
भारत में Renewable Energy के प्रति बढ़ती जागरूकता और सौर ऊर्जा के लाभों को देखते हुए आम उपभोक्ता अब अपने घर की छतों पर सोलर सिस्टम लगवाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं। खासतौर पर देहरादून जैसे क्षेत्रों में, जहां साल भर भरपूर धूप उपलब्ध रहती है, वहां 7.5 किलोवाट (kW) का सोलर सिस्टम एक व्यवहारिक और किफायती विकल्प बनकर उभरा है। यह न सिर्फ आपके बिजली बिलों को काफी हद तक घटा सकता है, बल्कि लंबे समय में फ्री बिजली भी उपलब्ध कराता है।
रोजाना 30 से 35 यूनिट तक बिजली उत्पादन, हर महीने ₹6,300 तक की बचत
एक 7.5 kW सोलर सिस्टम औसतन प्रतिदिन 30 से 35 यूनिट बिजली का उत्पादन कर सकता है। यह आंकड़ा मौसम, धूप की तीव्रता और सोलर पैनलों की दक्षता पर निर्भर करता है। इस उत्पादन के आधार पर, महीनेभर में यह सिस्टम लगभग 900 से 1,050 यूनिट तक बिजली बना सकता है।
यदि स्थानीय बिजली दर ₹6 प्रति यूनिट मानी जाए, तो इस सिस्टम से हर महीने ₹5,400 से ₹6,300 तक की सीधी बचत की जा सकती है। यह बचत ना केवल उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर डालती है, बल्कि बिजली वितरण कंपनियों पर भी लोड कम करती है।
घर की छत पर चाहिए लगभग 800 वर्ग फीट स्थान
एक 7.5 किलोवाट क्षमता वाला सोलर सिस्टम लगाने के लिए औसतन 750 से 800 वर्ग फीट की छत की आवश्यकता होती है। यह स्थान इसलिए जरूरी है क्योंकि सोलर पैनल को एक विशेष कोण पर लगाया जाता है ताकि दिनभर भरपूर धूप प्राप्त हो सके।
देहरादून जैसे शहरी क्षेत्रों में जहां अधिकांश मकानों की छतें खाली रहती हैं, वहां यह स्थान बड़ी समस्या नहीं है। सही प्लानिंग और छत के अनुकूल डिजाइन से इस स्थान का बेहतर उपयोग किया जा सकता है।
ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड सिस्टम की लागत में अंतर
सोलर सिस्टम की कुल लागत इस बात पर निर्भर करती है कि आप ऑन-ग्रिड सिस्टम लगवा रहे हैं या ऑफ-ग्रिड। एक 7.5 kW का ऑन-ग्रिड सिस्टम ₹3.5 लाख से ₹4.5 लाख के बीच आ सकता है, जबकि ऑफ-ग्रिड सिस्टम की कीमत ₹4.5 लाख से ₹5.5 लाख तक हो सकती है। ऑफ-ग्रिड सिस्टम में बैटरी स्टोरेज भी शामिल होता है, जिससे रात में भी बिजली का उपयोग किया जा सकता है।
हालांकि, अधिकतर घरेलू उपयोगकर्ताओं के लिए ऑन-ग्रिड सिस्टम अधिक लाभकारी होता है क्योंकि यह सीधे ग्रिड से जुड़ा होता है और अतिरिक्त बिजली को बिजली कंपनी को बेचकर कमाई भी की जा सकती है।
प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत मिल रही है मोटी सब्सिडी
भारत सरकार की ओर से Renewable Energy को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही “प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना” के तहत उपभोक्ताओं को सब्सिडी का लाभ मिल रहा है। इस योजना के अनुसार 3 kW तक की इंस्टॉलेशन पर ₹18,000 प्रति किलोवाट और 4–10 किलोवाट के बीच ₹9,000 प्रति किलोवाट की सब्सिडी दी जाती है। 7.5 kW सिस्टम पर अधिकतम ₹94,500 तक की सब्सिडी मिल सकती है।
यह सरकारी सहयोग सोलर सिस्टम की कुल लागत को काफी हद तक घटा देता है और इसे एक आम मध्यमवर्गीय परिवार के लिए भी सुलभ बना देता है।
निवेश पर वापसी महज 4–5 वर्षों में
यदि सब्सिडी और मासिक बचत दोनों को मिलाकर देखा जाए तो 7.5 किलोवाट का सोलर सिस्टम मात्र 4 से 5 वर्षों में अपना पूरा निवेश वसूल कर लेता है। उसके बाद उत्पन्न होने वाली बिजली लगभग मुफ्त हो जाती है, जिससे दीर्घकालिक रूप से हजारों रुपये की बचत सुनिश्चित होती है।
साथ ही, बिजली कटौती की समस्या से राहत और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव इसे एक टिकाऊ निवेश बनाते हैं।
पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की ओर एक बड़ा कदम
सौर ऊर्जा एक स्वच्छ और नवीकरणीय स्रोत है जो न केवल बिजली उत्पादन की लागत को घटाता है, बल्कि कार्बन उत्सर्जन को भी कम करता है। एक 7.5 किलोवाट सोलर सिस्टम सालाना सैकड़ों किलो कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोक सकता है, जो कि पर्यावरण के लिए एक बड़ा योगदान है।
आज जब पूरा विश्व Climate Change और Global Warming जैसी समस्याओं से जूझ रहा है, ऐसे में घरेलू स्तर पर Renewable Energy का उपयोग न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है बल्कि यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी भी बनता जा रहा है।