भारत की प्रमुख ग्रीन एनर्जी कंपनियों में से एक, जेनसोल इंजीनियरिंग, ने महाराष्ट्र में 150 मेगावाट क्षमता के ग्राउंड-माउंटेड सोलर फोटोवोल्टिक (पीवी) पावर प्लांट के निर्माण के लिए ₹780 करोड़ का बड़ा आर्डर हासिल किया है। इस टर्नकी इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) अनुबंध को पूरा करने के लिए जेनसोल को 15 महीने का समय मिलेगा।
इस परियोजना के तहत कंपनी को भूमि अधिग्रहण, डिजाइन, इंजीनियरिंग, खरीद, लॉजिस्टिक्स, आपूर्ति, निर्माण, परीक्षण और कमीशनिंग के सभी पहलुओं की जिम्मेदारी सौंपी गई है। साथ ही, कंपनी स्विचयार्ड और ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के साथ-साथ परियोजना के तीन साल तक संचालन और रखरखाव का भी काम करेगी।
जेनसोल इंजीनियरिंग का यह बड़ा आर्डर और साथ ही कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन में उछाल, दोनों ही इसे ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में मदद करेंगे। यह कंपनी के लिए केवल एक वित्तीय सफलता नहीं है, बल्कि भारत के स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में बड़े बदलाव की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। जेनसोल की आने वाली परियोजनाएँ इसे और भी आगे ले जाएंगी, जिससे इसके निवेशकों को भी अच्छे लाभ की उम्मीदें हैं।
जेनसोल इंजीनियरिंग की बढ़ती विशेषज्ञता
जेनसोल इंजीनियरिंग की सीईओ शिल्पा उरहेकर ने कहा कि इस परियोजना से कंपनी की एंड-टू-एंड समाधान प्रदान करने की विशेषज्ञता को और मजबूती मिली है। यह कदम कंपनी को अपने ग्रीन एनर्जी पोर्टफोलियो को विस्तार देने में मदद करेगा और इसे देश में ऊर्जा क्षेत्र में एक अग्रणी भूमिका में स्थापित करेगा। जेनसोल के लिए यह एक महत्वपूर्ण विकास है, क्योंकि यह परियोजना न केवल इसके इंजीनियरिंग और निर्माण क्षमताओं को प्रदर्शित करेगी, बल्कि कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन को भी और मजबूती देगी।
वित्तीय स्थिति और लाभ में वृद्धि
जेनसोल इंजीनियरिंग ने हाल ही में अपनी वित्तीय रिपोर्ट जारी की, जिसमें कंपनी के शुद्ध लाभ में 29% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सितंबर तिमाही में कंपनी का शुद्ध लाभ ₹22.93 करोड़ रहा, जबकि पिछले वर्ष इसी तिमाही में यह ₹17.71 करोड़ था। इसके अलावा, कंपनी की कुल आय भी 2023 की दूसरी तिमाही में ₹346.82 करोड़ तक पहुँच गई, जो पिछले वर्ष की ₹304.87 करोड़ से अधिक है।
जेनसोल का शेयर बाजार में भी अच्छा प्रदर्शन जारी है। 4 नवंबर को जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयर ₹837.65 प्रति शेयर पर 2.82% बढ़कर कारोबार कर रहे थे। इस वृद्धि ने निवेशकों को भी उत्साहित किया है, जिससे कंपनी के व्यापार और वित्तीय दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव आ रहा है।
ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना पर ध्यान
जेनसोल इंजीनियरिंग के लिए आने वाला समय और भी रोमांचक है, क्योंकि कंपनी ने भारत की पहली ग्रीन हाइड्रोजन-संचालित स्टील उत्पादन सुविधा के निर्माण के लिए मैट्रिक्स गैस एंड रिन्यूएबल्स लिमिटेड के साथ साझेदारी की है। यह परियोजना भारत के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का हिस्सा होगी, जिसके तहत 100% ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग करके स्टील उत्पादन किया जाएगा। इस परियोजना की उत्पादन क्षमता 50 टन प्रति दिन (TPD) निर्धारित की गई है, और यह भारत में ऐसी और सुविधाओं के लिए एक बड़ा मंच तैयार कर सकती है।
यह परियोजना भारतीय ऊर्जा क्षेत्र में न केवल स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक बड़ा कदम साबित होगी, बल्कि भारत की हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी। इस पायलट प्रोजेक्ट को इस्पात मंत्रालय और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के सहयोग से मंजूरी प्राप्त हुई है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बना देता है।
जेनसोल इंजीनियरिंग का भविष्य
जेनसोल इंजीनियरिंग के लिए भविष्य उज्जवल दिखाई दे रहा है, खासकर ग्रीन एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) क्षेत्र में इसके नेतृत्व को देखते हुए। कंपनी की बढ़ती विशेषज्ञता और नई परियोजनाओं के साथ, यह न केवल भारत बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार में भी अपनी पहचान बनाने की दिशा में अग्रसर है। जेनसोल का ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट और हालिया सोलर पीवी प्लांट की डिलीवरी कंपनी के व्यापक दृष्टिकोण को सिद्ध करता है, जो देश में हरित ऊर्जा संक्रमण को गति देने में मदद करेगा।