NIT राउरकेला को मिली बड़ी सफलता – सस्ती सोलर टेक्नोलॉजी का पेटेंट हासिल, आम आदमी को मिलेगा सीधा फायदा

भारत में पहली बार तैयार हुई ऐसी सोलर तकनीक जो बदल देगी Renewable Energy का भविष्य लागत कम, आउटपुट ज़्यादा, और अब हर घर में होगी बिजली की भरमार!

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Written by Rohit Kumar

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NIT राउरकेला को मिली बड़ी सफलता – सस्ती सोलर टेक्नोलॉजी का पेटेंट हासिल, आम आदमी को मिलेगा सीधा फायदा
NIT राउरकेला को मिली बड़ी सफलता – सस्ती सोलर टेक्नोलॉजी का पेटेंट हासिल, आम आदमी को मिलेगा सीधा फायदा

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) राउरकेला ने Renewable Energy के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। संस्थान के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर सुसोवोन सामंता (Prof. Susovon Samanta) के नेतृत्व में एक रिसर्च टीम ने एक ऐसी नई तकनीक विकसित की है, जो Solar Power Generation को बदलते मौसम की परिस्थितियों में भी अधिकतम स्तर तक पहुँचाने में सक्षम है। इस नवाचार के लिए “Method And System For Voltage Sensor-based Maximum Power Point Tracking For Photovoltaic System” शीर्षक के तहत एक आधिकारिक पेटेंट भी प्राप्त हो चुका है।

नवीकरणीय ऊर्जा-Renewable Energy क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम

यह तकनीक भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology – DST) के क्लीन एनर्जी रिसर्च इनिशिएटिव (Clean Energy Research Initiative – CERI) के अंतर्गत विकसित की गई है। टीम में प्रोफेसर सामंता के साथ शोधकर्ता सुताब्दी भट्टाचार्य और मधुस्मिता बारिक भी शामिल हैं, जिन्होंने इस प्रोजेक्ट को तकनीकी रूप से सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।

पारंपरिक Maximum Power Point Tracking (MPPT) प्रणालियों में महंगे करंट सेंसर्स (current sensors) और धीमी प्रतिक्रिया समय की समस्या होती है, जिससे सौर ऊर्जा प्रणालियाँ पूरी क्षमता से काम नहीं कर पातीं। NIT राउरकेला की यह नई तकनीक वोल्टेज सेंसर (voltage sensor) आधारित है, जो ना केवल लागत को कम करती है बल्कि प्रदर्शन में भी तेज और स्थिर सुधार लाती है।

तकनीकी विशेषताएं जो बनाती हैं इसे अद्वितीय

इस पेटेंटेड सिस्टम में एक सोलर पैनल, वोल्टेज सेंसर सर्किट, डीसी-डीसी कनवर्टर (DC-DC converter) और एक माइक्रोकंट्रोलर शामिल है। यह संयोजन तेज़ी से बदलते मौसम या धूप की तीव्रता के अनुसार खुद को अनुकूलित कर लेता है और स्थिर अवस्था (steady-state) के दौरान अनावश्यक कृत्रिम बदलाव (perturbation) की आवश्यकता नहीं होती। इसका परिणाम है — अधिक स्थिरता, बेहतर दक्षता और कम लागत में अधिकतम ऊर्जा उत्पादन।

यह तकनीक विशेष रूप से उन क्षेत्रों में उपयोगी सिद्ध हो सकती है जहाँ बिजली की उपलब्धता सीमित है या पूरी तरह ऑफ-ग्रिड सोल्यूशन्स की आवश्यकता होती है। प्रोफेसर सामंता के अनुसार, इसका उपयोग घरेलू सोलर सेटअप्स, IoT डिवाइसेज़ और ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रभावी रूप से किया जा सकता है।

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आत्मनिर्भर भारत और हरित भविष्य की दिशा में ठोस पहल

भारत जैसे विकासशील देश में जहां रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) का प्रसार ग्रामीण विकास और ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक है, ऐसे में NIT राउरकेला की यह खोज गेम चेंजर साबित हो सकती है। इससे न केवल लागत में कमी आएगी, बल्कि स्वदेशी तकनीकों के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

इस पेटेंट से यह भी स्पष्ट होता है कि भारतीय तकनीकी संस्थान अब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और समाधान प्रदान करने में सक्षम हो रहे हैं। तकनीक की यह सफलता भारत के Net Zero Emission लक्ष्य की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम है।

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आने वाले समय में व्यावसायीकरण की संभावना

हालांकि अभी यह तकनीक प्रयोगशाला स्तर पर है, लेकिन इसके सफल पेटेंट से यह संकेत मिलता है कि निकट भविष्य में इसे व्यावसायिक रूप से बाजार में उतारा जा सकता है। इसके लिए स्टार्टअप्स, इंडस्ट्री और नीति निर्माताओं के साथ सहयोग की आवश्यकता होगी ताकि तकनीक को बड़े पैमाने पर अपनाया जा सके।

यदि यह तकनीक सही रणनीति और फंडिंग के साथ आगे बढ़ाई जाती है, तो यह IPO स्तर तक की संभावनाओं को भी जन्म दे सकती है, जिससे निवेशकों के लिए भी यह एक आकर्षक अवसर बन सकता है।

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Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

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