अमेरिका ने सोलर पैनल पर बरसाया ट्रंप वाला कहर, लगाया 3,521% टैरिफ! – इन देशों को लगेगा तगड़ा झटका

कंबोडिया, वियतनाम, मलेशिया और थाईलैंड पर अमेरिका की बड़ी कार्रवाई क्या बढ़ेंगी सोलर प्रोजेक्ट्स की लागत? घरेलू इंडस्ट्री को फायदा या उपभोक्ताओं को नुकसान? जानिए पूरी कहानी!

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Written by Rohit Kumar

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अमेरिका ने सोलर पैनल पर बरसाया ट्रंप वाला कहर, लगाया 3,521% टैरिफ! – इन देशों को लगेगा तगड़ा झटका
अमेरिका ने सोलर पैनल पर बरसाया ट्रंप वाला कहर, लगाया 3,521% टैरिफ! – इन देशों को लगेगा तगड़ा झटका

अमेरिका ने Renewable Energy सेक्टर में बड़ा कदम उठाते हुए कंबोडिया, वियतनाम, मलेशिया और थाईलैंड से आयात होने वाले सोलर पैनलों पर 3,521% का भारी-भरकम टैरिफ लगा दिया है। यह फैसला अमेरिकी वाणिज्य विभाग द्वारा एक साल तक चली गहन व्यापार जांच के बाद लिया गया, जिसमें पाया गया कि इन देशों के सौर ऊर्जा उत्पादकों को सरकारी सब्सिडी का अनुचित लाभ मिला और उन्होंने सस्ते संसाधनों का उपयोग कर अमेरिकी बाजार में कम कीमत पर सोलर पैनल डंप किए।

साउथ ईस्ट एशिया के देशों पर अमेरिका का बड़ा आरोप

अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने स्पष्ट किया कि कंबोडिया, वियतनाम, मलेशिया और थाईलैंड के निर्माता चीन से सस्ते कच्चे माल और संसाधन लेकर सोलर पैनल बनाते हैं, जिन्हें बाद में अमेरिकी बाजार में बेहद कम कीमतों पर बेचा जाता है। इसका सीधा प्रभाव अमेरिकी सोलर मैन्युफैक्चरर्स पर पड़ता है, जो उच्च लागत और सख्त नियमों के तहत उत्पादन करते हैं।

इस डंपिंग की वजह से अमेरिकी घरेलू सोलर उद्योग को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा था, जिसे रोकने के लिए यह कड़ा कदम उठाया गया है।

बाइडेन प्रशासन की जांच, ट्रंप प्रशासन की सख्ती

इस व्यापार जांच की शुरुआत पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में की गई थी, जिसे घरेलू सोलर उत्पादकों द्वारा दायर की गई शिकायतों के आधार पर आगे बढ़ाया गया। हालांकि, इस जांच के निष्कर्षों के आधार पर डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने सीधे-सीधे सख्त टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी, जो उनकी टैरिफ नीति के तहत अब तक का सबसे आक्रामक कदम माना जा रहा है।

अमेरिकी Renewable Energy डेवलपर्स की बढ़ी चिंता

हालांकि यह टैरिफ अमेरिकी घरेलू उत्पादकों को लाभ पहुंचाने की दिशा में है, लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है। अमेरिका में कई Renewable Energy developers वर्षों से सस्ते सोलर पैनलों की आपूर्ति के लिए इन साउथ ईस्ट एशियन देशों पर निर्भर रहे हैं। 3,521% का टैरिफ लगाने के बाद इन परियोजनाओं की लागत में काफी वृद्धि हो सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से अमेरिका की सोलर पैनल इंडस्ट्री को घरेलू स्तर पर लाभ तो मिलेगा, लेकिन इसके साथ ही सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स की लागत में 30-40% तक की बढ़ोतरी संभव है, जिससे आम उपभोक्ता भी प्रभावित हो सकता है।

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अमेरिकी उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा, लेकिन कीमतें बढ़ेंगी

वाणिज्य विभाग का कहना है कि यह कदम विदेशी डंपिंग पर अंकुश लगाने और अमेरिकी निर्माण को बढ़ावा देने के लिए जरूरी था। अब अमेरिकी सोलर कंपनियों को घरेलू बाजार में प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलेगी। लेकिन आलोचकों का कहना है कि इससे अमेरिका में सोलर पैनल की कीमतों में बढ़ोतरी, प्रोजेक्ट्स में देरी और Clean Energy ट्रांजिशन की रफ्तार पर भी असर पड़ सकता है।

भारत के लिए खुल सकते हैं नए अवसर

ट्रंप प्रशासन के इस निर्णय के बाद भारत सहित अन्य देशों के लिए अमेरिकी सोलर बाजार में प्रवेश के नए अवसर बन सकते हैं। पहले से ही अमेरिका में भारत के टेक्सटाइल और स्टील उद्योग को टैरिफ पॉलिसी से फायदा मिल चुका है। अब सोलर पैनल इंडस्ट्री के लिए भी दरवाजे खुल सकते हैं, यदि भारत अपने उत्पादों की लागत और क्वालिटी में संतुलन बनाए रखे।

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अमेरिकी रणनीति या आर्थिक सख्ती?

ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह कदम एक रणनीतिक व्यापारिक नीति है या अमेरिका की आर्थिक दबाव की नीति? इससे पहले चीन पर लगाए गए 145% टैरिफ ने दोनों देशों के रिश्तों में खटास ला दी थी। अब साउथ ईस्ट एशियन देशों के साथ व्यापारिक संबंधों पर भी असर पड़ सकता है।

विश्लेषकों के अनुसार यह टैरिफ अमेरिकी उद्योगों को लघु अवधि में राहत जरूर देगा, लेकिन दीर्घकालीन ऊर्जा नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

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Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

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