सोलर पैनल मेंटेनेंस में कितना होगा खर्च? जानें सोलर पैनल लगाने के बाद के खर्चे

सोलर पैनल लगवाना सिर्फ एक बार का खर्च नहीं है,असली खेल तो बाद में शुरू होता है! मेंटेनेंस, सफाई और रिपेयर में कितना खर्च आएगा? क्या ये सच में बिजली का बिल जीरो कर पाएगा या हर महीने नई जेब ढीली करनी पड़ेगी? जानिए सोलर पैनल के छिपे हुए खर्च, सिर्फ यहां।

Photo of author

Written by Rohit Kumar

Published on

सोलर पैनल मेंटेनेंस में कितना होगा खर्च? जानें सोलर पैनल लगाने के बाद के खर्चे
सोलर पैनल मेंटेनेंस में कितना होगा खर्च? जानें सोलर पैनल लगाने के बाद के खर्चे

जैसा की आप जानते हैं, कि Renewable Energy सेक्टर मे हो रही तेजी गति के बीच Solar Panel एक सही और समाधान रूप में उभर चुका है। खासतौर पर Rooftop Solar Units की मांग शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों मे बढ़ी है। लेकिन अक्सर लोग इंस्टॉलेशन के बाद इसके मेंटेन्स की रियल लागत और जरूरत को नजर अंदाज कर देते है। जबकि सच यह है, कि अगर समय-समय पर इसकी देखभाल नही होगी,तो बिजली उत्पादन पर सीधा असर पड़ सकता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि भारत में एक रुफ़टोप सोलर सिस्टम को बनाए रखने का वार्षिक खर्च कितना आता है,और कैसे एक स्मार्ट प्लानिंग से इसे कम किया जा सकता है।

सोलर की सफाई और मेंटेनेंस की पहली जरूरी चीज़े

Solar Panel Maintenance का सबसे बुनियादी लेकिन अहम हिस्सा है इसकी सफाई। भारत जैसे धूलभरे वातावरण में, जहां गर्मी और प्रदूषण दोनों आम हैं, वहां सोलर पैनल पर धूल, पत्तियां और पक्षियों की बीट जमा हो जाना सामान्य है। इससे पैनल की कार्यक्षमता 10% से 20% तक गिर सकती है।

प्रोफेशनल सफाई की बात करें तो इसकी सालाना लागत ₹1,000 से ₹3,000 प्रति किलोवाट (kW) तक हो सकती है। यदि इसे सीजनल यानी साल में 3 से 4 बार करवाया जाए, तो हर विज़िट पर ₹500 से ₹1,500 का खर्च आ सकता है। दिल्ली, लखनऊ और चेन्नई जैसे शहरों में यह खर्च अधिक हो सकता है, जहां प्रदूषण का स्तर और धूल की मात्रा अधिक होती है।

हालांकि, DIY यानी स्वयं सफाई करने का विकल्प भी मौजूद है, जिसमें केवल पानी, एक स्पंज और थोड़ी मेहनत की जरूरत होती है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि साल में कम से कम एक बार प्रोफेशनल सफाई जरूर करवाई जानी चाहिए ताकि सिस्टम की लंबी उम्र सुनिश्चित हो सके।

AMC से मिलती है तकनीकी सुरक्षा

सिर्फ सफाई से काम नहीं चलता। सोलर सिस्टम में कई ऐसे टेक्निकल कंपोनेंट्स होते हैं जिन्हें समय-समय पर चेक करना जरूरी होता है। इसके लिए बाजार में उपलब्ध AMC (Annual Maintenance Contract) एक प्रभावी समाधान है।

AMC की कीमत ₹1,500 से ₹3,500 प्रति वर्ष के बीच होती है। इसमें आमतौर पर साल में दो से चार बार तकनीकी निरीक्षण, रिपोर्टिंग और आवश्यक जांच शामिल होती है। ऑन-ग्रिड सिस्टम के लिए यह खर्च ₹1,000 से ₹3,000 प्रति kW तक हो सकता है।

AMC की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सिस्टम में समय रहते खराबियों की पहचान करने में मदद करता है, जिससे बाद में होने वाले महंगे रिपेयर या रिप्लेसमेंट से बचा जा सकता है।

