रही है, जो भारत, इंडोनेशिया और लाओस से आयातित सोलर मॉड्यूल्स पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इस खबर ने निवेशकों में चिंता बढ़ा दी है, और इसके चलते Waaree Energies का शेयर 1.48 प्रतिशत गिरकर Rs 3,075.50 पर पहुंच गया है। शुक्रवार को यह 2.62 प्रतिशत और गुरुवार को 2.57 प्रतिशत गिरा था। वहीं, Premier Energies का शेयर भी सोमवार को 1.32 प्रतिशत गिरकर Rs 1,044.40 पर ट्रेड कर रहा था, जो शुक्रवार को 2.03 प्रतिशत गिरा था।
Waaree Energies को US बाजार से सबसे ज्यादा खतरा
Waaree Energies के लिए सबसे बड़ी चिंता यह है, कि वह अमेरिकी बाजार पर बहुत ज्यादा निर्भर है। कंपनी के 57% ऑर्डर का संबंध US बाजार से है, जिससे वह इस जांच के प्रभाव से अधिक प्रभावित हो सकती है। Kotak Institutional Equities का मानना है, कि कंपनी की अमेरिकी सोलर मॉड्यूल की मांग अगर अमेरिकी सरकार ने आयातों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का निर्णय लिया तो प्रभावित हो सकती है। इससे पहले US डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स ने कंबोडिया, मलेशिया, थाईलैंड और वियतनाम से आयातित सोलर मॉड्यूल पर भारी शुल्क लगाया था। अब US सोलर मॉड्यूल के उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, जो भारतीय एक्सपोर्ट करने वालो के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
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इसके मुकाबले, Premier Energies Ltd, जो US बाजार में कम निर्भर है, उसे कम जोखिम का सामना करना पड़ता है। Kotak का मानना है कि Premier Energies मुख्य रूप से घरेलू बाजार में सक्रिय है, और इसलिए उसे AD/CVD जांच से कम प्रभाव पड़ेगा। इस अंतर के कारण विश्लेषकों का मानना है कि Premier Energies इस संकट से बेहतर तरीके से निपट सकती है, जबकि Waaree Energies को अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
US में आत्मनिर्भरता का भारतीय सोलर निर्माताओं पर असर
US अब सोलर मॉड्यूल के उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है और इसकी उत्पादन क्षमता लगभग 52 GWdc तक पहुंच चुकी है। Kotak के अनुसार, इस बदलाव के कारण इस वर्ष के पहले पांच महीनों में आयातों में 42% की गिरावट आई है। नतीजतन, US सोलर बाजार, जो पहले भारतीय निर्माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण निर्यात गंतव्य था, अब स्थानीय उत्पादन में वृद्धि के कारण ज्यादा प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहा है। Waaree Energies, जो US बाजार से अपने राजस्व का लगभग 20% प्राप्त करती है, को अब इस स्व-निर्भरता की ओर बढ़ते कदमों के कारण गंभीर परेशानी हो सकती है।
इसके अलावा, नई AD/CVD जांच इस मुश्किल को और बढ़ा सकती है, जिससे भारतीय सोलर निर्यातों में और रुकावटें आ सकती हैं। यह घटनाएं इंडस्ट्री में चिंता का कारण बन रही हैं, क्योंकि इसमें वित्तीय रूप से बहुत बड़े दांव जुड़े हुए हैं। Waaree Energies, जो पहले Big Beautiful Bill और ASEAN देशों के लिए अनुकूल व्यापार नीतियों के तहत अपने निर्यात संचालन को फिर से शुरू करने की उम्मीद कर रही थी, अब इस अनिश्चितता से घिरी हुई है कि क्या ये उम्मीदें पूरी होंगी। यह जांच सोलर मॉड्यूल के ऑर्डर में देरी या रद्द होने का कारण बन सकती है, जिससे कंपनी के लाभ में गिरावट हो सकती है।
Kotak का आकलन और स्टॉक की सिफारिशें
Kotak Institutional Equities ने भारतीय सोलर निर्माताओं के जोखिमों को ध्यान में रखते हुए Waaree Energies और Premier Energies के लिए अपने वित्तीय प्रक्षेपणों में कोई बदलाव नहीं किया है। हालांकि इस क्षेत्र में नकारात्मक भावना है, Kotak ने अपने FY2026-28 के पूर्वानुमान में कोई बदलाव नहीं किया है। Kotak ने दोनों कंपनियों के लिए “SELL” रेटिंग बरकरार रखी है, और Waaree Energies का उचित मूल्य Rs 2,600 और Premier Energies का Rs 900 रखा है। यह सशक्त दृष्टिकोण US जांच से उत्पन्न अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए है।
अब तक, Waaree Energies और Premier Energies दोनों को US बाजार में अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा है, खासकर जब संभावित नई शुल्कों और US में स्थानीय सोलर मॉड्यूल उत्पादन में वृद्धि के बारे में बात की जाती है। हालांकि विश्लेषक अभी भी इन कंपनियों की कमाई की उम्मीदों में कोई बदलाव नहीं कर रहे हैं, क्योंकि US जांच का पूरा प्रभाव अभी तक स्पष्ट नहीं है।
भारतीय सोलर निर्माताओं के लिए आगे का रास्ता
US में AD/CVD जांच की चिंताओं के कारण, Waaree Energies और Premier Energies दोनों के लिए आने वाले दिन चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। जबकि Premier Energies को US बाजार से कम जोखिम का सामना करना पड़ सकता है, Waaree Energies, जो US निर्यातों पर बहुत ज्यादा निर्भर है, एक अधिक संवेदनशील स्थिति में है। इस जांच का परिणाम और नए शुल्क का प्रभाव इन कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण होगा।
भारतीय सोलर निर्माण उद्योग को अब इन बदलती परिस्थितियों के मुताबिक तेज़ी से अनुकूलित होना होगा, यदि वह अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी कंपनी की रेपोटेशन स्थिति बनाए रखना चाहते हैं , तो उन्हें US सरकार के घरेलू सोलर उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रयास करना होगा, और खासकर उन कंपनियों के लिए जो निर्यातों पर निर्भर हैं। केवल समय ही बताएगा कि भारतीय सोलर कंपनियां इन नए दबावों का सामना कैसे करती हैं, और क्या वे AD/CVD जांच से उत्पन्न अस्थिरताओं से उबर पाएंगी।