बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए सोलर पैनल की लोकप्रियता आज के समय में तेजी से बढ़ रही है, सोलर पैनल को स्थापित कर के उससे बनने वाली बिजली के द्वारा सभी प्रकार के विद्युत उपकरणों को चलाया जा सकता है। सोलर पैनल सौर ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा उत्पादन का कार्य करते हैं, सोलर पैनल के द्वारा पर्यावरण के अनुकूल ही बिजली का उत्पादन किया जाता है, ऐसे में पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त कर के स्वच्छ एवं सुरक्षित रखा जा सकता है। बाजार में आसानी से आधुनिक तकनीक के सोलर पैनल उपलब्ध रहते हैं, जिनका प्रयोग सोलर सिस्टम में किया जा सकता है।
टॉप क्वालिटी सोलर पैनल
सौर ऊर्जा एक प्रमुख नवीकरणीय ऊर्जा है, जिसका स्रोत सूर्य रहता है, यह प्रचुर मात्रा में धरती को ऊर्जा प्रदान करता है। सौर ऊर्जा से बिजली बनाने के लिए सोलर पैनल को स्थापित किया जाता है, सोलर पैनल को सूर्य की उचित ऊर्जा प्राप्त होने पर आप इसके प्रयोग से आसानी से अपनी बिजली जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। सोलर पैनल को स्थापित करने के बाद बिजली के बिल से राहत प्राप्त की जा सकती है। सोलर पैनल का प्रयोग आवासीय क्षेत्रों, औद्योगिक क्षेत्रों, कृषि क्षेत्रों आदि क्षेत्रों में किया जा सकता है।
सोलर पैनल के प्रकार
बाजार में आज के समय में कई टॉप क्वालिटी सोलर पैनल हैं, ऐसे सोलर पैनल की दक्षता हाई रहती है, इन सोलर पैनल से अधिक बिजली उत्पादन किया जा सकता है:-
- पालीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल– इस प्रकार के सोलर पैनल का सबसे अधिक सिस्टम में प्रयोग किया जाता है, ऐसे सोलर पैनल की कीमत कम होती है, इन सोलर पैनल को इनके नीले रंग से आसानी से पहचान सकते हैं।
- मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल– मोनो सोलर पैनल का रंग गहरा नीला और काला होता है, ये पॉली सोलर पैनल की तुलना में अधिक बिजली उत्पादन करते हैं। इन सोलर पैनल की कीमत भी पॉली सोलर पैनल से अधिक होती है।
- बाइफेशियल सोलर पैनल– ये सबसे आधुनिक तकनीक के सोलर पैनल होते हैं, ऐसे सोलर पैनल दोनों ओर से बिजली का उत्पादन करते हैं, इनकी दक्षता भी अधिक होती है, एवं ये सोलर पैनल कम रोशनी में भी बिजली का उत्पादन कर सकते हैं।
सोलर सिस्टम के प्रकार
- ऑनग्रिड सोलर सिस्टम– इस प्रकार के सोलर सिस्टम में पैनल से बनने वाली बिजली को ग्रिड के साथ शेयर किया जाता है, शेयर बिजली की गणना के लिए नेट-मिटरिंग की जाती है। कम बिजली कटौती वाले स्थानों के लिए यह सोलर सिस्टम बेस्ट है।
- ऑफग्रिड सोलर सिस्टम– इस सोलर सिस्टम में सोलर पैनल से जनरेट होने वाली बिजली को बैटरी में स्टोर किया जा सकता है, अधिक बिजली कटौती वाले स्थानों के लिए यह सिस्टम उपयुक्त रहता है।
- हाइब्रिड सोलर सिस्टम– यह एडवांस सोलर सिस्टम है, इसमें नेट-मिटरिंग एवं बैटरी दोनों का ही प्रयोग किया जा सकता है, इस सोलर सिस्टम को लगाने का खर्चा अधिक हो सकता है।
सोलर सिस्टम को लगाने का खर्चा
सोलर सिस्टम में सोलर पैनल, सोलर इंवर्टर एवं सोलर बैटरी मुख्य उपकरण होते हैं, इनमें सोलर पैनल सौर ऊर्जा से बिजली बनाते हैं, इंवर्टर द्वारा DC को AC में बदलने का काम किया जाता है, जबकि बैटरी में बिजली को स्टोर करते हैं। यदि आपके घर में बिजली का लोड हर दिन 6 से 7 यूनिट तक रहता है, तो ऐसे में आप 1.5 किलोवाट से 2 किलोवाट तक के सोलर सिस्टम को लगा सकते हैं।
इस क्षमता के सोलर सिस्टम को लगाने में कुल खर्चा लगभग 70 हजार से 80 हजार रुपये तक हो सकता है। ऑनग्रिड सोलर सिस्टम लगाने पर 1 किलोवाट में 30 हजार, 2 किलोवाट पर 60 हजार एवं 3 से 10 किलोवाट तक के सिस्टम पर 78 हजार की सब्सिडी आप प्राप्त कर सकते हैं।
ऐसे लगाएं सोलर सिस्टम
निम्न स्टेप का पालन कर आप सोलर सिस्टम आसानी से लगा सकते हैं:-
- घर की पक्की छत या समतल स्थान पर फ्रेम की सहायता से सोलर पैनल लगाएं।
- सोलर पैनल को इंवर्टर से एवं बैटरी से कनेक्ट करें।
- सोलर सिस्टम में प्रयोग होने वाले वायर से सिस्टम में कनेक्शन स्थापित करें। तारों को इलेक्ट्रिकल फिटिंग पाइप में सुरक्षित रखें।
आप सोलर पैनल सिस्टम को लगाने के लिए सोलर तकनीशियन की सहायता प्राप्त कर सकते हैं, उनके सोलर सिस्टम की स्थापना से जुड़े सभी आवश्यक उपकरण उपलब्ध रहते हैं। सोलर सिस्टम के द्वारा ऊर्जा खपत को कम किया जा सकता है।