MNRE ने सोलर पम्पिंग सिस्टम के लिए जारी किए नए दिशा-निर्देश – जानें पूरी जानकारी और आपके लिए क्या फायदे!

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने पीएम कुसुम योजना के तहत सोलर पम्पिंग सिस्टम के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो तकनीकी और सुरक्षा मानकों में सुधार लाते हैं। इन दिशा-निर्देशों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी, प्रदर्शन मानदंड, सुरक्षा उपाय और वारंटी विवरण जानने के लिए पढ़ें पूरा आर्टिकल।

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Written by Rohit Kumar

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MNRE ने सोलर पम्पिंग सिस्टम के लिए जारी किए नए दिशा-निर्देश, जानें पूरा विवरण
MNRE ने सोलर पम्पिंग सिस्टम के लिए जारी किए नए दिशा-निर्देश, जानें पूरा विवरण

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत सोलर फोटोवोल्टिक (PV) जल पम्पिंग सिस्टम के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह दिशा-निर्देश 2023 में पहले जारी किए गए मानकों में संशोधन के रूप में सामने आए हैं, जो अब सोलर पम्पिंग सिस्टम में हालिया तकनीकी प्रगति और नवाचारों को ध्यान में रखते हुए अद्यतन किए गए हैं। मंत्रालय ने इन अद्यतन दिशा-निर्देशों पर हितधारकों से प्रतिक्रिया देने के लिए अक्टूबर 2024 तक का समय निर्धारित किया है। यह कदम सोलर पम्पिंग सिस्टम के कार्यकुशलता और दीर्घकालिक स्थिरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।

नई दिशा-निर्देशों का उद्देश्य और मुख्य विशेषताएँ

नई दिशा-निर्देशों का मुख्य उद्देश्य सोलर पम्पिंग सिस्टम की प्रदर्शन क्षमता और दक्षता में सुधार करना है। यह दिशा-निर्देश विशेष रूप से पम्पिंग के लिए उपयोग होने वाली सोलर एनर्जी को प्रभावी रूप से उपयोग करने पर जोर देते हैं। इन दिशा-निर्देशों में सकारात्मक विस्थापन तकनीक का उपयोग करने वाले सोलर पम्पिंग सिस्टम को प्राथमिकता दी गई है, जो मुख्य रूप से बोरवेल से पानी खींचने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

सोलर पम्पिंग सिस्टम की मुख्य संरचना में सोलर पीवी सरणी, मोटर पंप सेट और अधिकतम पावर पॉइंट ट्रैकिंग (MPPT) तकनीक से लैस एक नियंत्रक शामिल है। MPPT तकनीक, जो सोलर पम्प की दक्षता को बढ़ाती है, सुनिश्चित करती है कि सिस्टम हमेशा अधिकतम ऊर्जा का उपयोग कर सके।

प्रदर्शन और दक्षता

नई दिशा-निर्देशों के तहत, सोलर पम्पिंग सिस्टम को पानी की गहराई के हिसाब से डिज़ाइन किया गया है, ताकि विभिन्न जल स्रोतों से पानी खींचा जा सके। इन दिशा-निर्देशों में यह भी निर्धारित किया गया है कि सोलर पम्पिंग सिस्टम को विशिष्ट आउटपुट मानदंडों को पूरा करना होगा, जो गतिशील हेड माप के आधार पर तय किए जाएंगे।

दैनिक जल उत्पादन का मूल्यांकन मानक स्थितियों में किया जाएगा, जिसमें सोलर विकिरण और सिस्टम की दक्षता को ध्यान में रखा जाएगा। सोलर मॉड्यूल की न्यूनतम दक्षता 19% तय की गई है, और यह मॉड्यूल 25 साल तक की वारंटी के साथ आने चाहिए, ताकि दीर्घकालिक विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सके।

सुरक्षा उपाय

सोलर पम्पिंग सिस्टम की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। ड्राई रनिंग, ओवर-वोल्टेज और रिवर्स पोलरिटी जैसी समस्याओं को रोकने के लिए सुरक्षा तंत्र विकसित किए गए हैं। इसके अलावा, सिस्टम में उपयोग की जाने वाली सामग्री को उच्च गुणवत्ता वाले और संक्षारण प्रतिरोधी बनाने के लिए स्टेनलेस स्टील का उपयोग अनिवार्य किया गया है। विद्युत घटकों की सुरक्षा के लिए उचित अर्थिंग और बिजली संरक्षण भी सुनिश्चित किया गया है, ताकि किसी भी संभावित खतरों से बचा जा सके।

दूरस्थ निगरानी और नियंत्रण

नई दिशा-निर्देशों में उन्नत सोलर पम्पिंग सिस्टम को दूरस्थ निगरानी इकाइयों से सुसज्जित करने की सलाह दी गई है। इन इकाइयों से सोलर पम्पिंग सिस्टम के वास्तविक समय में संचालन मापदंडों की निगरानी की जा सकती है, जैसे पानी का उत्पादन और ऊर्जा की खपत। इससे ऑपरेटर को किसी भी समस्या का तुरंत पता चल सकता है, और सिस्टम की कार्यकुशलता को अधिकतम किया जा सकता है।

