
देश में बढ़ती बिजली दरों और बढ़ते पर्यावरणीय संकट के बीच सोलर एनर्जी (Solar Energy) लोगों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनकर उभरी है। सरकार द्वारा प्रोत्साहित रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) को अपनाने के तहत लाखों लोग अपने घरों पर सोलर पैनल सिस्टम लगवा चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद बहुत से लोगों की शिकायत रहती है कि “सोलर पैनल लगाने के बाद भी बिजली का बिल क्यों आ रहा है?” इस समस्या की जड़ कुछ आम लेकिन बड़ी गलतियों में छिपी होती है। आइए जानें वे कौन सी 5 बड़ी गलतियाँ हैं जो आपके सोलर इन्वेस्टमेंट को प्रभावित कर सकती हैं।
गलत साइज का सोलर सिस्टम लगाना बन सकता है परेशानी की जड़
सोलर पैनल लगाने से पहले यह जानना जरूरी होता है कि आपकी घरेलू या व्यावसायिक बिजली खपत कितनी है। यदि आपने अपनी खपत से कम क्षमता वाला सोलर सिस्टम इंस्टॉल कराया है, तो वह आपकी जरूरत की पूरी बिजली उत्पन्न नहीं कर पाएगा। उदाहरण के लिए, अगर आपके घर की मासिक खपत 300 यूनिट है लेकिन आपका सोलर सिस्टम केवल 200 यूनिट बिजली बना रहा है, तो शेष 100 यूनिट बिजली आपको बिजली ग्रिड से लेनी पड़ेगी। इस स्थिति में बिजली बिल आना तय है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि सोलर सिस्टम का चयन करते समय केवल मौजूदा खपत ही नहीं, भविष्य की जरूरतों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
नेट मीटरिंग की प्रक्रिया अधूरी होना या सेटअप में तकनीकी खामी
नेट मीटरिंग सिस्टम (Net Metering System) वह प्रक्रिया है जिसके तहत आपकी सोलर पैनल द्वारा उत्पन्न अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में भेजा जाता है और उसका क्रेडिट आपके बिजली बिल में समायोजित होता है। लेकिन अगर यह सिस्टम ठीक से इंस्टॉल नहीं हुआ है, या आपकी वितरण कंपनी (DISCOM) द्वारा इसे एक्टिवेट नहीं किया गया है, तो आपका पूरा सोलर प्रोडक्शन उपयोग में नहीं आ पाएगा।
बहुत से उपभोक्ता यह गलती कर बैठते हैं कि सोलर पैनल लगवाने के तुरंत बाद वे मान लेते हैं कि नेट मीटरिंग चालू हो चुकी है, जबकि तकनीकी सत्यापन और प्रक्रिया पूरी होने में समय लग सकता है। यह सुनिश्चित करें कि आपके मीटर पर ‘बाय-डायरेक्शनल’ सेटिंग्स सही ढंग से काम कर रही हैं।
सोलर पैनल की सफाई में लापरवाही
भारत जैसे देशों में जहां धूल, प्रदूषण और पक्षियों की संख्या अधिक है, वहाँ सोलर पैनल पर गंदगी जमा होना आम बात है। लेकिन यही गंदगी आपकी सोलर यूनिट की क्षमता को 20 से 30 प्रतिशत तक कम कर सकती है।
सोलर पैनल्स की सतह पर जब धूल, पत्ते या पक्षियों का मल जमा हो जाता है, तो सूर्य की किरणें पैनल तक ठीक से नहीं पहुँचतीं और बिजली उत्पादन घट जाता है। इस स्थिति में सिस्टम आपकी बिजली जरूरत को पूरा नहीं कर पाता और फिर ग्रिड से बिजली लेनी पड़ती है, जिससे बिल आना लाजमी है।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि पैनल्स की हर 10-15 दिनों में सफाई की जानी चाहिए, विशेषकर गर्मियों और शुष्क मौसम में।
ऑफ-ग्रिड सिस्टम में बैटरी बैकअप की कमी
कुछ लोग ग्रिड से पूरी तरह अलग रहने के उद्देश्य से ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम इंस्टॉल कराते हैं। लेकिन अगर इस सिस्टम के साथ बैटरी की पर्याप्त क्षमता नहीं है, तो समस्या पैदा हो सकती है।
रात के समय, बारिश वाले दिनों में या लंबे बादल भरे मौसम में जब सोलर पैनल बिजली नहीं बना पाते, तब बैटरी बैकअप जरूरी होता है। यदि बैटरी जल्दी डिस्चार्ज हो जाती है या छोटी क्षमता की है, तो आपको मजबूरी में ग्रिड से बिजली लेनी पड़ती है।
यह स्थिति तब और भी गंभीर हो जाती है जब आपकी बिजली खपत में भारी उपकरण जैसे एयर कंडीशनर, हीटर या गीजर शामिल होते हैं।
उच्च खपत वाले उपकरणों का अत्यधिक उपयोग
भले ही आपका सोलर सिस्टम सही ढंग से काम कर रहा हो, लेकिन अगर आपके घर में हाई-पावर डिवाइसेज जैसे एसी, माइक्रोवेव, गीजर आदि का अत्यधिक उपयोग हो रहा है, तो आपके सोलर सिस्टम की सीमा पार हो सकती है।
खासतौर पर गर्मियों में जब लगातार एसी का उपयोग होता है, या सर्दियों में गीजर और हीटर चलते हैं, तो सिस्टम की उत्पादन क्षमता से अधिक खपत हो जाती है। ऐसे में ग्रिड से अतिरिक्त बिजली लेनी पड़ती है, जिससे बिल बढ़ जाता है।
इसका हल यह है कि या तो आप अपने सोलर सिस्टम को अपग्रेड करें या फिर ऊर्जा की खपत पर नजर रखें और आवश्यकतानुसार स्मार्ट अप्लायंसेज का उपयोग करें।
समाधान और सुझाव – कैसे पाएं इस समस्या से छुटकारा
यदि आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो नीचे दिए गए समाधान आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं:
सर्वप्रथम, अपने घर की मासिक और वार्षिक बिजली खपत का विश्लेषण करें और उसी हिसाब से सोलर सिस्टम का चयन करें।
नेट मीटरिंग की पूरी प्रक्रिया को फॉलो करें और वितरण कंपनी से इसकी पुष्टि करवाएं।
सोलर पैनल की नियमित सफाई करें और पैनल्स की कार्यक्षमता की निगरानी के लिए मोबाइल ऐप्स या एनर्जी मॉनिटरिंग डिवाइस का उपयोग करें।
अगर आपने ऑफ-ग्रिड सिस्टम लगाया है तो बैटरी की क्षमता बढ़ाएं या हाइब्रिड सिस्टम पर विचार करें।
ऊर्जा खपत पर नियंत्रण रखें और समय-समय पर अपने सिस्टम की ऑडिटिंग कराते रहें।