
जब बात Renewable Energy की होती है, तो On-Grid सोलर सिस्टम को सबसे किफायती और व्यावहारिक विकल्पों में गिना जाता है। लेकिन आमतौर पर लोगों को यह जानकर हैरानी होती है कि जब ग्रिड की बिजली चली जाती है, तो यह सोलर सिस्टम भी बिजली बनाना बंद कर देता है। यह कोई खराबी नहीं बल्कि एक विशेष सुरक्षा तकनीक है जिसे एंटी-आइलैंडिंग (Anti-Islanding) कहा जाता है।
क्या है एंटी-आइलैंडिंग तकनीक और क्यों है यह जरूरी?
एंटी-आइलैंडिंग एक महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रणाली है जो On-Grid सोलर सिस्टम को बिजली कटौती के समय स्वत: बंद कर देती है। जब राष्ट्रीय या स्थानीय पावर ग्रिड किसी कारणवश फेल हो जाती है या बंद कर दी जाती है, तो यह तकनीक सोलर इन्वर्टर को यह पहचानने में मदद करती है कि ग्रिड उपलब्ध नहीं है। इसके तुरंत बाद इन्वर्टर सोलर पैनलों से आने वाली बिजली को ग्रिड में भेजना बंद कर देता है।
इसका मुख्य उद्देश्य है ग्रिड पर कार्यरत कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना। अगर ग्रिड बंद होने के बावजूद कोई सोलर सिस्टम बिजली भेजता रहा, तो यह बिजली लाइन पर कार्य कर रहे लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। इसलिए सभी आधुनिक On-Grid सिस्टम में यह तकनीक अनिवार्य रूप से लगाई जाती है।
सूरज चमकता है, फिर भी घर अंधेरे में क्यों?
यह सवाल अकसर लोग पूछते हैं कि जब उनके Solar Panel धूप में बिजली बना रहे होते हैं, तो पावर कट के समय उनका घर अंधेरे में क्यों डूब जाता है? इसका सीधा उत्तर है कि On-Grid सोलर सिस्टम ग्रिड से जुड़ा होता है और ग्रिड की स्थिति पर ही उसकी कार्यप्रणाली निर्भर करती है। इसलिए जैसे ही ग्रिड फेल होता है, सोलर सिस्टम भी स्वचालित रूप से बंद हो जाता है।
यह तकनीकी विशेषता सिस्टम की खराबी नहीं, बल्कि एक ज़रूरी सेफ्टी फ़ीचर है। इसलिए अगर कोई उपभोक्ता पावर कट के दौरान भी सोलर बिजली का उपयोग करना चाहता है, तो उसे एक अलग प्रकार के सिस्टम की आवश्यकता होती है।
समाधान: बैटरी बैकअप या हाइब्रिड सोलर सिस्टम
अगर आपकी प्राथमिकता यह है कि बिजली कटने की स्थिति में भी आपके सोलर पैनल काम करते रहें, तो इसके लिए On-Grid सिस्टम की जगह Hybrid Solar System या बैटरी बैकअप सिस्टम उपयुक्त विकल्प हैं। ये सिस्टम दोहरी कार्यप्रणाली पर काम करते हैं – जब ग्रिड चालू होता है तब उसमें बिजली भेजते हैं, और जब ग्रिड बंद हो जाता है तब बैटरी में संग्रहित ऊर्जा को आपके घर को सप्लाई करते हैं।
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हाइब्रिड सिस्टम में एक स्मार्ट इन्वर्टर होता है जो यह तय करता है कि कब सोलर पावर ग्रिड को भेजनी है और कब बैटरी को चार्ज करना है। इसी तरह, पावर कट के समय बैटरी से सीधे घर को सप्लाई मिलती है, जिससे उपभोक्ता को बिना किसी रुकावट के बिजली मिलती रहती है।
भारत में बढ़ रही है हाइब्रिड सोलर सिस्टम की मांग
भारत जैसे देश में जहां बिजली कटौती एक आम समस्या है, वहां अब उपभोक्ताओं का झुकाव पारंपरिक On-Grid सिस्टम से हटकर Hybrid System की ओर बढ़ रहा है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां बिजली की उपलब्धता सीमित है, वहां यह तकनीक बड़ी राहत देती है।
सरकारी स्तर पर भी अब ऐसी योजनाएं बनाई जा रही हैं जो Battery Backup आधारित सोलर सिस्टम को बढ़ावा देती हैं। इससे एक ओर तो Renewable Energy का उपयोग बढ़ेगा और दूसरी ओर उपभोक्ता को निर्बाध बिजली मिल सकेगी।
यह सुरक्षा है, कोई तकनीकी खराबी नहीं
साफ शब्दों में कहा जाए तो On-Grid सोलर सिस्टम का ग्रिड बंद होने पर बिजली बनाना बंद कर देना कोई गलती नहीं, बल्कि एक आवश्यक सुरक्षा प्रक्रिया है। यह प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि किसी आपात स्थिति में कोई दुर्घटना न हो। हालांकि, यदि आप बिजली कटौती के समय भी सोलर एनर्जी का उपयोग करना चाहते हैं, तो हाइब्रिड सिस्टम या बैटरी बैकअप वाला सोलर सिस्टम ही एकमात्र समाधान है।
भविष्य में जैसे-जैसे भारत Renewable Energy की दिशा में और अधिक आगे बढ़ेगा, वैसे-वैसे यह समझ बढ़ेगी कि केवल On-Grid सिस्टम ही समाधान नहीं है। अब समय आ गया है कि हम स्मार्ट और ऑल-इन-वन सोलर समाधानों की ओर बढ़ें।