भारत में सोलर एनर्जी (Solar Energy) अब सिर्फ पर्यावरण सुरक्षा का माध्यम नहीं, बल्कि आम नागरिकों और छोटे निवेशकों के लिए आय का एक भरोसेमंद जरिया बन गई है। विशेष रूप से जब बात रूफटॉप सोलर सिस्टम (Rooftop Solar System) की हो, तो यह न केवल आपके घर की बिजली जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि अतिरिक्त उत्पादन को नेट मीटरिंग (Net Metering) के ज़रिए DISCOM को बेचकर आप नियमित कमाई भी कर सकते हैं।

सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाएं, जैसे कि PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana, इस क्षेत्र में निवेश को और अधिक आकर्षक बना रही हैं। इन योजनाओं के तहत भारी सब्सिडी दी जा रही है, जिससे सोलर सिस्टम लगाने का खर्च काफी हद तक कम हो गया है।
कैसे करें सोलर सिस्टम से कमाई की शुरुआत?
यदि आपके पास अपनी खुद की छत है या मकान मालिक की अनुमति प्राप्त है, और आपके पास DISCOM से वैध बिजली कनेक्शन है, तो आप नेट मीटरिंग के माध्यम से अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में भेजकर कमाई शुरू कर सकते हैं।
इस प्रक्रिया में किसी प्रकार की लाइसेंसिंग या जटिल सरकारी अनुमतियों की आवश्यकता नहीं होती। आपको बस सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त इंस्टॉलर से सोलर सिस्टम लगवाना होता है और DISCOM से इसे कनेक्ट करवाना होता है। इसके बाद आप हर महीने अपने बिजली बिल में भारी कमी देख सकते हैं और क्रेडिट के रूप में कमाई भी होती है।
PM सूर्य घर योजना के तहत भारी सब्सिडी का लाभ
प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना (PM Surya Ghar: Muft Bijli Yojana) के तहत 3 किलोवॉट तक के सोलर सिस्टम पर ₹30,000 से ₹78,000 तक की सब्सिडी सीधे उपभोक्ता के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है।
विशेष रूप से, अगर आप 2 किलोवॉट का सिस्टम लगाते हैं, तो लगभग ₹60,000 तक की सब्सिडी मिल सकती है। वहीं, 3 किलोवॉट या उससे अधिक के सिस्टम पर ₹78,000 तक की सहायता दी जाती है। यह सब्सिडी केवल एक बार की राहत नहीं है, बल्कि यह आपकी आने वाली बिजली लागतों को स्थायी रूप से कम करने का साधन भी है।
बिजली बेचने का सरल और तरीका
नेट मीटरिंग (Net Metering) एक ऐसी प्रणाली है जिसमें उपभोक्ता द्वारा उत्पादित अतिरिक्त बिजली को सीधे DISCOM के ग्रिड में भेजा जाता है। इसके बदले में DISCOM उपभोक्ता के बिल में यूनिट के अनुसार क्रेडिट जोड़ता है।
यदि आपके द्वारा उत्पन्न बिजली आपकी खपत से अधिक है, तो वह अतिरिक्त यूनिट आपके अगले बिल में एडजस्ट हो जाती है। इस प्रणाली का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह पूरी तरह पारदर्शी होती है और उपभोक्ता को किसी एजेंट या बिचौलिए की आवश्यकता नहीं होती।
सोलर सिस्टम लगवाने की प्रक्रिया और जरूरी दस्तावेज
इस प्रक्रिया की शुरुआत होती है National Rooftop Solar Portal या राज्य के DISCOM पोर्टल पर आवेदन से। उसके बाद DISCOM द्वारा 30 से 45 दिनों के भीतर फिजिबिलिटी स्टडी की जाती है।
यदि लोकेशन उपयुक्त पाई जाती है, तो DISCOM स्वीकृति देता है और उपभोक्ता किसी मान्यता प्राप्त इंस्टॉलर से सिस्टम लगवाता है। इसके बाद बाय-डायरेक्शनल मीटर लगाया जाता है और DISCOM द्वारा अंतिम निरीक्षण के बाद कनेक्शन चालू किया जाता है।
आपकी संपत्ति आपके नाम पर होनी चाहिए, या यदि आप किरायेदार हैं तो मकान मालिक की लिखित अनुमति आवश्यक है। साथ ही सोलर उपकरण MNRE, BIS या CEA द्वारा प्रमाणित होने चाहिए।
यूपी जैसे राज्यों में प्रक्रिया और समयसीमा
उत्तर प्रदेश में यह प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन और पारदर्शी है। UPNEDA या राज्य के DISCOM पोर्टल पर आवेदन करने के बाद लगभग 2 से 3 महीने के भीतर पूरी प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।
राज्य सरकार और DISCOM की सक्रिय भागीदारी के चलते, अब उपभोक्ताओं को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता और सब्सिडी का भुगतान भी समयबद्ध रूप से बैंक खाते में किया जाता है।
बड़े प्रोजेक्ट्स और REC सर्टिफिकेट से अतिरिक्त कमाई
यदि आप 250 किलोवॉट या उससे बड़ी सोलर परियोजना स्थापित करते हैं, तो आप Renewable Energy Certificate (REC) के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए राज्य एजेंसी से एक्रेडिटेशन और फिर सेंट्रल एजेंसी में रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होती है।
जब परियोजना चालू हो जाती है, तो प्रति 1 MWh उत्पादन पर एक REC जारी होता है। इन प्रमाणपत्रों को आप पावर एक्सचेंज (Power Exchange) पर बेच सकते हैं, जो एक प्रकार से कार्बन क्रेडिट के समान है और पर्यावरणीय लाभ के बदले वित्तीय आय प्रदान करता है।
ग्रॉस मीटरिंग और PM Kusum योजना के अन्य विकल्प
अगर आप संपूर्ण उत्पादन को DISCOM को बेचना चाहते हैं, तो ग्रॉस मीटरिंग (Gross Metering) का विकल्प आपके लिए लाभकारी हो सकता है। इसमें आप प्रति यूनिट ₹3 तक की दर पर बिजली बेच सकते हैं।
वहीं, कृषि आधारित जरूरतों के लिए सरकार की PM Kusum Scheme उपलब्ध है, जिसके अंतर्गत आप सोलर पंप और सिंचाई सिस्टम पर सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं और बिजली की बचत के साथ-साथ खेती में लागत भी घटा सकते हैं।
सोलर एनर्जी में निवेश क्यों है,फायदेमंद?
आज के समय में बढ़ती बिजली दरों और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के सीमित होते भंडार को देखते हुए Renewable Energy में निवेश सबसे स्थायी और लाभकारी उपाय है। नेट मीटरिंग के ज़रिए आपकी बिजली लागत में सीधी कमी आती है, वहीं अतिरिक्त उत्पादन से मासिक आय का स्रोत भी बनता है। बड़े निवेशक REC सर्टिफिकेट और Power Exchange जैसे विकल्पों से लंबे समय तक मुनाफा कमा सकते हैं।
सरकार की मदद और पारदर्शी प्रक्रिया के चलते अब यह क्षेत्र सिर्फ उद्योगपतियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि आम नागरिक भी इस ऊर्जा क्रांति का हिस्सा बन सकते हैं।