जहां दुनिया तेजी से स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रही है, वहीं ऊर्जा उत्पादन के लिए ज़मीन की कमी बड़ी चुनौती बन रही है। इस समस्या का जवाब दे रहा है फ्लोटिंग सोलर फार्म, जो जलाशयों, तालाबों और बांधों की सतह पर सौर पैनल स्थापित कर अक्षय ऊर्जा उत्पन्न करता है। यह नवाचार न केवल ज़मीन बचाता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा उत्पादन के लिहाज से भी कई लाभ प्रदान करता है।

जमीन की बचत और कुशल उपयोग
फ्लोटिंग सोलर टेक्नोलॉजी के माध्यम से जलाशयों की सतह पर सोलर पैनल रखे जाते हैं, जिससे जमीन को नुकसान नहीं होता और कृषि या आवासीय उपयोग के लिए भूमि सुरक्षित रहती है। खासकर भारत जैसे देश में जहां जमीन पर दबाव बहुत अधिक है, ऐसे प्रोजेक्ट ज़मीन की समस्या का स्मार्ट समाधान हैं। इस तकनीक से बिना अतिरिक्त जमीन उपयोग किए बड़े पैमाने पर ऊर्जा पैदा की जा सकती है।
जल संरक्षण और पर्यावरणीय लाभ
पानी की सतह पर लगे सोलर पैनलों की छाया से जलाशयों में पानी का वाष्पीकरण कम होता है, जिससे जल स्रोत अधिक समय तक सुरक्षित रहते हैं। इसके अलावा, ये पैनल पानी की सतह को धूप से आंशिक रूप से बचाते हैं, जिससे जल तापमान नियंत्रित रहता है और जलाशय में हानिकारक शैवाल की वृद्धि भी कम होती है। यह पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
ऊर्जा उत्पादन में उत्कृष्टता
पानी की ठंडी सतह के कारण फ्लोटिंग सोलर पैनल की कार्यक्षमता अधिक रहती है। पैनल ठंडे रहकर अधिक प्रभावी तरीके से ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, जो जमीन आधारित पैनलों की तुलना में 10-15% तक ज्यादा ऊर्जा दे सकता है। साथ ही पानी की सतह से परावर्तित प्रकाश भी ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देता है, जिससे कुल उत्पादन बेहतर होता है।
भारत में विकास का रुख
हाल के वर्षों में भारत ने फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट्स को व्यापक समर्थन दिया है। कई राज्यों में बड़े जलाशयों पर सफलतापूर्वक ये फार्म स्थापित किए गए हैं, जो न केवल ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि कर रहे हैं, बल्कि स्थानीय जल संरक्षण में भी मददगार साबित हो रहे हैं। सरकार की नीतियों और बढ़ते निवेश के साथ भविष्य में इसके और विस्तार की संभावना उज्जवल है।