इन्वर्टर को नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी

किसी भी सोलर पैनल सिस्टम का दिमाग होता है उसका इन्वर्टर। यह सौर ऊर्जा को उपयोगी AC करंट में बदलता है। यदि इन्वर्टर में कोई गड़बड़ी आती है, तो पूरा उत्पादन रुक सकता है। भारत में इन्वर्टर की एक सामान्य जांच या रीसेटिंग का खर्च ₹300 से ₹700 के बीच होता है, यदि वह वारंटी में न हो।

यदि वायरिंग, कनेक्टर या फ्यूज में माइनर रिपेयर की जरूरत होती है, तो यह खर्च ₹2,000 से ₹10,000 तक पहुंच सकता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि ये खर्च अक्सर AMC के अंतर्गत नहीं आते, लेकिन AMC के दौरान इन समस्याओं की पहले ही पहचान हो सकती है।

Also Readसोलर सिस्टम लगवाएं और पाएं ₹1,08,000 तक की डबल सब्सिडी! जानिए कैसे मिलेगा वो फायदा

सोलर सिस्टम लगवाएं और पाएं ₹1,08,000 तक की डबल सब्सिडी! जानिए कैसे मिलेगा वो फायदा

क्या ऑफ-ग्रिड सिस्टम बैटरी से बढ़ जाता है मेंटेनेंस खर्च

Off-Grid Solar Systems में बैटरी स्टोरेज अहम भूमिका निभाता है क्योंकि यही पूरे सिस्टम की बिजली को स्टोर करता है। लेकिन इस सुविधा के साथ मेंटेनेंस की जिम्मेदारी भी आती है। बैटरियां आमतौर पर 3 से 5 साल में बदलनी पड़ती हैं।

एक अच्छी बैटरी की कीमत ₹18,000 से ₹80,000 तक होती है, और बड़े सिस्टम में बैटरी रिप्लेसमेंट का कुल खर्च ₹70,000 या उससे अधिक भी हो सकता है। यही कारण है कि ऑफ-ग्रिड सिस्टम अपनाते समय लंबी अवधि के बैटरी खर्च को ध्यान में रखना चाहिए।

यह भी पढें-हाइड्रोजन सोलर पैनल और नॉर्मल सोलर पैनल में क्या अंतर है, इनका क्या फायदा है, जानें

अगर सही क्वालिटी की बैटरी ली जाए और समय-समय पर उसका निरीक्षण किया जाए, तो बैटरी की उम्र और सिस्टम की कार्यक्षमता दोनों सुरक्षित रहती हैं।

ऑन-ग्रिड, ऑफ-ग्रिड सिस्टम मेंटेनेंस खर्च में अंतर

यदि आप 3 kW का ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम इस्तेमाल कर रहे हैं, तो सालाना मेंटेनेंस खर्च ₹3,500 से ₹7,000 के बीच हो सकता है। इसमें DIY सफाई, एक बार प्रोफेशनल क्लीनिंग और एक स्टैंडर्ड AMC शामिल है। वहीं, 5 kW से बड़े सिस्टम में यह खर्च ₹5,000 से ₹15,000 तक हो सकता है, जो इसके लोकेशन और मेंटेनेंस फ्रिक्वेंसी पर निर्भर करता है।

दूसरी ओर, ऑफ-ग्रिड सिस्टम में उपरोक्त सभी खर्चों के अलावा बैटरी रिप्लेसमेंट का बड़ा खर्च जुड़ जाता है, जिससे इसकी लंबी अवधि की लागत बढ़ जाती है।

मेंटेनेंस लागत स्थापना लागत का सिर्फ 1–2%

अगर हम कुल खर्च का आकलन करें, तो Solar Panel Maintenance का वार्षिक खर्च आमतौर पर सिस्टम की स्थापना लागत का केवल 1% से 2% होता है। यह एक स्थायी और सुरक्षित निवेश माना जा सकता है, खासकर तब जब बिजली की दरें हर साल बढ़ रही हों।

एक बार अगर यूजर ने सही मेंटेनेंस प्लान अपना लिया जिसमें DIY क्लीनिंग, एक AMC और बैटरी की समझदारी से निगरानी शामिल हो तो सोलर सिस्टम की परफॉर्मेंस 20 वर्षों तक शानदार बनी रह सकती है।

Also Readमोबाइल से लेकर कार तक – किस डिवाइस में कौन सी बैटरी चलती है?

मोबाइल से लेकर कार तक – किस डिवाइस में कौन सी बैटरी चलती है?

Author
Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें