Perovskite सोलर सेल की लाइफ अब होगी ज्यादा! स्टडी में सामने आया नया ‘मॉलिक्यूलर शील्ड’ फार्मूला

IIT Kharagpur और इंटरनेशनल टीम ने खोजा एक आसान और सस्ता उपाय, जो Mixed Halide Perovskites को बनाता है पहले से कहीं ज्यादा स्थिर – जानिए कैसे एक छोटा-सा केमिकल बना गेमचेंजर!

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Written by Rohit Kumar

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Perovskite सोलर सेल की लाइफ अब होगी ज्यादा! स्टडी में सामने आया नया 'मॉलिक्यूलर शील्ड' फार्मूला
Perovskite सोलर सेल की लाइफ अब होगी ज्यादा! स्टडी में सामने आया नया ‘मॉलिक्यूलर शील्ड’ फार्मूला

Perovskites, एक ऐसा खनिज जिसमें ABX3 संरचना होती है और जो CaTiO3 जैसी दिखती है, हाल के वर्षों में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy के क्षेत्र में खासा आकर्षण का केंद्र बना है। खासकर Mixed Halide Perovskites (MHPs), जिनमें आयोडीन या ब्रोमीन जैसे हैलाइड अणु होते हैं, ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए अत्यधिक उपयोगी माने जा रहे हैं। इनकी खासियत है कि इनमें अलग-अलग हैलोजन तत्वों को मिलाकर प्रकाश के अवशोषण और उत्सर्जन की रंग सीमा को बारीकी से नियंत्रित किया जा सकता है। इसीलिए ये हाई एफिशिएंसी टैंडम सोलर सेल्स और जीवंत LED डिवाइसों के लिए आदर्श माने जाते हैं।

समस्या: लगातार रोशनी पड़ने पर टूटती है रचना

हालांकि, MHPs की यह खासियत उनके सबसे बड़े दोष के साथ आती है। जब इन सामग्रियों को लगातार प्रकाश या विद्युत धारा के संपर्क में रखा जाता है, तो उनके भीतर मौजूद विभिन्न हैलोजन तत्व अलग होने लगते हैं — ठीक वैसे ही जैसे तेल और पानी। इस प्रक्रिया को फेज सेग्रेगेशन कहते हैं, जो आयोडीन-समृद्ध और ब्रोमीन-समृद्ध क्षेत्रों का निर्माण करती है। इससे परवस्काइट की स्थिरता और प्रदर्शन में गिरावट आती है, जो इसकी उपयोगिता को सीमित करता है।

समाधान: IIT खड़गपुर की नई खोज

अब, IIT Kharagpur, Polish Center for Technology Development और North Carolina State University के शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने इस चुनौती का एक प्रभावशाली समाधान खोजा है। उन्होंने एक विशिष्ट MHP कंपाउंड — Cesium Lead Iodide Bromide (CsPbI₁․₅Br₁․₅) — पर काम किया, जो रोशनी पड़ने पर अत्यधिक अस्थिर हो जाता है।

टीम ने इस कंपाउंड की फेज सेग्रेगेशन को Photoluminescence (PL) Spectroscopy तकनीक से लाइव ट्रैक किया। जब इस पर 325 नैनोमीटर की UV लेजर डाली गई, तो इसका तेज, एकल उत्सर्जन संकेत तुरंत चौड़ा हो गया और दो अलग-अलग पीक में विभाजित हो गया। यह दर्शाता है कि क्रिस्टल संरचना में आयोडीन और ब्रोमीन अलग-अलग क्षेत्रों में बंट रहे थे — जिनमें एक क्षेत्र से हरा और दूसरे से लाल प्रकाश निकल रहा था।

Molecular Shield: DSH के चमत्कारी प्रभाव

शोधकर्ताओं ने इसके समाधान के रूप में 1-dodecanethiol (DSH) नामक एक केमिकल का उपयोग किया, जो एक प्रकार का ligand होता है। DSH में मौजूद सल्फर परमाणु, परवस्काइट के लीड परमाणुओं से मजबूती से जुड़ जाते हैं, जिससे यह एक नैनोस्केल की सुरक्षा परत की तरह काम करता है।

