सोलर पैनल के यूज को बढ़ावा देने के लिए सरकार देश के नागरिकों को सोलर सब्सिडी दे रही है, ऐसे में कम खर्चे में अपनी जरूरत के हिसाब के सोलर पैनल को लगा सकते हैं। 1 किलोवाट सोलर पैनल को लगाकर घर में बिजली की सामान्य जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। घर में सोलर पैनल लगाने से पहले बिजली के लोड की जानकारी का होना जरूरी होता है, ऐसे में कुशल सोलर सिस्टम लगाया जा सकता है।
1 किलोवाट सोलर पैनल कितनी बिजली बनाते हैं?
बाजार में मुख्य रूप से पॉलीक्रिस्टलाइन, मोनोक्रिस्टलाइन एवं बाइफेशियल प्रकार के सोलर पैनल मिलते हैं, इनमें से आप अपने बजट के अनुसार सोलर पैनल का चयन कर सकते हैं। 1 किलोवाट के सोलर पैनल से हर दिन उचित धूप मिलने पर 5 यूनिट तक बिजली बनाई जा सकती है। सोलर पैनल से बिजली के उत्पादन में 20% पावर लॉस होता है, ऐसे में 4 यूनिट बिजली प्राप्त की जा सकती है। महीने में इससे 120 यूनिट से 150 यूनिट तक बिजली प्राप्त कर सकते हैं।
कौन सी डिवाइस 1 किलोवाट सोलर पैनल से चलाई जा सकती है?
1 किलोवाट सोलर पैनल से निम्न लिखित उपकरण चलाए जा सकते हैं:-
- बल्ब (15 वाट के 10)
- दो फैन
- 0.5 HP वाटर मोटर
- LED TV
- रेफ्रीजरेटर
नोट: इन सभी उपकरणों को एक साथ नहीं चलाना चाहिए, ऐसे में अधिक लोड सिस्टम पर पद सकता है और उपकरण खराब हो सकते हैं।
1 किलोवाट सोलर सिस्टम
सोलर सिस्टम में सोलर पैनल, सोलर इंवर्टर एवं बैटरी का प्रयोग मुख्य उपकरणों के रूप में किया जाता है। सोलर पैनल के प्रकार का चयन आप अपने बजट के अनुसार कर सकते हैं, इसमें पॉली सोलर पैनल सस्ते होते हैं। सिस्टम में इंवर्टर द्वारा डीसी को एसी में बदला जाता है। पावर बैकअप के लिए सिस्टम में बैटरी जोड़ी जाती है। ऐसे में आप पावर बैकअप की जरूरत के अनुसार बैटरी की क्षमता का चयन कर सकते हैं।
सोलर सिस्टम को स्थापित करने के लिए सरकारी सब्सिडी का लाभ लिया जा सकता है, ऐसे में ऑनग्रिड सोलर सिस्टम लगाया जाता है, जिसमें बैटरी को नहीं जोड़ा जाता है। सोलर सिस्टम को लगाकर बिजली की जरूरतों को पूरा करने के साथ ही बिल को भी आसानी से कम किया जा सकता है। सोलर पैनल सिस्टम को सुरक्षित करने के लिए कुछ अन्य उपकरणों का प्रयोग भी किया जाता है। सोलर पैनल के प्रयोग से प्रदूषण को कम कर सकते हैं।