
भारत देश में Renewable Energy को लेकर अब जागरूकता तेजी से बढ़ रही है, और साथ ही बड़ी संख्या में लोग अपने घर पर सोलर सिस्टम (Solar System) लगाना पसंद कर रहें हैं। इसके अलावा प्रधान मंत्री सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना (PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana) और ग्रिड-केनेक्टेड रूफटॉप सोलर जैसी योजनाओं ने लोगों को सौर ऊर्जा अपनाने के लिए बढ़ावा मिल रहा है। लेकिन जब बात बिना नेट-मीटरिंग यानि off-Grid या Hybrid Solar System से बनी होती है। लेकिन फिर भी कई उपभोक्ता सोच मे पड़े रहते है, कि क्या इस तरह के सिस्टम पर भी सब्सिडी या सरकारी लाभ मिल सकता है।
बिना नेट-मितटरिंग वाले सोलर सिस्टम पर सब्सिडी
सरकार सोलर पैनल सब्सिडी मदद देने के लिए कई तरह की योजनाओं को शुरू करती है, जिनका मुख्य उद्देश्य पूरे देश में Renewable Energy के उत्पादन को बढ़ावा देना देकर साथ में उपभोक्ता को सस्ती बिजली उपलध करना है। लेकिन इसके साथ ही यह ध्यान जरूर रखे जरूर रखे कि PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana,Grid-Connected Rooftop Solar Programme और PM-KUSUM जैसी योजनाओं के माध्यम से सब्सिडी राशि और Generation Based Incentive (GBI) सिर्फ उन सोलर सिस्टम पर दी जाती है, जो ग्रिड से जुड़े होते हैं। और उनमें नेट-मीटरिंग की व्यवस्था होती है। इसके अलावा अगर कोई उपभोक्ता ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम अपने घर में लगवाना चहाता है,तो उसे किसी भी तरह की सब्सिडी की मदद नहीं मिल पाती है। Tata Power और अन्य प्रमुख ऊर्जा कंपनियों ने भी बात की जांच की है कि बिना नेट-मीटरिंग वाले सिस्टम पर सरकार की ओर से सहायता उपलब्ध नहीं कराई जा सकती है।
ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम कहां और क्यों पड़ती है?
Off-Grid Solar System का मतलब होता है ऐसा सिस्टम जो पूरी तरह ग्रिड से अलग हो और बिजली को सीधे उपयोग या बैटरी में स्टोर करने के लिए बनाया गया हो। यह सिस्टम उन इलाकों में ज्यादा उपयोगी होता है जहां बिजली की ग्रिड कनेक्टिविटी नहीं है या फिर जहां उपभोक्ता पूरी तरह आत्मनिर्भर बनना चाहता है। हालांकि सरकारी योजनाओं का फोकस ऐसे सिस्टम्स पर कम रहता है और सब्सिडी मुख्यत: Grid-Connected मॉडल्स पर दी जाती है। PM-KUSUM योजना में भी किसानों को सोलर पंप्स पर सब्सिडी दी जाती है लेकिन उसमें भी ग्रिड से जुड़े मॉडल को प्राथमिकता मिलती है। ऐसे में Off-Grid सिस्टम लगाने वाले उपभोक्ताओं को अपनी जेब से पूरी लागत वहन करनी पड़ती है।
बिना नेट-मीटरिंग सोलर सिस्टम कब फायदेमंद होता है
अगर उपभोक्ता का उद्देश्य केवल बिजली बिल में कमी लाना है और वह नेट-मीटरिंग जैसी सरकारी औपचारिकताओं से बचना चाहता है तो भी Off-Grid या Hybrid Solar System एक अच्छा विकल्प बन सकता है। दिन के समय में सौर ऊर्जा से Self Consumption करने पर उपभोक्ता अपनी ग्रिड पर निर्भरता घटा सकता है। अगर बैटरी स्टोरेज सिस्टम भी लगाया जाए तो रात के समय भी सौर ऊर्जा का उपयोग संभव है। यह विकल्प विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी साबित होता है जिनका बिजली उपयोग दिन में अधिक होता है और जो बैटरी या Hybrid System पर निवेश करने को तैयार होते हैं। Loom Solar और अन्य विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि सही प्लानिंग से Off-Grid System भी एक टिकाऊ और प्रभावी समाधान हो सकता है।
नेट-मीटरिंग और ऑफ-ग्रिड सिस्टम दोनों मे से किसमें है फायदा
On-Grid Solar System जिसमें नेट-मीटरिंग की सुविधा होती है, उसमें उपभोक्ता को सरकार की ओर से सब्सिडी और GBI जैसे लाभ मिलते हैं। साथ ही उपभोक्ता अपनी अतिरिक्त बिजली ग्रिड को बेचकर बिजली बिल में क्रेडिट भी हासिल कर सकता है। हालांकि इसके लिए DISCOM से अनुमति लेना और नेट-मीटरिंग की प्रक्रिया पूरी करनी होती है। इसके उलट Off-Grid या Hybrid System में उपभोक्ता को किसी प्रकार की सरकारी सब्सिडी नहीं मिलती लेकिन यह सिस्टम पूरी तरह उपभोक्ता के नियंत्रण में रहता है और DISCOM की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती। इस प्रकार उपभोक्ता अपनी जरूरत और बजट के अनुसार निर्णय ले सकता है कि वह कौन सा सिस्टम चुने।
लास्ट अड्वाइस क्या चुने और कैसे करे फैसला
विशेषज्ञों की राय में अगर उपभोक्ता की प्राथमिकता सरकारी सब्सिडी पाना और बिजली बिल में क्रेडिट लेना है तो उसे नेट-मीटरिंग वाला On-Grid Solar System लगाना चाहिए। वहीं अगर उपभोक्ता पूरी तरह आत्मनिर्भर बनना चाहता है और बैटरी स्टोरेज पर निवेश कर सकता है तो Off-Grid या Hybrid Solar System बेहतर विकल्प हो सकता है। किसी भी प्रकार का सोलर सिस्टम लगाने से पहले उपभोक्ता को अपने क्षेत्र की DISCOM से जानकारी अवश्य लेनी चाहिए कि वहां नेट-मीटरिंग की क्या स्थिति है और Off-Grid सिस्टम पर कोई स्थानीय सब्सिडी उपलब्ध है या नहीं। इसके अलावा उपभोक्ता को अपनी बिजली की खपत और बजट का सही आकलन कर ही अंतिम निर्णय लेना चाहिए ताकि निवेश सही दिशा में हो सके।