जब DSH से उपचारित फिल्म पर वही तेज UV लेजर डाली गई, तो PL स्पेक्ट्रम में लगभग कोई बदलाव नहीं हुआ — यह लगभग चार मिनट तक स्थिर रहा। जबकि बिना उपचार वाली फिल्म तुरंत अस्थिर हो गई थी। वीडियो रिकॉर्डिंग में स्पष्ट रूप से देखा गया कि DSH-ट्रीटेड सैंपल में कोई रंग विभाजन नहीं हुआ और यह लगातार नारंगी प्रकाश उत्सर्जित करता रहा।

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क्रिस्टल डिफेक्ट्स और DSH का समाधान

Perovskites में अक्सर halide vacancies होते हैं — यानी आयोडीन या ब्रोमीन अणुओं की अनुपस्थिति। ये रिक्त स्थान आयनों को इधर-उधर घूमने के लिए रास्ता देते हैं, जो कि फेज सेग्रेगेशन की मुख्य वजह बनते हैं। DSH इन रिक्त स्थानों को “पैच” की तरह भर देता है, जिससे आयन प्रवाह की संभावना बहुत कम हो जाती है।

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शोधकर्ताओं ने Density Functional Theory (DFT) पर आधारित कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग का प्रयोग कर यह भी दिखाया कि DSH इन रिक्त स्थानों से जुड़ने के लिए ऊर्जा की दृष्टि से लाभकारी है। यह बाइंडिंग इलेक्ट्रॉनिक संरचना को इस तरह बदलती है कि आयन के हिलने-डुलने के लिए आवश्यक ऊर्जा बाधा बढ़ जाती है — नतीजतन, संरचना अधिक स्थिर हो जाती है।

आगे की राह: स्थायित्व की ओर एक बड़ा कदम

जहां पहले के शोध परवस्काइट की संरचना में परिवर्तन जैसे जटिल समाधान खोज रहे थे, वहीं यह स्टडी एक सरल और सस्ता पोस्ट-ट्रीटमेंट उपाय प्रदान करती है। DSH के जरिए MHPs की स्थिरता को तेज़ प्रकाश में भी काफी समय तक बरकरार रखा जा सकता है। हालांकि, चार मिनट के बाद थोड़ी बहुत सेग्रेगेशन दोबारा शुरू हुई, यह संकेत देता है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है — लेकिन निश्चित रूप से काफी हद तक नियंत्रित हो गई है।

अगला कदम यह होगा कि DSH ट्रीटमेंट को वास्तविक सोलर पैनल या LED जैसे व्यावहारिक परिस्थितियों में आजमाया जाए। यदि इसमें सफलता मिलती है, तो यह तकनीक MHPs को बाजार में उपयोग के लिए तैयार करने में क्रांतिकारी साबित हो सकती है।