साथ ही, पंप नियंत्रक, चाहे वह अंतर्निर्मित हो या बाहरी, को विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों में सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करने के लिए विशिष्ट सुरक्षा आवश्यकताओं का पालन करना चाहिए।

स्थापना और स्थायित्व

दिशा-निर्देशों में यह भी उल्लेख किया गया है कि सोलर पम्पिंग सिस्टम को स्थापित करते समय सामग्री, माउंटिंग संरचना और केबलिंग के लिए विशेष विनिर्देशों का पालन करना आवश्यक है, ताकि वे कठोर पर्यावरणीय परिस्थितियों, जैसे तेज़ हवा की गति, का सामना कर सकें। इसके अलावा, सिस्टम की स्थिरता और स्थायित्व सुनिश्चित करने के लिए जस्ती संरचनाओं का होना अनिवार्य किया गया है।

परीक्षण, वारंटी, और मार्किंग

नई दिशा-निर्देशों के अनुसार, स्थापित मानकों के साथ सिस्टम की अनुपालना की पुष्टि करने के लिए हाइड्रोलिक और इलेक्ट्रिकल प्रदर्शन परीक्षण अनिवार्य होंगे। इसके साथ ही, सोलर पम्पिंग सिस्टम पर 60 महीने की वारंटी प्रदान की जाएगी, जो सामग्री और कारीगरी पर लागू होगी। इसके अलावा, प्रत्येक सिस्टम के घटकों को निर्माता के तकनीकी विनिर्देशों के साथ चिह्नित किया जाएगा, ताकि किसी भी समस्या की स्थिति में आसानी से पहचान की जा सके।

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FAQs

1. पीएम कुसुम योजना के तहत सोलर पम्पिंग सिस्टम के क्या फायदे हैं?
PM Kusum योजना के तहत सोलर पम्पिंग सिस्टम किसानों को सस्ती और स्थिर जल आपूर्ति प्रदान करती है। यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि यह परंपरागत ऊर्जा स्रोतों की बजाय सौर ऊर्जा का उपयोग करता है।

2. नई दिशा-निर्देशों के तहत सोलर पम्पिंग सिस्टम के लिए क्या प्रदर्शन मानदंड हैं?
सोलर पम्पिंग सिस्टम को विशिष्ट आउटपुट मानदंडों को पूरा करना होगा, जिसमें सोलर विकिरण, पानी की गहराई और सिस्टम की दक्षता शामिल हैं। सोलर मॉड्यूल की न्यूनतम दक्षता 19% होनी चाहिए।

3. क्या सोलर पम्पिंग सिस्टम की सुरक्षा के लिए कोई विशेष उपाय हैं?
हां, सोलर पम्पिंग सिस्टम में ड्राई रनिंग, ओवर-वोल्टेज और रिवर्स पोलरिटी जैसी समस्याओं से बचने के लिए सुरक्षा तंत्र विकसित किए गए हैं। साथ ही, विद्युत घटकों की सुरक्षा के लिए उचित अर्थिंग और बिजली संरक्षण सुनिश्चित किया गया है।

4. क्या सोलर पम्पिंग सिस्टम पर कोई वारंटी है?
हां, सोलर पम्पिंग सिस्टम पर 60 महीने की वारंटी होगी, जो सामग्री और कारीगरी पर लागू होगी।

5. क्या सोलर पम्पिंग सिस्टम को दूरस्थ निगरानी से ट्रैक किया जा सकता है?
हां, उन्नत सोलर पम्पिंग सिस्टम को दूरस्थ निगरानी इकाइयों से सुसज्जित किया जा सकता है, जिससे पानी के उत्पादन और ऊर्जा की खपत जैसे मापदंडों की निगरानी की जा सकती है।

6. सोलर पम्पिंग सिस्टम के लिए किस तरह की सामग्री का उपयोग किया जाता है?
सोलर पम्पिंग सिस्टम में स्टेनलेस स्टील और संक्षारण प्रतिरोधी सामग्री का उपयोग किया जाता है, ताकि सिस्टम की स्थायित्व और लंबी उम्र सुनिश्चित की जा सके।

7. क्या सोलर पम्पिंग सिस्टम को विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों में उपयोग किया जा सकता है?
हां, दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि सोलर पम्पिंग सिस्टम को कठोर पर्यावरणीय परिस्थितियों, जैसे तेज़ हवा की गति, का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

8. क्या नई दिशा-निर्देशों के तहत सोलर पम्पिंग सिस्टम की कार्यकुशलता को मान्यता दी जाएगी?
हां, नई दिशा-निर्देशों के तहत हाइड्रोलिक और इलेक्ट्रिकल प्रदर्शन परीक्षण अनिवार्य किए गए हैं, ताकि सिस्टम की कार्यकुशलता की पुष्टि की जा सके।

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Author
Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

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