
Waaree Energies Limited (WEL) भारतीय रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में एक प्रमुख नाम है, जिसकी सोलर एनर्जी क्षेत्र में एक अच्छी मजबूत पकड़ बनती जा रही है। आपको बता दे की देश में एक स्वच्छ और सतत ऊर्जा समाधानों की मांग बढ़ने के साथ, कंपनी का कारोबार और उसके द्वारा किए गए काम के प्रदर्शन की वजह से निवेशकों का ध्यान कंपनी की ओर आधिक आकर्षित हो गया है। लेकिन अब भी क्या Waaree Energies के शेयर में निवेश से लंबी अवधि के साथ-साथ एक बेहतर रिटर्न मिल सकता है? चलिए इसके बिजनेस मॉडल, फाइनेंशियल्स, रिस्क के बारे में आपको पूरी जानकारी बताते हैं।
Waaree Energies का बिजनेस मॉडल
अगर हम बात Waaree Energies की स्थापना की करे तो यह करीबन दिसंबर 1990 में मुंबई में हुई थी। इस कंपनी की सोलर पीवी मॉड्यूल्स की सबसे बड़ी भारतीय निर्माता है। जिसकी कुल इंस्टॉल्ड क्षमता मार्च 2025 तक 15 गीगावॉट (GW) है। गुजरात में 5.4 GW का सेल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट और अमेरिका में 1.6 GW का मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट भी इसके पास है। FY27 तक कंपनी अमेरिका में अपनी क्षमता बढ़ाकर 5 GW तक ले जाने की योजना बना रही है।
इस कंपनी की प्रमुख सेवाओं में सोलर पीवी मॉड्यूल्स, EPC (Engineering, Procurement, and Construction) समाधान, O&M (Operation & Maintenance) सेवाएँ और IPP (Independent Power Producer) शामिल हैं। FY24 में कंपनी की कुल कमाई में 92.32% का योगदान सोलर पीवी मॉड्यूल्स से रहा, जबकि EPC और O&M से 7.43% और IPP से 0.25% की हिस्सेदारी रही।
वित्तीय प्रदर्शन और ग्रोथ
वैसे Waaree Energies ने पिछले तीन वर्षों में निवेशकों की नजर में अपनी काफी अच्छी पहचान बनाई है। FY22 में इसका रिवेन्यू 28,543 मिलियन रुपये था जो FY24 में 113,976 मिलियन रुपये तक पहुंच गया। जिसके दौरान इसका रिवेन्यू CAGR 80% और नेट प्रॉफिट CAGR 203.5% रहा। FY24 में कंपनी का नेट प्रॉफिट 12,744 मिलियन रुपये और नेट प्रॉफिट मार्जिन 11.2% था। FY25 में बिक्री 148,460 मिलियन रुपये रही, जो पिछले साल की तुलना में 27% अधिक है, वहीं EBITDA 31,230 मिलियन रुपये (72.6% ग्रोथ) और नेट प्रॉफिट 19,280 मिलियन रुपये (51.3% ग्रोथ) रहा।
कंपनी का FY25 में ऑर्डर बुक 470,000 मिलियन रुपये का है और FY26 में EBITDA का अनुमान 55,000-60,000 मिलियन रुपये तक है।
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जोखिम और चुनौतियाँ
फिलहाल अगर कंपनी की ग्रोथ के बारे में बताए तो यह इन्वेस्टर के लिए इन्वेस्ट करने के लिए काफी अच्छा हो सकता है, लेकिन ध्यान की इसमें कुछ प्रमुख जोखिम भी हैं। भारत अपनी सोलर मॉड्यूल जरूरतों का 80% आयात करता है, जिससे कंपनी पर चीन, वियतनाम, हांगकांग और मलेशिया जैसे देशों के भरोसे पूरी तरह से रहती है। कंपनी ने FY25 में 5.4 GW का सेल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट शुरू किया है और FY27 तक 4.8 GW का इंटीग्रेटेड प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई है ताकि इस निर्भरता को घटाया जा सके।
सप्लाई चेन में बाधाएं, तकनीकी बदलावों की तेज रफ्तार, सरकारी नीतियों में बदलाव, बाजार में कंपनियों के बीच की होड और आर्थिक स्थिति की मंदी और भू-राजनीतिक अस्थिरता भी इसके लिए प्रमुख चुनौतियाँ हैं।
भविष्य की रणनीति और विस्तार योजना
Waaree Energies की लॉन्ग टर्म स्ट्रेटेजी में बैकवर्ड इंटीग्रेशन, इंटरनेशनल एक्सपेंशन और नए कारोबार को साथ में जोड़ दिया गया हैं। इसके अलावा इस कंपनी को ओडिशा में 6 GW का बैकवर्ड इंटीग्रेटेड प्लांट स्थापित करने के लिए 19,232 मिलियन रुपये का PLI राशि का अनुदान भी दिया गया है। अमेरिका में 1.6 GW मॉड्यूल प्लांट को FY26 तक 3 GW और FY27 तक 5 GW तक बढ़ाया जाएगा। साथ ही, कंपनी 300 MW का इलेक्ट्रोलाइजर प्लांट, 6 GW इनगॉट-वेफर क्षमता, 4.8 GW अतिरिक्त सोलर सेल्स और 21 GW सोलर मॉड्यूल क्षमता भी विकसित कर रही है।
भारत में Renewable Energy सेक्टर की संभावनाएँ
भारत जैसे देश में रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टरों ने पिछले कुछ पुराने वर्षों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। साथ ही इसने 2018 में कुल 114 GW से अधिक बढ़ाकर इसे मार्च 2024 से इसकी कैपिसिटी 191 GW तक हो गई है , जिसमें सोलर पावर का हिस्सा कुल 43% है। इसके अलावा नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान FY27 की सोलर पावर क्षमता 186 GW और FY32 की 365 GW तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। गोरमेंट्स ने इस घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सोलर मॉड्यूल्स पर 40% और सोलर सेल्स पर 25% बेसिक कस्टम ड्यूटी लगाई है। Waaree Energies भारत के इस सोलर पावर पूर्ण रूप से काम कर रही है।