Also ReadPremier Energies Ltd: एनर्जी स्टॉक से मिलेगा तगड़ा फायदा, जानें कितना मिलेगा मुनाफा Premier Energies Ltd ने हाल ही में अपने IPO (Initial Public Offering) के जरिए बाजार में जोरदार एंट्री की है। Renewable Energy सेक्टर की इस कंपनी ने निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न देकर सभी का ध्यान खींचा है। IPO से लेकर लिस्टिंग डे तक का प्रदर्शन, मौजूदा शेयर प्राइस, कंपनी की वित्तीय स्थिति और संभावित जोखिम—इन सभी पहलुओं पर नजर डालना निवेशकों के लिए बेहद जरूरी हो जाता है। IPO प्रदर्शन और लिस्टिंग डे की रैली Premier Energies Ltd का IPO मूल्य बैंड ₹427 से ₹450 प्रति शेयर निर्धारित किया गया था। लेकिन जब कंपनी के शेयरों की NSE और BSE पर लिस्टिंग हुई, तो कीमत ₹990 से ₹994.55 तक पहुंच गई। यानी लिस्टिंग के दिन निवेशकों को करीब 120% तक का फायदा हुआ। इससे यह साफ हो गया कि बाजार में इस IPO को लेकर जबरदस्त उत्साह था। इस उत्साह का संकेत IPO के ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) से पहले ही मिल गया था। GMP लगभग ₹397 तक पहुंच गया था, जोकि इश्यू प्राइस पर 88% प्रीमियम को दर्शाता है। IPO को निवेशकों से जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला। कुल मिलाकर इसे 75 गुना सब्सक्रिप्शन मिला, जिसमें QIB (Qualified Institutional Buyers) श्रेणी में 212.42 गुना, NII (Non-Institutional Investors) में 50.98 गुना और रिटेल निवेशकों में 7.44 गुना सब्सक्रिप्शन दर्ज किया गया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि सभी वर्गों के निवेशक इस कंपनी में रुचि ले रहे हैं। मौजूदा शेयर मूल्य और विश्लेषण 17 अप्रैल 2025 को Premier Energies Ltd का शेयर प्राइस ₹948.15 पर ट्रेड कर रहा था। हालांकि, विश्लेषकों का औसत टारगेट प्राइस ₹925.25 है, जबकि कुछ विश्लेषकों ने इसे ₹1,228 तक भी प्रोजेक्ट किया है। लेकिन एक अहम बात यह है कि JP Morgan ने हाल ही में कंपनी का टारगेट प्राइस ₹1,170 से घटाकर ₹940 कर दिया है। यह इस ओर संकेत करता है कि विश्लेषक कंपनी के मूल्यांकन को लेकर थोड़े सतर्क हैं। वर्तमान में कंपनी का P/E (Price-to-Earnings) अनुपात 52.7 है, जोकि एक हाई वैल्यूएशन को दर्शाता है। वहीं, EPS (Earnings per Share) ₹16.3 है। वित्तीय प्रदर्शन: मुनाफे में जबरदस्त छलांग Premier Energies Ltd ने FY24 में ₹3,171.31 करोड़ का राजस्व अर्जित किया, जो कि इस क्षेत्र की एक मझोली कंपनी के लिए काफी मजबूत आंकड़ा है। इस अवधि में कंपनी का शुद्ध लाभ ₹231.36 करोड़ रहा, जबकि FY23 में यह आंकड़ा मात्र ₹13.83 करोड़ था। यानी कंपनी ने साल भर में लगभग 1,572% का PAT (Profit After Tax) ग्रोथ दर्ज किया है, जो कि बेहद सराहनीय है। कंपनी की ROE (Return on Equity) 43.73% और ROCE (Return on Capital Employed) 25.65% है। ये आंकड़े यह दिखाते हैं कि कंपनी ने पूंजी का प्रभावी उपयोग करते हुए उच्च लाभप्रदता अर्जित की है। जोखिम और चुनौतियां हालांकि कंपनी का प्रदर्शन शानदार रहा है, लेकिन इसमें कुछ अहम जोखिम भी शामिल हैं जिनका निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए। कंपनी की आय का बड़ा हिस्सा कुछ चुनिंदा ग्राहकों से आता है। इस ग्राहक निर्भरता से अगर भविष्य में कोई ग्राहक हटता है या डील में बदलाव होता है, तो कंपनी की कमाई पर प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, Premier Energies Ltd अपने कई उपकरण चीन से आयात करती है। इस कारण वैश्विक सप्लाई चेन में किसी भी प्रकार के व्यवधान का असर इसके उत्पादन पर पड़ सकता है। सबसे अहम जोखिम कंपनी का वर्तमान मूल्यांकन है। 52.7 का P/E अनुपात यह दर्शाता है कि निवेशक पहले ही भविष्य की उच्च कमाई को दाम में शामिल कर चुके हैं। ऐसे में यदि कंपनी भविष्य की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी, तो स्टॉक में करेक्शन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। दीर्घकालिक नजरिए से निवेश Renewable Energy सेक्टर में Premier Energies Ltd की स्थिति मजबूत होती जा रही है। IPO में जबरदस्त रेस्पॉन्स, लिस्टिंग डे पर शानदार मुनाफा और वित्तीय आंकड़ों में भारी वृद्धि इसे एक आकर्षक निवेश विकल्प बनाती है। हालांकि, हाई वैल्यूएशन और कुछ रणनीतिक जोखिमों के चलते अल्पकालिक निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए। लेकिन अगर आप लंबी अवधि के निवेशक हैं और Renewable Energy सेक्टर की संभावनाओं में विश्वास रखते हैं, तो Premier Energies Ltd आपके पोर्टफोलियो में शामिल करने योग्य स्टॉक हो सकता है।

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Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

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